शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से संबंधित होते हैं. अगर इंसान की फिजिकल हेल्थ खराब होती है तो इसका सीधा असर उसकी मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है. एक रिसर्च के मुताबिक, व्यक्ति की मेटाबॉलिक प्रोफाइल उसके मानसिक स्वास्थ्य से सीधे तौर पर जुड़ी होती है. जिन लोगों को मेटाबॉलिक सिड्रोम होता है, उनमें डिप्रेशन और तनाव के लक्षण भी देखने को मिलते हैं.
मेटाबॉलिक सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में ग्लूकोज और ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल हाई और डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन का लेवल लो पाया जाता है. ये सभी भविष्य में डिप्रेशन, एंग्जाइटी और तनाव से संबंधित डिसऑर्डर का कारण बनते हैं. मेटाबॉलिक डिसऑर्डर के कारण सिज़ोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर और डिप्रेशन जैसे प्रमुख मानसिक विकार हो सकते हैं.
मेटाबॉलिक सिंड्रोम क्या होता है?
मेटाबॉलिक सिंड्रोम में व्यक्ति को उच्च रक्तचाप, खून में शक्कर की ज्यादा मात्रा, कमर के चारों तरफ अतिरिक्त वसा या मोटापा और कोलेस्ट्रॉल का असामान्य स्तर जैसी समस्याएं होती हैं. मेटाबॉलिक सिंड्रोम में व्यक्ति को दिल का दौरा और आघात (स्ट्रोक) आने का जोखिम बढ़ जाता है.
इन लक्षणों से करें पहचान
1. मेटाबॉलिक सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में मोटापा, हाइपरलिपिडिमिया और हाइपरग्लाइकेमिया जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं, जिसकी वजह से ऐसे लोग तनाव में रहने लगते हैं और मेंटल हेल्थ प्रोब्लम का शिकार हो जाते हैं.
2. मेटाबॉलिक सिंड्रोम की वजह से व्यक्ति के शरीर में हार्मोन का असंतुलन भी होने लगता है, जिसके कारण इंसान में मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन देखने को मिलता है.
3. थकान फील करना, लो एनर्जी फील करना, भूख में बदलाव, गतिविधियों में रुचि की कमी जैसे लक्षण मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जूझने वाले लोगों में देखने को मिलते हैं, जो आगे चलकर मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियों को जन्म देते हैं.
4. मेटाबॉलिक सिंड्रोम की वजह से इंसान के शरीर में लैक्टेट, ग्लूटामेट, सैकरोपिन और सिस्टीन हॉर्मोन का लेवल घटने से स्ट्रेस बढ़ता है, जिसके कारण व्यक्ति को मेंटल हेल्थ प्रोब्लम्स होने लगती हैं.