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झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का निधन, दिल्ली के अपोलो अस्पताल में चल रहा था इलाज

झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का 62 साल की आयु में निधन हो गया. उनका दिल्ली में इलाज चल रहा था. वह बाथरूम में गिरने से घायल हो गए थे, जिनके बाद इलाज के लिए उन्हें 2 अगस्त को दिल्ली लाया गया था.

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दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रामदास सोरेन ने ली अंतिम सांस (Photo: Instagram/@Ramdas_soren_minister)
दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रामदास सोरेन ने ली अंतिम सांस (Photo: Instagram/@Ramdas_soren_minister)

झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का शुक्रवार को निधन हो गया. उनका इलाज दिल्ली के अपोलो अस्पताल में बीते 15 दिनों से चल रहा था. उन्होंने 62 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. 

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के राष्ट्रीय प्रवक्ता कुणाल सारंगी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत करते हुए कहा कि राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का दिल्ली में इलाज के दौरान निधन हो गया. 

जानकारी के अनुसार, उनकी हालत गंभीर थी और वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे. 2 अगस्त को जमशेदपुर स्थित अपने आवास के बाथरूम में गिरने के बाद उन्हें एयरलिफ्ट कर राष्ट्रीय राजधानी लाया गया था.

यह भी पढ़ें: पंचतत्व में विलीन हुए शिबू सोरेन, बेटे हेमंत ने दी मुखाग्नि, तेजस्वी-राहुल भी अंतिम संस्कार में हुए शामिल

Ramdas soren
2 अगस्त को जब दिल्ली के अस्पताल में भर्ती हुए थे रामदास सोरेन (File Photo: PTI)

दिल्ली के अस्पताल में वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम उनकी स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए थी और उन्हें गहन चिकित्सा सुविधा प्रदान कर रही थी.

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रामदास सोरेन का जन्म 1 जनवरी 1963 को पूर्वी सिंहभूम जिले के घोड़ाबांदा गांव में एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने अपना राजनीतिक सफर घोड़ाबांदा पंचायत के ग्राम प्रधान के रूप में शुरू किया और धीरे-धीरे हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल के सबसे प्रभावशाली मंत्रियों में से एक बन गए. सोरेन ने 2009 में घाटशिला से चुनाव जीतकर पहली बार झारखंड विधानसभा की सदस्यता पाई. हालांकि 2014 में उन्हें बीजेपी के लक्ष्मण टुडू से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2019 में उन्होंने वापसी की और सीट दोबारा जीत ली.

2024 में उन्होंने बीजेपी के बाबूलाल सोरेन (पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेटे) को हराकर तीसरी बार जीत हासिल की. 30 अगस्त को चंपाई सोरेन के मंत्री और विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद, उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और हेमंत सोरेन सरकार में स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग का मंत्री बनाया गया.

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