दिल्ली आजतक के आंत्रप्रेन्योर समिट में कई ऐसे लोगों को आमंत्रित किया गया था जिन्होंने अपने स्तर पर काम शुरू किया और कामयाबी हासिल करने के बाद समाज कार्य में जुड़ गए. दिल्ली से जुड़े ऐसे ही एक शख्स का नाम है संजय गुप्ता जिन्होंने विज्ञापन की दुनिया में कामयाबी हासिल की और फिर सामाजिक कार्यों में रहते हुए अब राजनीति की दुनिया में कामयाबी का स्वाद चखना चाहते हैं.
एनजी एड्स एंड सोशल वर्कर के मालिक संजय गुप्ता ने कहा कि 2002 में बिजनेस की दुनिया में कदम रखा और एक दशक तक कामयाबी हासिल करने के बाद समाजसेवा करने का सोचा और कई मामलों में लोगों की मदद भी की. संजय गुप्ता ने कहा कि आपके चैनल की सबसे खासियत यह है कि आपको जब लगता है कि कुछ ऐसी चीजें हो रही हैं जिसे दिखाना जरूरी है तो आपका चैनल दिखाता है.
दिल्ली आजतक के आंत्रप्रेन्योर समिट में उन्होंने कहा, 'शुरुआत में मैंने सोचा कि ज्यादा पैसा कमाने के बारे में विज्ञापन की दुनिया में जाएंगे. नौकरी के दौरान कई विभागों में रहने के दौरान बिजनेस शुरू करने को लेकर कोई विचार नहीं था, लेकिन बाद में जब विज्ञापन विभाग में आया तो लगा कि बिजनेस शुरू किया जा सकता है.'
एक अफसर का उदाहरण
दिल्ली आजतक के आंत्रप्रेन्योर समिट में अपने एक सीनियर टैक्स अधिकारी की ईमानदारी बात करते हुए संजय गुप्ता ने कहा कि वह कुछ गलत होने नहीं देते थे और कुछ ऐसा कर देते थे कि सामने वाला मजबूर हो जाता था कि उसे सही तरीके से टैक्स भरना पड़ता था. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि एक बार एक कंपनी ने कार पर विज्ञापन के लिए परमिशन मांगी, लेकिन उसने 200 कार की परमीशन ली और अपने 1200 कारों पर विज्ञापन लगा दिया. इस पर उस अधिकारी ने उस कंपनी को 5000 कारों पर विज्ञापन लगाने का नोटिस थमा दिया और इसके लिए जुर्माना भरने को कहा. इस पर कंपनी ने कहा कि उसके पास तो 1200 कारें हैं 5000 कार नहीं हैं. फिर अधिकारी ने उसे 1200 कारों पर विज्ञापन का टैक्स भरने को कहा. इस तरह से उन्होंने बिना कुछ किए ही उससे पूरा हिसाब वसूल लिया.
समाज सेवा करने के बाद राजनीति में जाने के बारे में कहा कि अभी मेरा एक ही मकसद है कि मोदी जी (नरेंद्र मोदी) से मुलाकात हो, अब देखते हैं कि कब मेरी तमन्ना पूरी होती है, अब तक जो समाज कार्य किया है उसे सही तरीके से आगे बढ़ाना है. चुनाव लड़ने के बारे में कहा कि चुनाव जीतकर किसी सदन में जाऊं और नीतियों को आगे बढ़ाऊं. मोदी से मुलाकात हो. मैं चाहता हूं कि मुझे नॉमिनेट किया जाए. इसके लिए कोशिश भी कर रहा हूं.
युवाओं को आगे बढ़ाने को लेकर संजय गुप्ता ने कहा कि नगर निगम की कमेटियां या केंद्र सरकार की कमेटियों में युवाओं को शामिल किया जाए जो संबंधित विभाग को लेकर दक्ष हों.
उन्होंने बताया कि 16 साल की उम्र में नौकरी शुरू की, फिर 2000 में बिजनेस शुरू किया और 2012 में समाजसेवा में लग गया. भविष्य में अब समाजसेवा ही करनी है क्योंकि बहुत काम करने के बाद समाजसेवा में अब संतुष्टि मिलती है.
दिल्ली में वर्क कल्चर के बारे में संजय गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में विश्वस्तरीय विकास नहीं हो रहा क्योंकि आपस में समन्वय ही नहीं है. अब पार्क के विकास के लिए हॉर्टिकल्चर, इलेक्ट्रिक और सिविल डिपार्टमेंट जिम्मेदार होते हैं, लेकिन इनमें ही कोई समन्वय नहीं है, इस कारण इनमें दिक्कतें आती हैं.