सूरत शहर के पांडेसरा इलाके में रविवार शाम एक चौंकाने वाली घटना सामने आई. ड्रीम चिल्ड्रन एंड जनरल हॉस्पिटल में भर्ती कराने को लेकर हुए विवाद में एक परिजन ने गुस्से में आकर डॉक्टर को लगातार 12 थप्पड़ जड़ दिए. पूरी घटना अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.
जानकारी के मुताबिक, रविवार को पांडेसरा इलाके में रहने वाला राजकुमार उर्फ बाबा विश्वकर्मा अपने तीन साल के बेटे को लेकर ड्रीम चिल्ड्रन हॉस्पिटल पहुंचा. उसे शक था कि उसके बच्चे ने जहरीली दवा खा ली है. बच्चे की स्थिति देखकर ड्यूटी पर मौजूद असिस्टेंट डॉक्टर मनोज प्रजापति ने परिजन को बताया कि बच्चे की हालत गंभीर हो सकती है, इसलिए उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ेगा और जरूरत पड़ने पर बड़े अस्पताल रेफर करना होगा.
राजकुमार इस सलाह से नाराज होकर बिना इलाज कराए बच्चे को लेकर वहां से चला गया. बाद में वह अपने बेटे को दूसरे निजी अस्पताल ले गया, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद कहा कि बच्चे ने कोई जहरीली दवा नहीं खाई है. इसी बात से भड़ककर वह दोबारा ड्रीम हॉस्पिटल पहुंचा और डॉक्टर मनोज प्रजापति से बहस करने लगा.
डॉक्टर को जड़े 12 थप्पड़
अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है कि राजकुमार डॉक्टर के केबिन में दाखिल होता है और कुछ ही देर में बहस शुरू हो जाती है. जैसे ही डॉक्टर ने उसे शांत रहने के लिए कहा, गुस्से में राजकुमार ने डॉक्टर पर हाथ उठा दिया. उसने लगातार 10 से 12 बार थप्पड़ मारे और गाली-गलौज भी की. इस दौरान अस्पताल की नर्सिंग स्टाफ बीच-बचाव के लिए आगे आई, लेकिन आरोपी तब तक डॉक्टर को बुरी तरह पीट चुका था.
पुलिस ने की कार्रवाई
डॉक्टर की पिटाई के बाद अस्पताल प्रबंधन ने तुरंत पांडेसरा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने आरोपी राजकुमार विश्वकर्मा को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद उसने हाथ जोड़कर अपनी गलती मानी और माफी मांगी.
सूरत पुलिस की डीसीपी निधि ठाकुर ने बताया कि रविवार शाम करीब साढ़े छह बजे की इस घटना के बाद आरोपी को हिरासत में ले लिया गया है. पुलिस ने आईपीसी की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है और आगे की कार्रवाई जारी है.
अस्पताल प्रबंधन का बयान
ड्रीम चिल्ड्रन एंड जनरल हॉस्पिटल के ऑनर डॉक्टर ड्रीम पटेल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमारे असिस्टेंट डॉक्टर मनोज प्रजापति ने परिजन को सिर्फ यह समझाया था कि जहरीली दवा का मामला होने पर बच्चे को कम से कम 24 से 48 घंटे ऑब्जर्वेशन में रखना पड़ता है. जरूरत पड़ने पर मरीज को बड़े अस्पताल भी भेजा जाता है. इसके बावजूद परिजन ने गलतफहमी और गुस्से में डॉक्टर पर हमला कर दिया.
डॉ. पटेल ने कहा कि डॉक्टर बनना आसान नहीं है. डॉक्टर अपनी मेहनत और त्याग से इस पेशे में आते हैं. ऐसे में उन पर हमला करना अक्षम्य अपराध है. उन्होंने मांग की कि पुलिस आरोपी पर कड़ी कार्रवाई करे ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.