अयोध्या में राम मंदिर में स्थापित होने वाली भगवान राम और मां सीता की मूर्ति को तराशने के लिए 40 टन वजनी पत्थर के दो विशाल टुकड़ों को ले जाने वाली 'देवशिला यात्रा' सोमवार दोपहर मधुबनी में पिपरौन सीमा के रास्ते नेपाल के जरिए भारत पहुंची. भारत और नेपाल सीमा के दोनों तरफ हजारों 'राम भक्त' जय श्री राम के नारे लगाते हुए यात्रा का स्वागत करने के लिए भारत-नेपाल सीमा पर इकट्ठे हुए. नेपाल से अयोध्या जाने वाली देवशिला यात्रा में हजारों राम भक्तों ने उन विशाल पत्थर की पूजा अर्चना की जिससे राम और सीता की मूर्ति बनाई जाएगी.
राम मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल 26 जनवरी को नेपाल के पोखरा से शुरू हुई यात्रा का नेतृत्व कर रहे थे, जहां से ये दोनों पत्थर काली गंडकी नदी से उठाए गए और अयोध्या ले जाए जा रहे हैं. देवशिला यात्रा के भारत आने के बाद चौपाल ने आज तक से बात करते हुए चल रही यात्रा पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि दोनों पत्थरों का इस्तेमाल भगवान राम और माता सीता की मूर्ति को तराशने में किया जाएगा.
'भारत पहले से ही है हिंदू राष्ट्र'
जब बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के भारत को 'हिंदू राष्ट्र' बनाने की टिप्पणी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि देश पहले से ही 'हिंदू राष्ट्र' था और इसे बनाने की कोई जरूरत नहीं है. कामेश्वर चौपाल ने कहा, 'भारत पहले से ही एक हिंदू राष्ट्र है और उन्हें हिंदू राष्ट्र बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है. पत्थरों से मूर्ति तराशने का काम जल्द ही शुरू हो जाएगा और हम उम्मीद करते हैं कि अगले साल जनवरी तक मंदिर का गर्भ गृह जनता के लिए खोल दिया जाएगा.'
कल UP में दाखिल होगी यात्रा
यात्रा का स्वागत करने के लिए भारत-नेपाल सीमा पर मौजूद बिहार के भाजपा विधायक हरि भूषण ठाकुर ने भी दावा किया कि भारत पहले से ही हिंदू राष्ट्र था. देवशिला यात्रा बिहार में प्रवेश करने के बाद मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और गोपालगंज से होते हुए 31 जनवरी को उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी.