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शरीर पर गहरे कट, स्टिचिंग मार्क्स, कैंसर ने सब छीना पर नहीं छीन पाया जिंदादिली, पढ़ें ये 5 सच्ची कहानियां

पंजाब कांग्रेस नेता और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू इस वक्त जेल में हैं. इधर उनकी पत्नी नवजोत कौर ने एक इमोशनल पोस्ट के जरिए बताया है कि वह कैंसर से जूझ रही हैं.

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मनीषा कोइराला, सोनाली बेंद्रे, युवराज सिंह, विभा रानी, ताहिरा कश्यप
मनीषा कोइराला, सोनाली बेंद्रे, युवराज सिंह, विभा रानी, ताहिरा कश्यप

मैथिली की लेखिका और रंगकर्मी हैं विभा रानी. संघर्ष, विरोध, विद्रोह के साथ दिन बीत ही रहे थे कि एक दिन उन्हें महसूस हुआ कि शरीर में कहीं गांठें से उभर रही हैं. 'समाज से तो लड़ ही रही हूं क्या अपने शरीर से भी लड़ना होगा?' मन में कुछ ऐसे ही सवालों और ख्यालों ने जगह बनाई ही थी कि उन्होंने जोर से सिर को एक ओर झटका और निकल पड़ीं एक और जंग लड़ने. यह जंग उन गांठों से थी जो कैंसर बन कर उनके अपने बदन पर उग आई थीं.

वह लड़ीं और ऐसा लड़ीं कि कैंसर से लड़ रहे तमाम लोगों के लिए एक और प्रेरणा बन गईं. कैंसर से लड़ी गई उनकी ये जंग स्याही बनकर समरथ नाम से कई पन्नों पर बिखरी हैं, जिसके शब्द न सिर्फ कैंसर पीड़ितों बल्कि अन्य ऐसे लोगों के लिए भी हौसला हैं, जो किसी भी तरह कि दुविधा या दुरूह स्थिति में फंसे हुए हैं. 

नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी को कैंसर

लेखिका और रंगकर्मी विभा रानी की बात आज इसलिए निकल आई क्योंकि कैंसर एक बार फिर सुर्खियों में हैं. खबर है कि पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर कैंसर से लड़ रही हैं. गुरुवार को इस बारे में उन्होंने खुद ट्वीट कर जानकारी दी. उन्होंने अपने पोस्ट में ये भी बताया कि नवजोत कैंसर की स्टेज 2 से पीड़ित हैं.

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अपना दर्द बयान करते हुए उन्होंने कुछ अन्य बातों के साथ नवजोत सिंह सिद्धू के लिए लिखा कि 'मैं आपका इंतजार कर रही हूं, हर दिन आपके बगैर ज्यादा सफर कर रही हूं. आपका दर्द बांटने की कोशिश कर रही हूं. आपको न्याय से दूर होता देख फिर भी आपका इंतजार कर रही हूं. सच बहुत शक्तिशाली होता है लेकिन ये वक्त लेता है  कलयुग. अब आपका और इंतजार नहीं कर सकती, स्टेज 2 है. आज मेरी सर्जरी है, किसी को भी दोष नहीं दिया जा सकता, क्योंकि ये उस ईश्वर की मर्जी है  परफेक्ट.'

 

सिद्धू क्यों जेल में हैं, क्या मामला है इसे अभी छोड़ कैंसर पर फोकस करते हैं. बीते तीन दशकों में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ते देखे गए हैं. नवजोत कौर के अलावा हाल ही में कई सेलेब्स इस बीमारी से पीड़ित रहे. कई ने इसे जीवन के एक फेज के तौर पर स्वीकार किया, इससे लड़े और स्वस्थ होकर सामान्य जिंदगी में फिर से वापसी की है. 

ताहिरा कश्यप 2018 में हुई थीं कैंसर से पीड़ित

बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना की पत्नी ताहिरा कश्यप कैंसर की चपेट में आ चुकी हैं. वर्ल्ड कैंसर डे पर उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था- 'वर्ल्ड कैंसर डे, आज मेरा द‍िन है. आप सभी को इस द‍िन की बधाई, उम्मीद करूंगी आप सब इस अंदाज में मनाएं, जो कैंसर के प्रत‍ि बने टैबू को खत्म कर दे. मैं हर रोज अपने सारे डर को गले से लगाती हूं, ये सब मेरे सम्मान के बैज हैं. उम्मीद कभी न हारें. कितनी बार ज‍िंदगी में ऐसा होता है कि हम पीछे जाते हैं लेकिन जरूरी ये है कि हम एक कदम, कम से कम आधा कदम आगे बढ़ें.'

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उनकी इस पोस्ट पर आयुष्मान ने भी लिखा था- 'पा ले तू ऐसा फतेह, समंदर भी तेरी प्यास से डरे. ये लाइन तुम्हारे लिए है ताहिरा. तुम्हारे निशान खूबसूरत हैं. तुम मुश्किल राहों पर अपनी राह बनाने वाली हो. तुम हमेशा उनकी प्रेरणा बनी रहो जो कैंसर के बारे में सोच कर जो तनाव में जीते हैं.' ताहिरा को साल 2018 में ब्रेस्ट कैंसर डिटेक्ट हुआ था, जिसकी उन्होंने सर्जरी कराई थी. 

