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चक्रव्यूह तोड़ता रंगमंच पर दिखेगा 'अर्जुन का बेटा'

महाभारत में चक्रव्यूह भेदन बहुत अहम हिस्सा है. अर्जुन का बेटा अभिमन्यु वीरता का परिचय देते हुए चक्रव्यूह में घुस जाता है, इस बात की परवाह किए बिना कि उसे चक्रव्यूह से बाहर निकलना नहीं आता. इस दौरान वो कौरव सेना के दिग्गजों से वीरता पूर्वक लड़ता है और अंत में वीरगति को प्राप्त हो जाता है.

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अर्जुन का बेटा प्ले का एक दृश्य
अर्जुन का बेटा प्ले का एक दृश्य

प्ले का नामः अर्जुन का बेटा
भाषाः हिंदी
निर्देशकः अतुल सत्य कौशिक
लेखकः अतुल सत्य कौशिक
समयः 1 घंटा 35 मिनट

महाभारत में 'चक्रव्यूह भेदन' बहुत अहम हिस्सा है. अर्जुन का बेटा अभिमन्यु वीरता का परिचय देते हुए चक्रव्यूह में घुस जाता है, इस बात की परवाह किए बिना कि उसे चक्रव्यूह से बाहर निकलना नहीं आता. इस दौरान वो कौरव सेना के दिग्गजों से वीरता पूर्वक लड़ता है और अंत में वीरगति को प्राप्त हो जाता है.

'अर्जुन का बेटा' प्ले में इस पूरे दृश्य को रंगमंच पर उतारने की कोशिश की गई है. इस प्ले को लिखा है अतुल सत्य कौशिक ने और उन्होंने ही इसका निर्देशन भी किया है. दिल्ली के कॉपरनिकस मार्ग पर स्थित कमानी ऑडिटोरियम में रविवार को शाम 7 बजे से इसका मंचन होगा.

इस प्ले में 'चक्रव्यूह भेदन' के कुछ अनछुए पहलुओं को दर्शाया गया है. चक्रव्यूह भेदन के छुपे हुए अर्थ की व्याख्या इस प्ले में की गई है. अभिमन्यु के वीरगति को प्राप्त होने के बाद भीष्म पितामह युधिष्ठिर को बताते हैं कि कैसे अर्जुन के बेटे ने पराक्रम से चक्रव्यूह में कौरवों का सामना किया और आखिरी सांस तक लड़ता रहा.

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चक्रव्यूह भेदन के बाद हर किसी के मन में कई प्रश्न उठते हैं. अर्जुन, उनकी पत्नी सुभद्रा, द्रौपदी सभी के मन में उठे प्रश्नों का जवाब देने श्री कृष्ण आते हैं. कृष्ण चक्रव्यूह की तुलना जीवन यापन से करते हैं. अर्जुन सबको समझाते हैं चक्रव्यूह में लड़ना हमारे कर्म हैं और हम इससे बाहर निकलते हैं या नहीं ये हमारे कर्म ही तय करते हैं और इसपर किसी का वश नहीं है.

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