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18 अकाउंट, 28 एफडी, 18 करोड़ फ्रीज, 55 लाख की निकासी... चैतन्यानंद के पास कहां से आई इतनी दौलत, जांच में क्या सामने आया

छात्राओं के साथ यौन शोषण और धोखाधड़ी के मामले में फरार चल रहे चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ जांच में बेशुमार दौलत का खुलासा हुआ है. उसके 18 बैंक अकाउंट, 28 फिक्स्ड डिपॉजिट का पता चला है, जिनमें करीब 18 करोड़ रुपये जमा पाए गए. एफआईआर दर्ज होने के बाद अलग-अलग नामों से ऑपरेट खातों से करीब 55 लाख रुपये भी निकाले गए. आखिर चैतन्यानंद के पास इतनी दौलत कहां से आई.

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चैतन्यानंद के पास कहां से आई बेशुमार दौलत. (File Photo: ITG)
चैतन्यानंद के पास कहां से आई बेशुमार दौलत. (File Photo: ITG)

खुद को धार्मिक गुरु बताने वाले और फरार चल रहे स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. 62 साल के चैतन्यानंद पर न सिर्फ 17 छात्राओं से यौन शोषण का आरोप है, बल्कि उस पर पैसों की धोखाधड़ी और ट्रस्ट की आड़ में करोड़ों की हेराफेरी का भी मामला दर्ज है. दिल्ली पुलिस ने उसकी संपत्ति और बैंक खातों की जांच में अब तक जो तस्वीर पेश की है, उसने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं.

एजेंसी के अनुसार, पुलिस ने कहा कि चैतन्यानंद के नाम और उससे जुड़े ट्रस्ट के नाम पर 18 बैंक अकाउंट और 28 फिक्स्ड डिपॉजिट की पहचान की गई है. इन खातों में कुल मिलाकर लगभग 18 करोड़ रुपये पाए गए हैं, जिन्हें पुलिस ने फ्रीज कर दिया है. 

इनमें से ज्यादातर रकम ‘श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट’ के जरिए जमा की गई थी. जांच में सामने आया है कि यह ट्रस्ट दान और चंदे के नाम पर भारी भरकम रकम जुटा रहा था, लेकिन इन पैसों का इस्तेमाल संस्थान या ट्रस्ट की गतिविधियों पर नहीं, बल्कि निजी फायदे के लिए किया जा रहा था.

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एफआईआर दर्ज होने के बाद 55 लाख की निकासी

चौंकाने वाली बात यह है कि अगस्त में चैतन्यानंद के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद उसने अलग-अलग नामों से खोले गए खातों के जरिए करीब 55 लाख रुपये निकाल लिए. जांचकर्ताओं का कहना है कि उसने बैंक में खाता खोलते समय अलग-अलग दस्तावेज जमा किए और एक ही खाते को कभी एक नाम, तो कभी दूसरे नाम से ऑपरेट किया. यह तरीका उसने पैसों की हेराफेरी को छुपाने के लिए अपनाया.

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कोर्ट ने खारिज की अग्रिम जमानत

दिल्ली की एक अदालत ने चैतन्यानंद की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. अदालत ने कहा कि मामले की जांच शुरुआती दौर में है और आरोपी की कस्टोडियल इंटरोगेशन जरूरी है, ताकि धोखाधड़ी, जालसाजी और षड्यंत्र की पूरी कहानी सामने आ सके. अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि आरोपी अपने पते पर मौजूद नहीं है और उसका मोबाइल फोन भी बंद है.

छात्राओं पर शिकंजा कसने का तरीका

यौन शोषण के मामले में छात्राओं और उनके परिजनों ने जो बयान दिए हैं, वे और भी डराने वाले हैं. पीड़ित छात्राओं ने बताया कि चैतन्यानंद ने संस्थान में पढ़ने वाली छात्राओं से पहले मोबाइल फोन और मूल प्रमाणपत्र जमा कराए. फोन लेने का बहाना था कि छात्राएं पढ़ाई पर ध्यान देंगी, लेकिन असल मकसद उन पर पूरी तरह निगरानी और कंट्रोल रखना था. छात्राओं के सभी मूल सर्टिफिकेट संस्थान में जमा कर लिए जाते थे. यह सर्टिफिकेट तभी लौटाए जाते, जब छात्राएं कोर्स पूरा करतीं. इससे छात्राओं में यह डर बैठ गया कि अगर वे चैतन्यानंद के खिलाफ आवाज उठातीं तो उनके भविष्य पर संकट आ जाएगा.

