बिहार में फर्जी थाने के खुलासे के बाद अब फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आया है. इसका खुलासा उस वक्त हुआ जब 5 साल से नौकरी कर रहे लोगों ने अपने वेतन के लिए गुहार लगाई. बीते 5 सालों में एक गिरोह ने करीब एक दर्जन लोगों की फर्जी बहाली की और कमाल की बात है कि बहाल किए गए लोग 5 साल तक नौकरी भी करते रहे.
इस मामले में समस्तीपुर के बंगरा थाना क्षेत्र के कुबौली राम की रीना ने मुजफ्फरपुर के सदर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है. रीना की माने तो फर्जी बहाली पर पांच साल तक स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न संस्थानों में नौकरी की, लेकिन वेतन नहीं मिला, जब बहाली को लेकर शक हुआ तो खुद ही छानबीन में जुट गये, जब इसका खुलासा हुआ तो सब कुछ जा चुका था.
रीना का कहना है कि कई जगह के एक दर्जन से अधिक पुरुष व महिलाओं की बहाली की गई है, जो साल 2016 से 2021 तक स्वास्थ्य विभाग के बिचौलियों के शिकार बने रहे, फर्जी लेटर हेड पर पोस्टिंग हुई, फिर बड़ा बाबू ने ट्रांसफर भी किया, लेकिन, वेतन नहीं मिलने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया.
प्राथमिकी में मधुबनी के मधवापुर थाना क्षेत्र के अंदौल निवासी अवधेश ठाकुर उर्फ भिखारी ठाकुर और पटना के जक्कनपुर थाना क्षेत्र के लक्ष्मी सागर कॉलोनी निवासी गिरिजानंद पांडेय आरोप हैं. दोनों रीना कुमारी के पूर्व परिचित भी हैं. भिखारी ठाकुर वर्तमान में मुखिया है. वहीं गिरिजानंद पांडेय तथाकथित सचिवालय से संस्पेंड क्लर्क है.
सदर थानेदार सत्येद्र कुमार मिश्रा ने इसकी जांच की जिम्मेदारी सब इंस्पेक्टर देवव्रत कुमार को दी है. थानेदार सत्येंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि मामले की गहनता से जांच शुरू कर दी गयी है, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग से भी संपर्क किया जाएगा, वैज्ञानिक तरीके से भी छानबीन की जाएगी.
पांच-पांच लाख रुपये लेकर हुई थी बहाली
पीड़ित रीना ने बताया है कि वह नौकरी की तलाश में थी, इस बीच उसके पूर्व परिचित भिखारी ठाकुर और गिरिजानंद पांडेय ने उससे संपर्क किया. रीना के समक्ष दावा किया गया कि वह पहले भी स्वास्थ्य विभाग में दर्जनों लोगों को बहाल करा चुके है. इसके लिए मैट्रिक-इंटर पास का प्रमाण पत्र, 100-100 रुपये का सादा स्टाम्प और पांच-पांच लाख रुपये नकद देना है.
रीना को हाजीपुर में पोस्टिंग मिली. इसके बाद वे कई बाद हाजीपुर कार्यालय गयी. सैलरी जितेंद्र नामक क्लर्क तैयार करता था. लेकिन अबतक मिला नहीं. इस बीच पटना के गिरिजानंद पाडेय कई बार उन लोगों को पटना स्थित सचिवालय भी ले गये, जहां बिलिंग क्लर्क से मिलवाता और काम जल्दी करने के लिए कुछ रिश्वत भी दिलाता था.
रीना ने बताया कि कोरोना काल से पूर्व दोनों उनके घर आते थे. लेकिन, कोरोना के बाद से घर आना बिल्कुल बंद कर दिया. फोन कॉल भी उठाना बंद कर दिया. शक हुआ तो एक समूह बनाकर छानबीन शुरू की. इसमें पता चला कि उनलोगों की बहाली ही फर्जी है, विभाग में कोई ऐसा पद नहीं है, जिसपर उनकी बहाली हुई.