scorecardresearch
 

Delhi Blast: जब 15 साल पहले लाल किले में आतंकियों ने की थी गोलीबारी... जानें- हमलों से कब-कब दहली दिल्ली

Lal Qila Blast: 14 साल बाद दिल्ली फिर धमाके से दहल उठी. लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए विस्फोट में 8 लोगों की मौत और 20 घायल हुए. इससे पहले 1996 से 2011 तक लाजपत नगर, सरोजिनी नगर, संसद और दिल्ली हाईकोर्ट जैसे स्थानों पर कई बड़े आतंकी हमले हो चुके हैं. ताज़ा धमाके ने राजधानी में फिर पुराने डर और दहशत की यादें ताज़ा कर दी हैं.

Advertisement
X
दिल्ली में साल 2008 में 20 से अधिक लोगों की जान चली गई. PTI
दिल्ली में साल 2008 में 20 से अधिक लोगों की जान चली गई. PTI

14 साल बाद दिल्ली एक बार फिर जोरदार धमाके से दहल उठी. सोमवार शाम लाल किले मेट्रो स्टेशन के पास हुए शक्तिशाली विस्फोट में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 लोग घायल हो गए.
इस हाई-इंटेंसिटी धमाके ने कई गाड़ियों को चपेट में ले लिया और इलाके में भगदड़ मच गई. घटना के समय यह इलाका यात्रियों और स्थानीय लोगों से भरा हुआ था. सभी घायलों को पास के लोकनायक जयप्रकाश (LNJP) अस्पताल में भर्ती कराया गया.

राजधानी दिल्ली कई बार देश के सबसे भयावह आतंकी हमलों की गवाह रही है, एक बार फिर दहशत के उसी पुराने साये में लौट आई है. दिल्ली के ऐतिहासिक बाजार, स्मारक और सार्वजनिक स्थल समय-समय पर हिंसा की आग में झुलसते रहे हैं, जिनकी यादें आज भी शहर की सामूहिक स्मृति में गहरी दर्ज हैं.

1996 से 2011 तक दहशत का सिलसिला
साल 1996 की गर्मियां दिल्ली के इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक रही थीं, जब लाजपत नगर मार्केट में बम विस्फोट में 13 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हुए. सिर्फ एक साल बाद 1997 में सदर बाजार, करोल बाग, रानी बाग, चांदनी चौक और पंजाबी बाग में चलती बस तक को निशाना बनाते हुए सिलसिलेवार धमाकों ने राजधानी को हिला दिया.

दिसंबर 2000 में आतंकी संगठन ने लाल किले के भीतर फायरिंग की थी
लाल किला अब फिर से खबरों में है. पहले भी ये आतंकियों के निशाने पर रहा है. दिसंबर 2000 में आतंकी संगठन ने लाल किले के भीतर फायरिंग की थी, जिसमें दो लोगों की मौत हुई थी. सिर्फ एक साल बाद दिसंबर 2001 में संसद पर हमला हुआ, जिसमें नौ सुरक्षा कर्मियों और स्टाफ की जान चली गई.

Advertisement

साल 2005 में 67 से ज्यादा लोगों की मौत
साल 2005 में दिवाली से दो दिन पहले पहाड़गंज, सरोजिनी नगर और गोविंदपुरी में समन्वित धमाकों की श्रृंखला में 67 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 200 से अधिक घायल हुए. त्योहारों की रौनक दहशत में बदल गई.

साल 2008 में 20 से अधिक लोगों की जान चली गई
तीन साल बाद 2008 में करोल बाग, कनॉट प्लेस और ग्रेटर कैलाश में एक के बाद एक पांच धमाकों ने 20 से अधिक लोगों की जान ले ली. दिल्ली में आखिरी बड़ा आतंकी हमला 2011 में हुआ था, जब दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर रखे एक ब्रीफकेस में बम विस्फोट हुआ. इसमें 15 लोगों की मौत और 79 घायल हुए थे.

लौट आई पुरानी दहशत
अब लाल किले के पास हुआ धमाका एक बार फिर दिल्ली में दहशत फैला रहा है. इस हादसे ने उन पुराने दिनों की भयावह यादें ताज़ा कर दी हैं, जब आतंक ने देश की राजधानी की रफ्तार और हौसले दोनों को झकझोर दिया था.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement