ऊनी कंबल में लिपटा बच्चा जितना मासूम लगता है, खतरा उतना ही गहरा हो सकता है. ग्लोबल अस्थमा नेटवर्क की नई रिपोर्ट में सामने आया है कि एक साल से कम उम्र के बच्चों को अगर ऊनी कंबल में सुलाया जाए तो अस्थमा होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. इतना ही नहीं, बचपन में बिना जरूरत दी गई एंटीबायोटिक्स, गर्भावस्था के दौरान पैरासिटामॉल का अधिक सेवन और यहां तक कि सीजेरियन डिलीवरी भी बच्चों को आगे चलकर अस्थमा का शिकार बना सकते हैं.
इस शहर में कम निकला अस्थमा का असर
देशभर के 9 शहरों में किए गए इस अध्ययन में 1.27 लाख से ज्यादा बच्चों, किशोरों और वयस्कों को शामिल किया गया. लखनऊ से जुड़े डेटा की कमान KGMU की पूर्व पीडियाट्रिक्स विभागाध्यक्ष प्रो. शैली अवस्थी ने संभाली थी. प्रो. अवस्थी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि जहां देश में बच्चों में अस्थमा का औसत प्रकोप 3.16% रहा, वहीं लखनऊ में यह सिर्फ 1.11% था. किशोरों में यह आंकड़ा राष्ट्रीय स्तर पर 3.63% है, जबकि लखनऊ में सिर्फ 1.62%. वयस्कों में भी लखनऊ राहत देने वाला शहर रहा, यहां 1.55% को अस्थमा मिला जबकि बाकी देश में यह औसत 3.3% है.
बच्चों से लेकर बड़ों तक में ये ट्रिगर देते हैं अस्थमा को बढ़ावा
- घर में नमी होना या सीलन
- कम उम्र में एंटीबायोटिक्स का लगातार इस्तेमाल
- मां का गर्भावस्था के दौरान पैरासिटामॉल लेना
- एक साल से कम उम्र में बच्चे का ऊनी कंबल पर लेटना
- घर के आसपास ज्यादा ट्रैफिक, खासकर ट्रकों का चलना
- पालतू जानवरों के ज्यादा संपर्क में रहना
- घर में कोयला, मिट्टी का तेल या उपलों से खाना बनना
- बच्चों में बार-बार निमोनिया होना
- सिजेरियन डिलीवरी से जन्म लेना
- पारिवारिक इतिहास यानी घर में किसी को पहले से अस्थमा होना
कैसे किया गया ये रिसर्च?
अध्ययन में 6–7 साल के छोटे बच्चे और 13–14 साल के किशोर शामिल थे. स्कूलों के जरिए बच्चों से संपर्क किया गया और फिर उन्हीं के जरिए उनके माता-पिता और घर के अन्य सदस्यों को रिसर्च में जोड़ा गया. इसमें 20,084 छोटे बच्चे, 25,887 किशोर और 81,296 वयस्क शामिल हुए. इन सभी से अस्थमा से जुड़े सवाल पूछे गए. उनके रहन-सहन और स्वास्थ्य की आदतें समझी गईं और डेटा के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई.
पेरेंट्स बरतें ये सावधानी
अगर आप नए पैरेंट हैं या बच्चा छोटा है तो इन बातों का ध्यान रखिए. दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी है और परंपरा में चली आ रही चीजें जैसे ऊनी कंबल हमेशा फायदेमंद हों, ये जरूरी नहीं. इसलिए बच्चों को साफ सुथरा रजाई में सुलाना ज्यादा सही कदम है.