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नवरात्रि की आठवीं रात पुरुष श्रृंगार कर साड़ी पहनकर खेलते हैं गरबा, जानें 200 साल पुरानी परंपरा की वजह

अहमदाबाद के शाहपुर स्थित सदू माता की पोल में नवरात्रि की आठवीं रात एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है. यहां पुरुष साड़ी पहनकर गरबा खेलते हैं। यह परंपरा पिछले 200 सालों से जारी है. मान्यता है कि सदूबेन नाम की महिला के श्राप के बाद बारोट समुदाय ने उन्हें माता का दर्जा दिया और आज भी यह प्रथा निभाई जाती है.

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पुरुष साड़ी पहनकर खेलते हैं गरबा (Photo: Screengrab)
पुरुष साड़ी पहनकर खेलते हैं गरबा (Photo: Screengrab)

अहमदाबाद में नवरात्रि के अवसर पर पूरे गुजरात में गरबा की धूम रहती है, लेकिन शाहपुर के सदू माता की पोल में नवरात्रि की आठवीं रात एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है. यहां पुरुष साड़ी पहनकर पारंपरिक गरबा खेलते हैं. यह परंपरा करीब 200 साल से लगातार निभाई जा रही है. 

स्थानीय लोगों के अनुसार इस परंपरा की शुरुआत सदूबेन नाम की महिला की कहानी से जुड़ी है. बताया जाता है कि करीब दो सौ साल पहले मराठा सेना से बचाने में बारोट समुदाय असफल रहा था. इस दौरान सदूबेन ने दुखद परिस्थितियों में प्राण त्याग दिए और अपने समुदाय को श्राप दिया. बाद में बारोट समुदाय की पीढ़ी आगे नहीं बढ़ पाई. इसके बाद समुदाय ने सदूबेन को माता का दर्जा दिया और उनकी पूजा शुरू की.

साड़ी पहनकर पुरुष खेलते हैं गरबा 

श्राप से मुक्ति और सदूबेन के प्रति सम्मान जताने के लिए हर साल नवरात्रि की आठवीं रात पुरुष साड़ी पहनकर श्रृंगार करते हैं और गरबा खेलते हैं. इसे ही सदू माता की परंपरा कहा जाता है.

200 साल से चली आ रही है परंपरा

आज भी इस परंपरा को निभाने के लिए दूर-दराज से लोग यहां आते हैं. श्रद्धालु मानते हैं कि सदू माता में आस्था रखने और मानता पूरी करने के बाद पुरुष साड़ी पहनकर गरबा खेलते हैं. यह नजारा हर साल हजारों लोगों को आकर्षित करता है. नवरात्रि की रौनक के बीच सदू माता की पोल की यह परंपरा अहमदाबाद की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखे हुए है.

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