
हरियाणा में पिछले 75 दिनों से संघर्ष कर रही आंगनवाड़ी वर्कर के हौसले और जज्बे के आगे आम लोग हैरान हैं. दिसंबर और जनवरी की सर्द हवाओं के बीच तंबू के नीचे रात गुजारना, उसके बाद दिन में अपनी हक की लड़ाई के लिए नारेबाजी करना, पुलिस से दो-दो हाथ करना. इसके बावजूद प्रदेश भर की 52 हजार आंगनवाडी वर्कर आज भी अपने हक की लड़ाई के लिए करनाल लघु सचिवालय के सामने डटे हुए हैं.

कब शुरू हुआ था ये प्रदर्शन?
पिछले 14 फरवरी से करनाल में आंगनवाड़ी वर्कर्स का महापड़ाव चल रहा है जिसमें हर रोज करीब तीन से चार हजार आंगनवाड़ी वर्कर्स प्रदेश भर से आती हैं. यह आंगनवाड़ी वर्कर्स खाने के लिए निर्मल कुटिया गुरुद्वारा में रोजाना तीनों टाइम भंडारा लेती हैं. इसके बाद इनके रहने, बाथरूम और बिजली का इंतजाम जिला प्रशासन द्वारा धरना स्थल के नजदीक ही किया गया है. जिला प्रशासन ने यहां पर 3 अस्थाई शौचालय बनाए हैं जिनमें से 1 शौचालय की टोटियां भी टूट चुकी हैं. इसके अलावा स्नान के लिए तंबू के अंदर यह महिलाएं नहाती हैं. यह तंबू , नहाने की बाल्टी, सब सामान आंगनवाड़ी वर्कर अपना ही खरीद कर लाई हैं. आंगनवाड़ी वर्कर्स की लड़ाई कितनी लंबी चल सकती है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आंगनवाड़ी वर्कर्स ने सेक्टर 12 पार्क में अपना अस्थाई प्रदेश कार्यालय भी बना लिया है.

आंगनवाड़ी वर्कर अपने बिस्तर लगा कर रात को सोती हैं और आंगनवाड़ी वर्कर का कहना है कि सैकड़ों महिलाओं के यहां रहने के बावजूद फुल सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं. निर्मल कुटिया में भंडारा लेने के बाद यह आंगनवाड़ी वर्कर्स धरना स्थल पर ही सोती हैं. हालांकि इनके लिए आंगनवाड़ी वर्कर यूनियन ने इंतजाम किए हैं लेकिन खुले आसमान तले हवाओं के बीच रहना इतना आसान नहीं है. कुल मिलाकर कहा जाए तो जिस तरह किसान आंदोलन में किसान डटे रहे उसी तरह आंगनवाड़ी वर्कर्स भी डटी हैं.

8 सितंबर 2021 से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे आंगनवाड़ी वर्कर्स ने 14 फरवरी 2022 को सीएम सिटी करनाल में अपना महापड़ाव डाल दिया. आंगनवाड़ी वर्कर्स की महापड़ाव में रोजाना करीब 1000 महिलाओं को करनाल के फाउंटेन पार्क में रात को रुकना होता है, जहां प्रशासन ने सुधारों के नाम पर कुछ खास इंतजाम नहीं कर रखे हैं मतलब 1000 महिलाओं के लिए गिनती के शौचालय हैं. नहाने के लिए इन महिलाओं ने खुद ही टूटे हुए फाउंटेन के चारों तरफ तंबू लगाकर इंतजाम किया है.

