मध्य प्रदेश में जबलपुर के नर्मदा तट के ग्वारीघाट पर अगर कभी आप शाम को घूमने या दर्शन करने जाएं तो वहां पर बड़ी संख्या में बच्चे सीढ़ियों पर एक कतार में बैठे हुए दिख जाते हैं. ये बच्चे इतने अनुशासित दिखाई देते हैं कि सहसा हमें लगता है कि यह मैले कुचले और गंदे कपड़े पहने बच्चे एक लाइन में और कॉपी-किताब के लिए क्यों बैठे हैं?
अगर आप वहां कुछ देर रुकें और उनको देखेंगे तो कुछ देर बाद एक दुबला पतला सा लड़का आता हुआ दिखाई देगा. उसे देखते ही सारे बच्चे भैया-भैया करके उसके पास दौड़ कर जाते हैं. असल में, उस शख्स का नाम पराग दीवान है.
पराग विगत कई वर्षों से नर्मदा तट के ग्वारीघाट पर गरीब और स्कूल न जा सकने वाले बच्चों को निरंतर गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई करवा रहे हैं. थोड़ी ही देर में वहां पर पढ़ाई के लिए एक बोर्ड आ जाता है और बच्चों की पढ़ाई शुरू हो जाती है.
छोटे-छोटे बच्चे बड़े-बड़े प्रश्नों के जवाब जिस आसानी से देते हैं उससे उनकी पढ़ाई का स्तर पता चलता है. ऐसा नहीं है कि वे बच्चे सिर्फ गणित में ही महारत हासिल किए हुए हैं. गणित के साथ ही विज्ञान में भी उन छोटे-छोटे बच्चों ने महारत हासिल कर रखी है.
विज्ञान और सामान्य ज्ञान की भी उन्हें भरपूर जानकारी है.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार पराग बताते हैं कि वह इन बच्चों को विज्ञान और गणित की नई-नई तकनीकों के बारे में पढ़ा रहे हैं. उनका मकसद है कि वे बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल करें. पराग ने बताया कि उन्होंने जब यह बीड़ा उठाया था तब एक या दो बच्चे ही उनसे पढ़ते थे. धीरे धीरे यह आंकड़ा लगभग 150 बच्चों का है हो गया है.
पराग दीवान कहते हैं कि मैं अपने छात्रों में से कम से कम एक को IAS और एक को IPS बनते हुए देखना चाहता हूं. मैं वंचित परिवारों के बच्चों के लिए एक स्कूल खोलने की योजना बना रहा हूं जहां सीनियर छात्र जूनियर्स को पढ़ाएंगे.
Around 120 students attend the class. I want at least one of my students to qualify for IAS and one for IPS. I am planning to open a school for children from underprivileged families where senior students will teach juniors: Parag Deewan in Jabalpur (12.11.2020) https://t.co/BXv8ZwkOVn
— ANI (@ANI) November 13, 2020
ऐसा नहीं है कि इसमें गरीब बच्चे ही आ रहे हैं. उनको पढ़ते देखकर कई अच्छे स्कूलों के बच्चे भी उनकी बताई हुई तकनीक से यहां पढ़ने निरंतर आ रहे हैं. पराग के अनुसार वे वैदिक गणित से बच्चों को छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी संख्या का गुणनफल, गुणा-भाग आदि सिखाते हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता के अनुसार पराग यह निशुल्क शिक्षा विगत कई वर्षों से दे रहे हैं. पराग के पढ़ाने का तरीका इतना अच्छा है कि बच्चे खुद यहां पढ़ने के लिए चले आते हैं.