छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ. इसमें पहली बार के 3 विधायकों को शामिल किया गया. अब मंत्रिमंडल की संख्या बढ़कर 14 हो गई, जो राज्य के इतिहास में सबसे ज़्यादा है. परंपरागत रूप से छत्तीसगढ़ में अब तक 13 सदस्यीय मंत्रिमंडल रहा है.
राज्यपाल रमन डेका ने राजभवन में आयोजित एक समारोह में पहली बार विधायक बने BJP विधायकों राजेश अग्रवाल, गुरु खुशवंत साहेब और गजेंद्र यादव को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. नवनियुक्त मंत्रियों के विभागों की घोषणा अभी बाकी है. मुख्यमंत्री साय, विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह, राज्य के मंत्री और अन्य नेता इस समारोह में शामिल हुए.
साल 2000 में राज्य के गठन के बाद से मुख्यमंत्री सहित 13 विधायक परंपरागत रूप से मंत्रिमंडल का हिस्सा रहे हैं. बता दें कि छत्तीसगढ़ में 90 सदस्यीय विधानसभा है.
इस विस्तार से पहले छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री साय सहित 11 सदस्य थे. सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ ने 'हरियाणा मॉडल' अपनाया है, जहां 90 सदस्यीय विधानसभा में मुख्यमंत्री सहित 14 मंत्री होते हैं.
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, मुख्यमंत्री सहित किसी राज्य की मंत्रिपरिषद का आकार विधानसभा की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता. 90 सदस्यों वाले छत्तीसगढ़ में यह सीमा 13.5 है, जिससे 14 कैबिनेट सदस्यों के लिए जगह बनती है.
विस्तारित मंत्रिमंडल जाति और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के संतुलन को दर्शाता है. नए शामिल किए गए तीन मंत्रियों में से यादव अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदाय से हैं, साहेब अनुसूचित जाति से और अग्रवाल सामान्य वर्ग से हैं.
विस्तार के बाद, मंत्रिमंडल में अब ओबीसी के सात सदस्य हैं - उपमुख्यमंत्री अरुण साव, मंत्री लखन लाल देवांगन, श्याम बिहारी जायसवाल, ओपी चौधरी, टैंक राम वर्मा, लक्ष्मी राजवाड़े और नवनियुक्त गजेंद्र यादव.
मुख्यमंत्री साय, मंत्री राम विचार नेताम और केदार कश्यप अनुसूचित जनजाति से आते हैं, मंत्री दयालदास बघेल और नवनियुक्त गुरु खुशवंत साहेब अनुसूचित जाति वर्ग से हैं, जबकि उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और राजेश अग्रवाल सामान्य वर्ग से हैं. लक्ष्मी राजवाड़े मंत्रिमंडल में एकमात्र महिला सदस्य हैं.
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद, साय के नेतृत्व वाली सरकार में सरगुजा संभाग (उत्तरी छत्तीसगढ़) से 5, बिलासपुर संभाग से 3, रायपुर संभाग से 2, दुर्ग संभाग से 3 और बस्तर संभाग (दक्षिणी छत्तीसगढ़) से एक सदस्य हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि विस्तार के साथ साय सरकार ने सभी प्रमुख समुदायों और क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया है, जिससे राज्य में उसका सामाजिक और राजनीतिक आधार और मजबूत हुआ है.
पता हो कि नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हराकर BJP राज्य में सत्ता में आई थी. BJP ने 54 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को 35 सीटें मिलीं, जो 2018 के चुनावों में जीती गई 68 सीटों से कम है.
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा के साथ 13 दिसंबर 2023 को शपथ ली. उसी महीने के अंत में 9 मंत्रियों को शामिल किया गया. तत्कालीन विधायक और मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने पिछले साल रायपुर से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद इस्तीफा दे दिया था.
नए मंत्रियों का विवरण इस प्रकार है:-
1. सरगुजा संभाग की अंबिकापुर सीट से विधायक राजेश अग्रवाल (58) ने 2023 के विधानसभा चुनाव में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंह देव को मात्र 94 मतों से हराया. पहली बार विधायक बने अग्रवाल वैश्य समुदाय से आते हैं.
रायपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने जाने के बाद वरिष्ठ भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. तभी से यह माना जा रहा था कि वैश्य समुदाय के किसी विधायक को मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी.
वरिष्ठ नेता अमर अग्रवाल, सुनील सोनी और संपत अग्रवाल भी इसी समुदाय से BJP विधायक हैं, लेकिन पार्टी ने पहली बार विधायक बने राजेश अग्रवाल पर भरोसा जताया है. 2018 में कांग्रेस छोड़ने के बाद वे BJP में शामिल हो गए.
2. गुरु खुशवंत साहेब (36) अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित आरंग निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.
वे सतनामी संप्रदाय के नेता बलदास साहेब के पुत्र हैं और 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़ने के बाद दोनों भाजपा में शामिल हो गए.
छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति की बहुसंख्यक आबादी वाला सतनामी संप्रदाय, राज्य की आबादी का लगभग 13 प्रतिशत है और इसे एक महत्वपूर्ण वोट बैंक माना जाता है.
3. संख्यात्मक रूप से मजबूत ओबीसी यादव समुदाय से ताल्लुक रखने वाले दुर्ग से विधायक गजेंद्र यादव आरएसएस पृष्ठभूमि से आते हैं. 2023 में उन्होंने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के बेटे, कांग्रेस नेता अरुण वोरा को लगभग 49 हजार मतों से हराया था.
गजेंद्र यादव के पिता बिसरा राम यादव पूर्व में छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रांत संघचालक रह चुके हैं.
इससे पहले, वरिष्ठ भाजपा नेता स्वर्गीय हेमचंद यादव उसी दुर्ग निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए थे. उन्होंने राज्य में तत्कालीन रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकारों के दौरान 2003 से 2013 तक मंत्री के रूप में कार्य किया था.