नवरात्र का त्योहार पूरे देश में उल्लास के साथ मनाया जा रहा है, लेकिन गुजरात की नवरात्र की अलग ही पहचान है. यहां एक ओर आधुनिक गरबा आयोजनों की धूम रहती है, वहीं दूसरी ओर यहां की प्राचीन परंपराएं भी बड़े ही गर्व और शान के साथ निभाई जाती हैं. ऐसा ही अद्भुत नज़ारा देखने को मिला राजकोट के राजवी पैलेस में, जहां पिछले 18 वर्षों से परंपरा के रूप में नवरात्र के तीसरे दिन तलवार रास का आयोजन किया जाता है.
इस आयोजन की खासियत यह है कि इसमें 200 से अधिक क्षत्रिय युवतियां हिस्सा लेती हैं और पारंपरिक परिधान में तलवारों के साथ अद्भुत रास प्रस्तुत करती हैं. उनका यह प्रदर्शन मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है. इस बार भी युवतियों ने न केवल जमीन पर बल्कि टू-व्हीलर और जीप पर सवार होकर स्टंट करते हुए तलवार रास खेला. युवतियों का यह अद्भुत कौशल देखकर देखने वाले तालियां बजाने लगे, पूरा माहौल गूंज उठा.
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इस भव्य आयोजन को देखने के लिए शहर के गणमान्य लोगों के साथ-साथ आम लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचे थे. आयोजन स्थल पर हजारों की भीड़ थी. तलवार रास के लिए दो महीने पहले से ही कठिन अभ्यास कराया जाता है, ताकि प्रदर्शन के दौरान कोई चूक न हो.

राजकोट राज परिवार की महारानी कादंबरी देवी ने बताया कि पिछले 18 वर्षों से राजवी पैलेस में तलवार रास का आयोजन हो रहा है. इसका उद्देश्य हमारी प्राचीन संस्कृति और गौरवशाली इतिहास को नई पीढ़ी तक पहुंचाना है. उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल एक परंपरा है, बल्कि हमारी धरोहर भी है, जिसे जीवित रखना बहुत जरूरी है.

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इस आयोजन में हिस्सा लेने वाली क्षत्रिय युवतियां भी गर्व से लबरेज दिखाई दीं. जानकी बा झाला ने कहा कि तलवार रास का अनुभव ही अनोखा होता है. वहीं शिवानी बा सरवैया ने कहा कि यह केवल एक प्रस्तुति नहीं, बल्कि हमारी बहादुरी और परंपरा का प्रतीक है.
इसी तरह कुमारी मयूरिका बा और अर्पिता बा गोहिल ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस आयोजन का हिस्सा बनना सम्मान की बात है. हर वर्ष की तरह इस बार भी राजवी पैलेस का तलवार रास पूरे गुजरात ही नहीं, बल्कि देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. यह आयोजन नवरात्र की आध्यात्मिकता, शौर्य और संस्कृति का अद्भुत संगम है, जिसने राजकोट ही नहीं, बल्कि पूरे गुजरात को गौरवान्वित किया है.