दिल्ली नगर निगम के कस्तूरबा गांधी अस्पताल में गुरुवार को कुछ देर के लिए बिजली आपूर्ति बाधित रही. इस दौरान एक नवजात की मौत से अस्पताल प्रशासन सवालों के घेरे में है. एमसीडी के प्रेस एवं सूचना निदेशक अमित कुमार ने इस संबंध में आधिकारिक बयान दिया है. उन्होंने कहा, निगम तथाकथित टॉर्च की रोशनी में प्रसव की बात से इनकार करता है.
दरअसल, 22 अगस्त को दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे के बीच दिल्ली नगर निगम के कस्तूरबा गांधी अस्पताल में प्रशासन की ओर से पूरी तरह बिजली बंद कर दी गई थी. निर्देश दिए गए थे कि सभी विभाग इसके लिए तैयारी कर लें. बता दें कि मरम्मत के लिए चार घंटे तक बिजली काटी गई थी. इस बीच अस्पताल के कई वार्डों में अंधेरा रहा और मरीज परेशान रहे. मरीजों का आरोप है कि काफी देर तक बिजली नहीं आई और मोबाइल और टॉर्च की रोशनी में दो बच्चों की डिलीवरी हुई.
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वहीं, अस्पताल से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अस्पताल परिसर में ही ट्रांसफर्मर है, जिससे पावर सप्लाई काट दी गई थी. ताकि अस्पताल में स्विच गियर्स लगाने का काम हो सके. इसके लिए बकायदा सर्कुलर भी जारी किया गया था. अस्पताल परिसर में 22 अगस्त को दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक कंप्लीट शटडाउन किया गया था और इस दौरान सभी डिपार्टमेंट को इसके हिसाब से तैयारी करने का आदेश दिया गया था.
6 घंटे तक मरीज रहे परेशान
मगर, 22 अगस्त को दोपहर 2 बजे से रात 8 बजे तक बिजली आपूर्ति बाधित रही और 6 घंटे तक मरीज परेशान रहे. वहीं, दिल्ली नगर निगम का दावा है कि कस्तूरबा अस्पताल में कुछ देर के लिए बिजली आपूर्ति बाधित रही. बिजली कटौती के कारण व्यवस्था थोड़ी अस्त-व्यस्त थी. लेकिन अस्पताल के ओटी में पावर बैकअप उपलब्ध था.
एमसीडी ने आधिकारिक बयान में कही ये बात
एमसीडी के प्रेस एवं सूचना निदेशक अमित कुमार ने आधिकारिक बयान देते हुए कहा, अस्पताल के ओटी में पावर बैकअप उपलब्ध था. कस्तूरबा गांधी अस्पताल में कुल तीन प्रसव हुए, जिनमें से दो प्रसव दिन के उजाले में और एक शाम को हुआ. तब तक अस्पताल में बिजली आपूर्ति बहाल हो चुकी थी. अमित कुमार ने कहा कि निगम इस बात से इनकार करता है कि प्रसव तथाकथित टॉर्च की रोशनी में हुआ.
बीमारी के कारण बच्चे की हुई मौत
कुमार ने आगे कहा कि जहां तक बच्चे की मौत की खबर का सवाल है, तो बताया गया है कि प्रसव के बाद उसकी सांस नहीं चल रही थी. इसलिए उसे एनआईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया था और उसके माता-पिता को उसकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानकारी दी जा रही थी. एनआईसीयू के वेंटिलेटर का पावर बैकअप ठीक से काम कर रहा था. पांच दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद दुर्भाग्य से बच्चे की बीमारी के कारण मौत हो गई.