जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री और शीर्ष पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने राज्य विधानसभा में दिए एक जवाब में कहा है कि 2017 में आतंकी गतिविधियों में शामिल होने वालों की संख्या बढ़ी है. मुफ्ती ने विधानसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में 2015, 2016 और 2017 में आतंकियों के साथ जाने वाले कश्मीरी युवाओं की संख्या की जानकारी दी है.
मुफ्ती विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद सागर के एक सवाल का जवाब दे रही थीं. उन्होंने कहा कि 2015 में 66, 2016 में 88 और 2017 में 126 युवाओं ने आतंकियों के साथ हाथ मिलाया है.
Number of youths who joined militancy in 2017 is 126, while in 2016 the number was 88 and in 2015, it was 66: J&K CM Mehbooba Mufti in written reply in the state assembly. (File Pic) pic.twitter.com/lfpTRewhFx
— ANI (@ANI) February 6, 2018
2014 में बीजेपी केंद्र में आई है, लेकिन इसके बाद से ही आतंकियों से हाथ मिलाने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है. बीजेपी 2014 में राज्य में हुए चुनावों के बाद पीडीपी के साथ सरकार में भी शामिल है.
राज्य के युवाओं के आतंकी संगठनों में भर्ती होने के पिछले सात सालों के आंकड़े मौजूद हैं. इससे पहले, खबरें आई थीं कि 2017 में पिछले सात सालों के सबसे ज्यादा कश्मीरी युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए थे. हालांकि राज्य के डीजीपी एसपी वैद ने इससे इनकार किया था, पर मुफ्ती के बयान से इसकी पुष्टि हो गई है.
पिछले साल संसद में रखे गए एक और आंकड़े में कहा गया था कि 2011, 2012 और 2013 के मुकाबले 2014 में ज्यादा कश्मीरी युवाओं ने आतंकी संगठनों से हाथ मिलाया था. और अब पता चला है कि 2014 के बाद से यह संख्या और भी चिंताजनक तौर पर बढ़ती जा रही है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2010 में 54, 2011 में 23, 2012 में 21 और 2013 में 16 कश्मीरी युवाओं ने आतंकी संगठनों को ज्वॉइन किया था. 2014 में इनकी संख्या बढ़कर 53 हो गई और 2015 में यह संख्या 66, 2016 में 88 और 2017 में 126 तक पहुंच गई.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर में जुलाई 2016 में हिज्बुल मुजाहिद्दीन के पोस्टर ब्वॉय बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद से आतंकी संगठन युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा समय में और 1990 के दशक में घाटी में फैलते आतंकवाद में अंतर है. उन्होंने कहा कि आज, युवा यह जानते हुए कि उनकी हत्या भी हो सकती है, आतंकियों के साथ जाना पसंद कर रहे हैं. यह काफी चिंता की बात है.