भीषण गर्मी और चढ़ते पारे के साथ दिल्ली में बिजली की मांग भी तेजी से बढ़ती जा रही है. दिल्ली के इतिहास में पहली बार बिजली की मांग 8000 मेगावाट तक पहुंच गई है. इसी के साथ एक दिन पहले ही बना सबसे अधिक बिजली की मांग का रिकॉर्ड भी टूट गया है. अगर आने वाले दिनों में लोगों को गर्मी से राहत नहीं मिली तो यह आंकड़ा और ऊपर जा सकता है.
एक दिन पहले मंगलवार को दिल्ली में बिजली की मांग बढ़कर 7717 मेगावाट तक पहुंच गई थी जो अब तक का सबसे उच्चतम स्तर है. इस आंकड़े ने 29 जून 2022 को बने 7695 मेगावाट के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया था लेकिन अब यह मांग बढ़कर 8000 मेगावाट तक पहुंच गई है. भीषण गर्मी और मौसम को देखते हुए आने वाले समय में बिजली की मांग और अधिक बढ़ सकती है.
बिजली की मांग पर पड़ता है मौसम का असर
गौर करने वाली बात है कि मई 2024 में हर दिन दिल्ली की अधिकतम बिजली की मांग मई 2023 की तुलना में ज्यादा है. पिछले साल मई के पहले 20 दिनों में, दिल्ली की अधिकतम बिजली की मांग 5781 मेगावाट थी. मई 2023 में उच्चतम बिजली की मांग 23 मई को 6916 मेगावाट दर्ज की गई थी.
|
Year |
Peak Demand Met (MW) |
|
2014 (May 22) |
8000 |
|
2024 (May 21) |
7726 |
|
2023 (August 22) |
7438 |
|
2022 (June 29) |
7695 |
|
2021 (June 29) |
6753 |
|
2020 (June 29) |
6314 |
|
2019 (July 2) |
7409 |
|
2018 (July 10) |
7016 MW |
|
2017 (June 6) |
6526 MW |
|
2016 (July 1) |
6261MW |
|
2015(June 19) |
5846 MW |
|
2014 (July 15) |
5925 MW |
|
2013 (June 6) |
5653 |
|
2012 (July 5) |
5642 |
|
2011 (August 2) |
5028 |
|
2010 (July 1) |
4720 |
|
2009 (July 8) |
4408 |
|
2008 |
4034 |
|
2006 |
3626 |
|
2005 |
3490 |
|
2004 |
3289 |
|
2003 |
3097 |
|
2002 |
2879 |
बिजली की मांग पर मौसम का गहरा असर पड़ता है. अप्रैल 2024 में, दिल्ली की अधिकतम बिजली की मांग 3809 मेगावाट और 5447 मेगावाट के बीच थी. वहीं, दूसरी तरफ अप्रैल 2023 के दौरान दिल्ली की अधिकतम बिजली मांग 3388 मेगावाट और 5422 मेगावाट के बीच थी.
2023 की तुलना में मांग बढ़ी
अप्रैल 2024 के दौरान, अधिकतम बिजली की मांग अप्रैल 2023 की तुलना में 83 फीसदी ज्यादा थी, जिसमें 32 फीसदी तक का अंतर है. यह अंतर शहर में बिजली खपत पैटर्न पर मौसम के गहरे प्रभाव को उजागर करता है.
बिजली की मांग को मौसम की स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसकी वजह से शहर में रहने वालों को ज्यादा एसी/कूलर का उपयोग करना पड़ा, जिससे बिजली की खपत में बढ़ोतरी हुई.