दिल्ली में ट्रैफिक और परिवहन चालानों पर बड़ी राहत देने की योजना फिलहाल अटकी हुई है. हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन सकी क्योंकि बड़ी संख्या में चालान अदालतों में लंबित हैं, जिससे योजना की कानूनी वैधता पर सवाल उठे.
सरकार के अनुसार वह इस योजना को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और जल्द ही इसे संशोधित स्वरूप में उपराज्यपाल के पास भेजा जाएगा. एलजी की मंजूरी अनिवार्य इसलिए मानी जा रही है क्योंकि कानूनी अस्पष्टता वाले मामलों में अंतिम अधिकार उन्हीं के पास होता है.
यदि मंजूरी मिलती है, तो वाहन मालिकों को लंबित चालानों पर 50–70 फीसदी तक की छूट मिलेगी. यह छूट दो-पहिया, तिपहिया और चार-पहिया चालानों पर लागू होगी, जबकि नशे में ड्राइविंग, बिना लाइसेंस या अनधिकृत ड्राइविंग जैसे गंभीर मामलों में कोई राहत नहीं मिलेगी.
दिल्ली में चालानों का आंकड़ा चौंकाने वाला है. इस साल जनवरी से जुलाई के बीच 22.43 लाख चालान काटे गए, जबकि भुगतान सिर्फ 2 फीसदी हुआ. गलत पार्किंग, बिना हेलमेट और बिना लाइसेंस जैसे मामलों में भुगतान दर बेहद कम है.
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अधिकारियों का कहना है कि अगर यह राहत योजना भी कामयाब नहीं हुई, तो सरकार सख्त कदम उठा सकती है. जैसे ‘वाहन’ पोर्टल की सेवाएं रोकना या बार-बार उल्लंघन करने वालों का पंजीकरण रद्द करना. फिलहाल सारी उम्मीदें एलजी की हरी झंडी पर टिकी हैं.