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Vitamin D Mistakes: धूप, दूध और सप्लीमेंट के बाद भी शरीर में विटामिन D की है कमी? ये गलती रोक रही है पूरा फायदा

Vitamin D Mistakes: अगर आप रोज विटामिन डी की गोली लेते हैं फिर भी कमी बनी हुई है, तो वजह गलत फॉर्म हो सकता है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि विटामिन डी3, डी2 से ज्यादा असरदार है और शरीर में बेहतर तरीके से काम करता है. जानिए सही सप्लीमेंट कैसे चुनें.

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विटामिन डी हड्डियों को मजबूत करने के साथ बाकी कामों में भी मददगार है. (Photo: ITG)
विटामिन डी हड्डियों को मजबूत करने के साथ बाकी कामों में भी मददगार है. (Photo: ITG)

Vitamin D Mistakes: आप रोज विटामिन डी की गोली लेते हैं, दूध पीते हैं, सैल्मन या मछली खाते हैं, धूप में भी निकलते हैं. ऊपर से देखने पर लगता है कि शरीर में विटामिन डी की कोई कमी नहीं होनी चाहिए. लेकिन हैरानी की बात ये है कि आज भी बहुत से लोगों में विटामिन डी की कमी पाई जा रही है. दरअसल, इसकी सबसे बड़ी वजह ये नहीं है कि आप विटामिन डी नहीं ले रहे, बल्कि ये है कि आप गलत तरह का विटामिन डी ले रहे हैं. डॉक्टर्स और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ज्यादातर लोग सप्लीमेंट या डाइट के जरिए विटामिन डी तो ले लेते हैं, लेकिन ऐसा फॉर्म चुन लेते हैं जिसे शरीर ठीक से एब्जॉर्ब ही नहीं कर पाता.

नतीजा ये होता है कि गोली खाने, दूध पीने और धूप में निकलने के बावजूद शरीर को विटामिन डी का पूरा फायदा नहीं मिल पाता. यही वजह है कि टेस्ट रिपोर्ट में बार-बार विटामिन डी कम निकलता है और लोग समझ नहीं पाते कि गलती आखिर कहां हो रही है.

इतना जरूरी क्यों है विटामिन डी?
अक्सर लोग सोचते हैं कि विटामिन डी सिर्फ हड्डियों के लिए होता है. ये सही है कि यह कैल्शियम को शरीर में अब्सॉर्ब करने में मदद करता है, लेकिन इसका काम यहीं खत्म नहीं होता.

विटामिन डी मसल्स की ताकत, इम्यून सिस्टम और शरीर के अंदर सही तालमेल बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाता है. ये सर्दी-खांसी और इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है और मूड को भी बेहतर रखता है. इसकी कमी से थकान, बार-बार बीमार पड़ना और कमजोरी महसूस हो सकती है.

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गोली लेने के बाद भी कमी क्यों रहती है?
अगर आप रोज विटामिन D ले रहे हैं, फिर भी रिपोर्ट में कमी आ रही है, तो मुमकिन है कि आप गलत किस्म का विटामिन डी ले रहे हों. मार्केट में विटामिन डी के दो प्रकार के मिलते हैं विटामिन डी2 और विटामिन डी3. दोनों एक जैसे नहीं होते और शरीर इन्हें अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल करता है.

विटामिन डी2 क्या है और क्यों कम असरदार है?
विटामिन डी2 को एर्गोकैल्सीफेरॉल भी कहा जाता है. ये ज्यादा प्लांट्स, मशरूम और यीस्ट से मिलता है. धूप में रखे गए मशरूम में यह पाया जाता है.

हालांकि डी2 शरीर में विटामिन डी बढ़ा सकता है, लेकिन ये जल्दी टूट जाता है और ज्यादा समय तक शरीर में नहीं टिकता. यही वजह है कि डॉक्टर इसे कम असरदार मानते हैं.

विटामिन डी3 क्यों है बेहतर ऑप्शन?

विटामिन डी3 यानी कोलेकैल्सीफेरॉल वही फॉर्म है जो हमारा शरीर धूप से खुद बनाता है. ये मछली, अंडे की जर्दी, चीज़ और फोर्टिफाइड दूध जैसे फूड्स में पाया जाता है. रिसर्च के मुताबिक, विटामिन डी3 शरीर में ज्यादा तेजी से और लंबे समय तक विटामिन डी के लेवल को बढ़ाता है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि डी3, डी2 के मुकाबले करीब पांच गुना ज्यादा असरदार होता है.

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सही विटामिन डी चुनना क्यों जरूरी है?

विटामिन डी की कमी आज बहुत आम हो चुकी है. इसकी कमी से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, मसल्स में दर्द हो सकता है और शरीर जल्दी थकने लगता है. जब विटामिन डी इतना जरूरी है, तो उसका सही फॉर्म चुनना भी उतना ही जरूरी हो जाता है. सही फॉर्म लेने से ही शरीर को पूरा फायदा मिल पाता है.

विटामिन डी पाने के आसान तरीके

सिर्फ गोली ही नहीं, रोजाना की कुछ चीजें भी विटामिन डी बढ़ाने में मदद करती हैं. फैटी फिश जैसे सैल्मन और टूना खाएं, अंडा पूरा खाएं, खासकर उसकी जर्दी,  मशरूम को डाइट में शामिल करें, फोर्टिफाइड दूध और प्लांट-बेस्ड मिल्क लें और सुबह या दोपहर की हल्की धूप में रोज 15 मिनट बैठें.

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