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झारखंड में स्थानीय नीति की घोषणा, 1985 से राज्य में रहने वाले हुए स्थानीय

झारखंड में स्थानीय नीति की घोषणा कर दी गई है. रघुवर सरकार ने कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया. 1985 से राज्य में रहने वालो को स्थानीय माना गया है. ऐसे में थर्ड ग्रेड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में इन्हें लाभ होगा.

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रघुवर दास, सीएम, झारखंड
रघुवर दास, सीएम, झारखंड

झारखंड में स्थानीय नीति की घोषणा कर दी गई है. रघुवर सरकार ने कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया. 1985 से राज्य में रहने वालो को स्थानीय माना गया है. ऐसे में थर्ड ग्रेड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में इन्हें लाभ होगा.

झारखंड मे स्थानीय नीति गले की फांस बन गयी थी. हर राजनीति दल यह सोच रहा है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधें लेकिन गुरुवार को रघुवर सरकार ने राज्य बनने के 16 साल बाद इस पर मुहर लगा दी.

झारखंड में भौगौलिक, सामाजिक और भाषा के कारण बहुत ही विभिन्नताएं हैं. पहले बंगाल, उड़ीसा और फिर बिहार से अलग होने के कारण इन तीनों राज्य का प्रभाव कहीं न कहीं झारखंड में है.

कई को मिलेगा उनका अधिकार
राज्य में 24 प्रतिशत आदिवासी, 10 प्रतिशत हरिजन और 20 प्रतिशत बाहर से आकर बसे लोगों के अलावा करीब 46 प्रतिशत मूलवासी रहते हैं. आदिवासी और हरिजन के लिए तो आरक्षण नीति लागू है जिससे उन्हें लाभ मिल जाता है, लेकिन ब्राह्मण, राजपूत, तेली, कुर्मी, वैश्यजाति और मुस्लिम अपने अधिकार से वंचित रह जाते हैं. वैसे इस मामले में राजनीति फिर से शुरू हो सकती है. वैसे एक बड़ा वर्ग चाहता है की 1932 के सर्वे में जिनका नाम हो उसे मूलवासी स्थानीय माना जाए.

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नीति पर विरोध कायम
जबकि कुछ लोगों की राय थी की उस परिवार को जो 1952 के पहले आकर बसा हो, जिसके परिवार का 1952 से वोटर लिस्ट में नाम हो या उसी समय उनके परिवार के लोग झारखंड के किसी जिले से मैट्रिक पास किये हों या जिन्हें तीन खतियानधारी प्रमाणित करे कि अमुक परिवार 1952 के पहले से रह रहे हैं, उन्हें स्थायी स्थानीय माना जाना चाहिए. वहीं कुछ चाहते थे की 15 नवम्बर 2000 जो इसके पहले आकर बसे हों या जो उसके पहले मैट्रिक पास किए हो और उनका पता झारखण्ड का हो. उसे स्थानीय माना जाए. गौरतलब है की स्थानीय नीति को लेकर ही 2002 में झारखंड में जमकर खून खराबा हुआ था और राज्य के पहले मुख्य्मंत्री बाबूलाल मरांडी को गद्दी छोड़नी पड़ी थी.

सरकार ने स्थानीय निवासी की परिभाषा में कहा है की

1- झारखंड के भौगोलिक सीमा में निवास करने वाले वैसे सभी व्यक्ति, जिनका स्वयं अथवा पूर्वज के नाम पर गत सर्वे खतियान में दर्ज हो एवं वैसे मूल निवासियों जो भूमिहीन है ग्रामसभा द्वारा पहचान की जाने पर स्थानीय है.

2- जो व्यापार, नियोजन और अन्य कारणों से राज्य में 30 सालों से निवास करते हों और अचल सम्पति अर्जित किया हो या ऐसे व्यक्ति की संतान स्थानीय है.

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3- झारखंड राज्य सरकार अथवा राज्य सरकार द्वारा संचालित संस्थानों/निगम में नियुक्त कर्मचारी/अधिकारी या उनकी पत्नी/संतान.

4- किसी सवैधानिक अथवा विधिक पदों पर नियुक्त नियुक्त कर्मचारी/अधिकारी या उनकी पत्नी/संतान.

5- भारत सरकार के अधिकारी कर्मचारी जो झारखंड में कार्यरत हो उनके कर्मचारी/अधिकारी या उनकी पत्नी/संतान.

6- जिनका झारखंड में जन्म हुआ या पढाई की.

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