दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से ईवीएम के संबंध में की गई वीडियोग्राफी और सीसीटीवी फुटेज के रखरखाव व वीडियो फुटेज को संरक्षित करने के लिए अपनाए जा रहे दिशानिर्देशों पर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है. जस्टिस सचिन दत्ता ने रामपुर लोकसभा उम्मीदवार वकील महमूद प्राचा द्वारा दायर याचिका पर आयोग को नोटिस जारी किया है. इसमें कोर्ट ने कहा कि चुनाव को चुनौती देने की स्थिति में सीसीटीवी फुटेज की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
कोर्ट ने 10 मई के अपने आदेश में कहा, "प्रतिवादी/चुनाव आयोग को पैरा 6.1.1(ई) में निर्दिष्ट चरण तक प्रथम स्तरीय जांच (एफएलसी) के संचालन के बाद ईवीएम के संबंध में बनाए गए वीडियोग्राफी/सीसीटीवी कवरेज के संबंध में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है. हलफनामे में चुनावी प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में वीडियो/सीसीटीवी फुटेज के संरक्षण के लिए निर्धारित/पालन किए जा रहे लागू मानदंडों/दिशानिर्देशों का भी संकेत दिया जाएगा."
दरअसल, रामपुर से निर्दलीय उम्मीदवार ने अपनी याचिका में कहा है कि 19 अप्रैल को वहां चुनाव होने के बाद उन्होंने चुनाव आयोग से चुनाव प्रक्रिया के दौरान रिकॉर्ड किए गए सभी प्रासंगिक वीडियो को संरक्षित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया. लेकिन उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. याचिका में कहा गया है कि आयोग द्वारा जारी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर मैनुअल, वीडियोग्राफी और सीसीटीवी कवरेज के माध्यम से चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए विभिन्न सुरक्षा उपाय प्रदान करता है.
यह कहते हुए कि मैनुअल ईवीएम गोदामों और स्ट्रांग रूम में सीसीटीवी कवरेज को अनिवार्य करता है, याचिकाकर्ता ने कहा कि यदि चुनाव याचिका दायर की जानी है तो निर्वाचित उम्मीदवार के चुनाव की तारीख से 45 दिनों तक फुटेज की सुरक्षा करना अनिवार्य है. याचिका में कहा गया है, "मैनुअल मतदान वाले ईवीएम स्ट्रांग रूम के सुरक्षा उपायों के सीसीटीवी कवरेज को अनिवार्य करता है. मैनुअल मतदान वाले ईवीएम स्ट्रांग रूम के सभी प्रवेश बिंदुओं की निरंतर वीडियोग्राफी को अनिवार्य करता है. मतदान परिणामों के लिए चुनौती की स्थिति में सीसीटीवी फुटेज अनिवार्य है."
मामले की अगली सुनवाई 16 मई को होगी.