सोनाली बेंद्रे: शरीर पर थे 24 इंच लंबे निशान

ताहिरा की कहानी जैसी ही है एक्ट्रेस सोनाली बेंद्रे की जुबानी. अपनी एक पोस्ट में उन्होंने भी लिखा- 'कौन सोचता है ये सच होगा, C शब्द द‍िल में डर पैदा कर देता है. बहुत जल्द ये महसूस हुआ कि रेत में स‍िर छ‍िपा लेने से पर‍िस्थ‍ित‍ियों को सामना नहीं किया जा सकता है. मैं आप सभी से कहूंगी कि इसे समझने की कोश‍िश करें. ये कोई नकारात्मक विचार के ख‍िलाफ लड़ाई नहीं है. ये स्टैंड लेना है, हर रोज जीने की बात है. मैं इसे समझती हूं और आप इस स्थिति में हार न मानें.' बता दें कि सोनाली को साल 2018 में मेटास्‍टेटिक कैंसर सामने आया था. न्‍यूयॉर्क में उनका इलाज हुआ था. उन्होंने बताया था कि सर्जरी के बाद उनके शरीर पर 23 24 इंच लंबे गहरे निशान पड़ गए थे. इलाज के बाद अब वह अपने सामान्य जीवन को फिर से शुरू कर चुकी हैं. 

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कैंसर से लड़ते हुए विश्व कप खेल रहे थे युवराज सिंह

क्रिकेटर युवराज सिंह का किस्सा भी किसी से छिपा हुआ नहीं है. साल था 2011. जब 22 गज की पट्टी पर जीत का परचम लहराकर इंडियन क्रिकेट टीम विश्व विजेता बन गई थी तो उस वक्त किसी को अंदाजा नहीं था कि इस टीम के दिग्गज साथी में से एक भीतर ही भीतर अपने आप से लड़ रहा था. युवराज सिंह के फेफड़ों में कैंसर ट्यूमर होना सामने आया था. इस बारे में बात करते हुए एक बार युवी ने कहा था- 'जब आप पहली बार कैंसर शब्द सुनते हैं, तो आप बुरी तरह डर जाते हैं. कैंसर किसी सजा-ए-मौत की तरह महसूस होता है. आपको बिल्कुल पता नहीं होता कि आपकी जिंदगी आपको कहां ले जाएगी.' युवराज ने बोस्टन और इंडियानापोलिस में कीमोथेरेपी कराई और मार्च 2012 में कीमोथेरेपी के अपने तीसरे और अंतिम साइकल के बाद वह भारत वापस आ गए. कैंसर से जीतकर उन्होंने पिच पर भी सफल वापसी की. 

छोटी चीजें देती हैं खुशियांः मनीषा कोइराला

नेपाल के राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाली अभिनेत्री मनीषा कोइराला की कहानी भी अनसुनी नहीं है. मनीषा ने साल 2012 में ovarian cancer से जीत हासिल की थी. 6 महीने के इलाज के बाद जब वह सामान्य जीवन में वापस आईं तो एक बातचीत में उन्होंने कहा था- 'जब मैं इससे जीतकर आई, तो मैंने यही सोचा है कि मैं अपने हर एक पल को स्पेशल बनाऊंगी. मुझे छोटी-छोटी चीजों में खुशियां नजर आने लगीं, जैसा कि जमीन पर चलना, हवाओं का मेरे चेहरे पर आना, आसमानों और बादलों को यूं तकते रहना, मैं छोटी चीजों पर ध्यान देने लगी हूं क्योंकि पता नहीं आगे चलकर आप ये सब देखने को जिंदा रहो या न रहो.'

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फिर भी डराते हैं आंकड़े

कैंसर से डरने की जरूरत तो नहीं है, फिर भी स्वास्थ्य चिंताओं के लिए आंकड़े डराने और चौंकाने वाले हैं. बीते महीने 4 फरवरी 2023 को ICMR ने एक रिपोर्ट जारी कर कैंसर को लेकर चिंता जताई है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 2025 के लिए कैंसर को लेकर अनुमान चिंता पैदा करने वाले हैं. 2021 में 2.67 करोड़ से बढ़कर 2025 में 2.98 करोड़ हो जाने की आशंका है. इसके लिए लोगों को खुद भी सतर्क रहने के लिए कहा गया है. 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को लंबे समय तक बुखार, वजन घटने, असामान्य सूजन या रक्तस्राव के किसी भी लक्षण के प्रति सतके रहने की जरूरत है और तुरंत अपनी जांच करवाएं. कैंसर से बचने के लिए स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना जरूरी है. 

इन सच्ची कहानियों और जिंदगी के इस दूसरे पहलुओं से ये तो साफ होता है कि कैंसर जिंदगी का फुलस्टॉप नहीं है. हां, ये एक कॉमा जरूर है, जो थोड़ी देर की रुकावट पैदा करता है. इसके बाद यह आपके जज्बे पर निर्भर करता है कि कितनी जल्दी आप इस कॉमा से आगे बढ़कर जिंदगी के अगले वाक्यों और पैराग्राफ की ओर बढ़ें. रंगकर्मी लेखिका, विभा रानी अपनी एक कविता में कैंसर को कुछ इस तरह ट्रीट करती हैं.
क्या फर्क पड़ता है!
सीना सपाट हो या उभरा
चेहरा सलोना हो या बिगड़ा
सर पर घने बाल हों या हो वह गंजा!
जिंदगी से सुंदर,
गुदाज
और यौवनमय नहीं है कुछ भी।
आओ, मनाएं,
जश्न  इस यौवन का
जश्न  इस जीवन का!
 

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नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी कैंसर से हैं पीड़ित

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