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यह भी पढ़ें: 'मैं 21 साल की थी… स्वीट गर्ल कहकर बुलाता था चैतन्यानंद…' साल 2016 की FIR में पीड़िता की आपबीती

कई पीड़िताओं ने आरोप लगाया कि उन्हें न सिर्फ धमकाया जाता था, बल्कि असहमति जताने पर फेल करने या संस्थान से निकालने की धमकी दी जाती थी. एक छात्रा के दोस्त ने बताया कि जिन छात्राओं ने विरोध किया, उन्हें घंटों खड़ा रखा जाता और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता. यहां तक कि एक लड़की के भागने पर उसके रिश्तेदारों और घर तक में चैतन्यानंद के लोग तलाश करने पहुंचे थे.

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पुलिस की जांच और पीड़ित छात्राओं के बयानों से यह भी साफ हुआ है कि चैतन्यानंद ने संस्थान में अपने वफादारों का नेटवर्क खड़ा कर रखा था. कई शिक्षकों और अन्य पदों पर नियुक्ति बिना योग्यता के की गई थी, सिर्फ इसलिए ताकि वे उसकी हर बात मानें. उसके करीबी सहयोगियों में से कई उसके ही पूर्व छात्र थे. यहां तक कि एक सहयोगी महिला के पति और बहन को भी संस्थान में पद दे दिया गया.

सस्ती फीस के नाम पर ठगी

मार्च 2025 में ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) कोटे से दाखिला लेने वाली एक छात्रा ने शिकायत की थी कि उससे 60 हजार रुपये दान के नाम पर लिए गए, फिर भी दोबारा 60 हजार रुपये मांगे गए. जब उसने इंकार किया तो उसे धमकी दी गई कि या तो वह मुफ्त में एक साल काम करे या कॉलेज छोड़ दे.

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हाई-प्रोफाइल संपर्कों का दिखावा

आरोपों में यह भी सामने आया कि चैतन्यानंद खुद को अरबपति और बड़े नेताओं व विदेशी मेहमानों का करीबी बताता था. वह अक्सर कहता कि उसके संपर्क इतने बड़े हैं कि उसके खिलाफ आवाज उठाने वालों का करियर और भविष्य तुरंत खत्म हो सकता है.

यौन शोषण की शिकायत कैसे सामने आई?

पूरे मामले का खुलासा तब हुआ, जब वायुसेना के एक ग्रुप कैप्टन ने शिक्षा निदेशालय को एक ईमेल भेजा. इस ईमेल में 30 से अधिक छात्राओं के बयान शामिल थे, जिनमें उन्होंने चैतन्यानंद पर यौन शोषण, धमकी और डराने-धमकाने के गंभीर आरोप लगाए. इसके बाद 4 अगस्त को उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.

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फिलहाल जांच किस मोड़ पर है?

दिल्ली पुलिस ने चैतन्यानंद के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया है. वह अभी भी फरार है, लेकिन पुलिस की कई टीमें उसकी तलाश में हैं. अब तक की जांच में सामने आया है कि उसने ट्रस्ट और संस्थान की संपत्ति को धोखाधड़ी से अपनी निजी संपत्ति में बदलने की कोशिश की, करोड़ों का चंदा और दान इकट्ठा किया और उसे अपने लिए इस्तेमाल किया.

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर इतनी दौलत आई कहां से? क्या सिर्फ ट्रस्ट के जरिए चंदे और दान से इतनी रकम जमा हुई, या फिर इसके पीछे किसी और नेटवर्क का हाथ है? क्या राजनीतिक या कारोबारी गठजोड़ भी इसमें शामिल है? जांच अभी जारी है, लेकिन अब तक सामने आए खुलासों ने यह साफ कर दिया है कि चैतन्यानंद ने ‘गुरु’ की छवि के पीछे शोषण और धोखाधड़ी का साम्राज्य खड़ा कर रखा था.

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