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संकट में सरकार: कमलनाथ के फोकस पर बागियों का परिवार, दिग्विजय-केपी सिंह सक्रिय

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को बचाने के लिए पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और विधायक केपी सिंह बेंगलुरु पहुंच गए हैं और बागी विधायकों से मुलाकात करना चाहते हैं. वहीं, मध्य प्रदेश में बागी विधायकों के परिवार वालों के जरिए भी सरकार बचाने की कोशिश में खुद सीएम कमलनाथ लगे हुए हैं.

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सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह
सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह

  • कमलनाथ सरकार को बचाने में जुटे दिग्विजय सिंह
  • MLA परिवारों के जरिए सरकार बचाने की कोशिश

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को बचाने के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है. दिग्विजय सिंह के साथ विधायक केपी सिंह कांग्रेस के 16 बागी विधायकों की घर वापसी के लिए बेंगलुरू पहुंच गए हैं और पूरा जोर लगाए हुए हैं. वहीं, मुख्यमंत्री कमलनाथ मध्य प्रदेश में रह कर बागी विधायकों के परिवार के जरिए अपनी सरकार को बचाने की कवायद तेज कर दी है. सीएम कमलनाथ ने खुद कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो खुद वो बागी विधायकों को मनाने के लिए बेंगलुरू जाएंगे.

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और शिवपुरी जिले के पिछोर विधायक केपी सिंह बुधवार सुबह कांग्रेस 16 बागी विधायकों को मनाने के लिए बेंगलुरु पहुंचे, लेकिन उन्हें यहां पुलिस ने रोक लिया. जिसके बाद दिग्विजय सिंह, डीके शिवकुमार समेत अन्य कांग्रेस नेता वहां पर ही धरने पर बैठ गए. बाद में दिग्विजय को हिरासत में भी ले लिया गया, जिसके बाद भूख हड़ताल शुरू कर दी है.

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दिग्विजय और केपी सिंह के बेंगलुरू पहुंचने से सत्ता पर काबिज होने की आस लगाए बैठी बीजेपी में हलचल पैदा हो गई है. कांग्रेस के ये दोनों नेता काफी दिग्गज माने जाते हैं. कांग्रेस मध्य प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं तो केपी सिंह पिछले 25 साल से पिछोर विधानसभा सीट से विधायक बन रहे हैं. केपी सिंह के सिंधिया परिवार से अच्छे रिश्ते हैं तो दिग्विजय सिंह के भी वे करीबी हैं. कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने के बाद भी बागवत की राह को नहीं चुना और केपी सिंह सरकार को बचाने के काम में जुटे हैं. वो कहते हैं कि सरकार बचाने के लिए अपना पूरा प्रयास करूंगा.

दिग्विजय सिंह ने कहा कि वह राज्यसभा के उम्मीदवार हैं और 26 मार्च को मतदान होना है. मेरे विधायकों को यहां पर बंदी बनाकर रखा हुआ है. वो मुझसे बात करना चाहते हैं, लेकिन उनका फोन ही बंद कर दिया गया है. पुलिस मुझे विधायकों से मुलाकात नहीं करने दे रही है, ये विधायकों की सुरक्षा के लिए खतरा है. दिग्विजय ने कहा कि विधायक निजी नागरिक नहीं हैं. वो लाखों जनता और वोटरों के प्रतिनिधि हैं. विधायक को अगर कोई संकट है तो संवैधानिक व्यवस्था है, वे स्पीकर से मिलें, सदन पटल पर बोलें या फिर पार्टी के अधिकृत प्रतिनिधि के सामने अपनी बात रखें. इसके अलावा अन्य कोई भी तरीका लोकतंत्र का अपहरण है.

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दिग्विजय सिंह और केपी सिंह बेंगलुरु में सरकार बचाने की कवायद कर रहे हैं तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में भी बागियों को उनके परिवार के जरिए साधने में कमलनाथ सरकार जुटी है. कमलनाथ सरकार मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर और जीतू पटवारी को बागियों के परिवार के लोगों से संपर्क बनाकर सरकार बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. कांग्रेस के ये दोनों नेता बागियों के परिवार के लोगों से बात करके उन्हें कांग्रेस के साथ रहने के फायदे समझा रहे हैं.

वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक कांग्रेस विधायक मनोज चौधरी के भाई ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की. इस याचिका के तहत विधायक मनोज चौधरी के भाई बलराम चौधरी ने अपने भाई को अवैध तरीके से बेंगलुरु में रखने का आरोप लगाया है. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह इस मामले में दखल दे. इससे पहले विधायक मनोज चौधरी के पिता ने इसी तरह का आरोप लगाया था और वो जीतू पटवारी के साथ अपने बेटे को मनाने के लिए बेंगलुरु पहुंचे थे. हालांकि, बेंगलुरु पुलिस ने उन्हें मनोज चौधरी से मिलने नहीं दिया था.

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