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किश्तवाड़ फ्लैश फ्लड: मचैल माता मंदिर की यात्रा के लिए जुटे थे हजारों श्रद्धालु, फ्लैशफ्लड में बह गया लंगर का पूरा टेंट

इसी बीच, जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है. यहां पाडर इलाके के चशोटी में एक भयंकर बादल फटा है, जिससे भारी तबाही हुई है. शुरुआती जानकारी के अनुसार, इस घटना में लगभग 12 लोगों के मारे जाने की आशंका है.

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किश्तवाड़ के चशोटी गांव में बादल फटने की घटना सामने आई है (Photo: Screengrab)
किश्तवाड़ के चशोटी गांव में बादल फटने की घटना सामने आई है (Photo: Screengrab)

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले से बड़ी खबर सामने आई है. पाडर इलाके के चशोटी गांव में गुरुवार को भीषण बादल फटने (Cloudburst) की घटना हुई, जिसमें कई लोगों के मारे जाने और लापता होने की आशंका है. यह हादसा उस समय हुआ जब हजारों श्रद्धालु मचैल माता यात्रा के लिए पहुंचे थे. यह बादल वहीं फटा है जहां यात्रा का पहला पड़ाव था.

मंदिर के बाहर लंगर के लिए लगाए गए कई टेंट तेज बाढ़ के पानी में बह गए और पूरी सड़क भी इस हादसे में साफ हो गई. स्थानीय विधायक के अनुसार, हादसे के समय वहां हजार से ज्यादा श्रद्धालु मौजूद थे. 

तेज बारिश और मलबे में कई लोग फंस गए, जबकि नदी किनारे खड़े वाहन और सामान भी बह गए. बीजेपी नेता और स्थानीय विधायक सुनील शर्मा ने बताया कि कम से कम 12 लोगों के मारे जाने की आशंका है, हालांकि आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है.

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह का बयान

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने किश्तवाड़ के डिप्टी कमिश्नर पंकज कुमार शर्मा से बात की और तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि प्रशासन अलर्ट पर है और रेस्क्यू व मेडिकल टीमों को घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया गया है.

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यह भी पढ़ें: LIVE: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में धराली जैसी आपदा, बादल फटने से 12 की मौत की आशंका

पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने बताया कि पहाड़ों के भीतर स्थित यह बहुत बड़ा गांव है और जहां बड़ी संख्या में लोग रहते हैं. इसके अलावा वहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी एकत्र थे.

बड़े पैमाने पर चलाया गया रेस्क्यू ऑपरेशन

जानकारी के अनुसार, जिस इलाके में यह आपदा आई है वहां राहत और बचाव कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है. प्रभावित गांव की आबादी काफी बड़ी है और बादल फटने के बाद उसका आधे से ज्यादा हिस्सा पानी और मलबे में समा गया है. गांव तक पहुंचने वाले रास्ते भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिससे रेस्क्यू टीमों को मौके पर पहुंचने में भारी दिक्कतें आ रही हैं.

पिछले करीब 15 दिनों से पुंछ, राजौरी और डोडा जैसे पहाड़ी जिलों में लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है. यही वजह है कि मचैल माता मंदिर जाने वाली यात्रा का मार्ग भी प्रभावित हुआ है. हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने सेना की डेल्टा फोर्स की टुकड़ियों, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को भी राहत और बचाव कार्य के लिए तैनात करने का निर्णय लिया है. कोशिश की जा रही है कि जल्द से जल्द फंसे हुए लोगों तक मदद पहुंचाई जा सके.

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मचैल माता मंदिर की धार्मिक मान्यता

आपको बता दें कि मचैल माता मंदिर जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले के पाडर उपखंड में स्थित है. यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 9,500 फीट की ऊँचाई पर बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाओं के बीच बसा हुआ है. यहां माता चंडी (दुर्गा) की पूजा होती है. भक्त मानते हैं कि मां चंडी यहां शक्तिस्वरूपा पिंडी रूप में विराजमान हैं.

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मचैल यात्रा (Machail Yatra)

हर साल सावन महीने में हजारों श्रद्धालु "मचैल यात्रा" करते हैं. यह यात्रा जम्मू-कश्मीर की अमरनाथ यात्रा की तरह ही आस्था और कठिनाई दोनों से जुड़ी हुई है. यात्रा का मार्ग – भक्त किश्तवाड़ या गुलाबगढ़ से पैदल या घोड़ों के सहारे लगभग 30-35 किलोमीटर का ट्रैक पार कर मंदिर तक पहुंचते हैं.

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