scorecardresearch
 

दिल्ली के अस्पताल ने पूरी तरह अलग हो चुके हाथ को फिर से जोड़ा

कृति के हाथ की फिलहाल फिजियोथैरेपी चल रही है और कुछ ही दिनों में वो अपने हाथ से हर काम कर सकेगी. कृति की इस मुश्किल वक्त में उसके मंगेतर का उसको पूरा साथ मिला और अब दोनों शादी कर अपनी जिंदगी में बेहद खुश हैं.

Advertisement
X
कृति की हुईं सात सर्जरी
कृति की हुईं सात सर्जरी

Advertisement

24 साल की कृति अपनी जिंदगी को लेकर बेहद खुश थी क्योंकि 2 महीने बाद ही कृति की शादी होनी थी. मगर 29 अगस्त साल 2017 का वो दिन, कृति की सारी खुशियों पर ग्रहण लगा गया. दरअसल इस दिन अपनी स्कूटी से दफ्तर से घर लौटते वक्त गाजीपुर के पास कृति एक हादसे का शिकार हो गई. इस हादसे में कंस्ट्रक्शन साइट के नीचे से गुजरते वक्त हाईवे बनाने में लगी एक क्रेन का हिस्सा कृति के हाथ पर गिरने से कृति का दांया हाथ पूरी तरह से टूट होकर लगभग उसके शरीर से अलग हो गया.

इसके बाद मौके पर पीसीआर को कॉल की गई जहां से कृति को सरकारी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन सरकारी अस्पताल द्वारा इलाज में हाथ खड़े करने के बाद कृति को एक निजी नर्सिंग होम ले जाया गया, लेकिन वहां भी डॉक्टरों ने इलाज करने में असमर्थता जताई थी. कुछ दिन बाद कृति को दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल ले जाया गया.

Advertisement

क्या कहना है इलाज करने वाली टीम का ?

ऐसे हादसों में आमतौर पर हाथ को काटना पड़ता है मगर डॉक्टरों ने 2 साल के भीतर कृति की 7 छोटी बड़ी सर्जरी करके उसके हाथ को फिर से पूरी तरह ठीक कर दिया. मगर डॉक्टरों के लिए यह काम बिल्कुल भी आसान नहीं था. मैक्स हॉस्पिटल के सर्जरी विभाग के डायरेक्टर मनोज जौहरी ने बताया कि जब मरीज उनके पास आई थी तो हम सब हैरान हो गए. हाथ पूरी तरह से कुचला हुआ था. हड्डियां तो छोड़िए सॉफ्ट टिश्यूस, मसल लॉस, नसें, पूरी तरह से नष्ट हो चुकी थीं.

अब खुशहाल है जिंदगी

कृति के हाथ की फिलहाल फिजियोथैरेपी चल रही है और कुछ ही दिनों में वो अपने हाथ से हर काम कर सकेगी. कृति की इस मुश्किल वक्त में उसके मंगेतर का उसको पूरा साथ मिला और अब दोनों शादी कर अपनी जिंदगी में बेहद खुश हैं. पति अंकुर शर्मा ने बताया कि इलाज के दौरान ही हम लोगों ने शादी कर ली थी और अब अपनी जिंदगी में खुश हैं.

मेडिकल का यह केस उन हजारों लाखों लोगों के लिए उम्मीद की एक किरण है जो हादसों में अपने अंग गंवा बैठते हैं ऐसे लोगों के लिए एक सबक भी है कि अगर वक्त पर अस्पताल पहुंच जाए तो लोगों को अपंग होने से बचाया जा सकता है.

Advertisement
Advertisement