ये हैं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांगें-
-वर्कर से सुपरवाइजर के रूप में 50 प्रतिशत की पदोन्नति बिना किसी शर्त के लागू हो.
-केंद्रों का बढ़ा किराया ग्रामीण क्षेत्र में 2000, कस्बे में 3000 और शहरों में 5000 रुपये मिले.
-वर्कर और हेल्पर की वर्दी की राशि बढ़ाकर 2000 रुपये की जाए.
-ईंधन की राशि को बढ़ाया जाए या गैस सिलिंडर विभाग भरवाकर दे.
-वर्कर और हेल्पर को सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिले. जब तक दर्जा नहीं मिलता तब तक न्यूनतम वेतन वर्कर को 24 हजार और हेल्पर को 16 हजार रुपये मिले.
-2018 में की गई घोषणाओं को लागू करते हुए महंगाई भत्ते की सभी किस्त मानदेय में जोड़कर दें और महंगाई भत्ते का बकाया एरियर भी तुरंत मिले.
-विभाग बिना मोबाइल फोन और अन्य संसाधन दिए ऑनलाइन काम न करवाए. इस बारे में उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन हो.
आंगनवाड़ी वर्कर्स का कहना है कि सरकार जानबूझकर उन्हें परेशान कर रही है और सरकार चाहती है कि आंगनवाड़ी वर्कर अवस्थाओं से तंग आकर यहां से चली जाएं लेकिन न वो जाएंगी और ना ही यहां से पीछे हटेंगी. जब तक सरकार उनकी मांगे नहीं मानती, उनका महापड़ाव यूं ही जारी रहेगा. इसी बीच आंगनवाड़ी वर्कर्स यूनियन की करनाल जिला अध्यक्ष बिजनेस राणा का कहना है कि सरकार का फर्ज बनता है आंदोलन करने वालों को मूलभूत सुविधाएं देना लेकिन यहां पर तो पानी शौचालय और खाने के इंतजाम भी प्रशासन नहीं कर पाया.
लेकिन इन मांगों के बीच जब हरियाणा सरकार ने जवाब मांगा गया तो साफ कहा गया कि हरियाणा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को अपने हिस्से के मानदेय में सर्वाधिक 9961 रुपये का मासिक योगदान दे रहा है. जबकि इसमें केंद्र का हिस्सा 2700 रुपए है. यह योजना केन्द्र व राज्य सरकारों की 60:40 भागीदारी पर चलाई जा रही है.
सरकार के प्रवक्ता की माने तो हरियाणा सरकार आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को प्रति मास 12661 रुपए, मिनी आंगनवाड़ी वर्कर को 11401 रु व सहायिका को 6781 रुपए मानदेय दे रही है. यह मानदेय केंद्र के शेयर को मिलाकर है. हरियाणा सरकार द्वारा आंगनवाड़ी वर्कर व हेल्पर को जो मानदेय दिया जा रहा है वह उत्तर भारत के राज्यों में सर्वाधिक व देशभर में दूसरे स्थान पर है.
सरकार बोली- सर्वाधिक मनोदय दे रहे
प्रवक्ता ने बताया कि हरियाणा की अपेक्षा तमिलनाडु में आंगनवाड़ी वर्कर को 12200 रुपए, छत्तीसगढ़ में 6500 रुपए, मध्यप्रदेश में 10 हजार रुपए, पश्चिम बंगाल में 8250 और पंजाब में 9500 रुपए मानदेय दिया जा रहा है जो कि हरियाणा से काफी कम है. इसी तरह मिनी आंगनवाड़ी वर्कर को हरियाणा में 11401 रुपए मानदेय दिया जा रहा है. जबकि तमिलनाडु में 9400 रुपए, तेलंगाना में 7800 रुपए, छत्तीसगढ़ में 4500 रुपए, मध्यप्रदेश में 5750 रुपए और पंजाब में 6300 रुपए मानदेय दिया जा रहा है. आंगनवाड़ी हेल्पर की बात करें तो हरियाणा में आंगनवाड़ी हेल्पर को 6781 रुपए मानदेय दिया जा रहा है. हरियाणा की तुलना में छत्तीसगढ़ में आंगनवाड़ी हेल्पर को 3250 रुपए, मध्यप्रदेश में 5000 रुपए, पश्चिम बंगाल में 4800 रुपए और पंजाब में 5000 रुपए मानदेय दिया जा रहा है. इन आंकड़ों से जाहिर हो रहा है कि हरियाणा में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को अन्य राज्यों की अपेक्षा ज्यादा वेतन और सुविधाएं मिल रही हैं.
दूसरे राज्यों का दिया हवाला
इस सब के अलावा सरकार के प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि हरियाणा सरकार ने पिछले दिनों आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनवाड़ी सहायिकाओं के हक में कई घोषणाएं भी की हैं. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सेवानिवृति पर 1 लाख रुपए तथा आंगनवाड़ी सहायिकाओं को 50 हजार रुपए की राशि प्रदान करने की घोषणा की गई है. इसके अलावा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को दुर्घटना होने उपरांत 2 लाख रुपए की राशि प्रदान करने की घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा की गई है. वहीं जो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता 10 वर्ष से अधिक सेवा का अनुभव रखती है उन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को वरिष्ठता एवं लिखित परीक्षा के आधार पर पॉलिसी के अनुसार पदोन्नत करने की घोषणा की गई है.
ये भी जानकारी दी गई है कि कोविड 19 महामारी के दौरान आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं द्वारा पूर्व में की गई ड्यूटी के लिए 1000 रुपए की एक मुश्त राशि प्रोत्साहन स्वरूप प्रदान करने की मुख्यमंत्री द्वारा घोषणा की गई है. हरियाणा सरकार द्वारा किसी आंगनवाड़ी वर्कर की छंटनी नहीं की जा रही है. साथ ही आईसीडीएस के निजीकरण की भी कोई योजना नहीं है.