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दवा से कम हो रहा मोटापा! 3 महीने में बिके 50 करोड़ के वेट लॉस इंजेक्शन, डॉक्टर ने बताया कितने इफेक्टिव

Weight loss injections: भारत में एली लिली कंपनी की मौनजारो मार्च में लॉन्च हुई थी और अभी 3 महीने में उसकी बिक्री 50 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. डॉक्टर ने बताया है कि ये दवा कितनी इफेक्टिव साबित हो सकती है.

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भारत में 2 वेट लॉस दवाएं मौजूद हैं जो इंजेक्शन फॉर्म में आती हैं.
भारत में 2 वेट लॉस दवाएं मौजूद हैं जो इंजेक्शन फॉर्म में आती हैं.

Weight loss drugs in india: भारत भी वजन घटाने वाली दवाओं की वैश्विक होड़ में शामिल हो गया है क्योंकि भारत में अभी दो वजन कम करने वाली दवाएं मौजूद हैं. हालांकि ये दवाएं मुख्य रूप से डायबिटीज को मैनेज करने के लिए उपयोग की जाती हैं लेकिन ये वेट लॉस में भी मदद करती हैं. इन दो दवाओं को नाम हैं एली लिली कंपनी मौनजारो (Mounjaro) और नोवो नॉर्डिस्क की वेगोवी (Wegovy). भारत में मौनजारो को मार्च में लॉन्च किया गया था और वेगोवी को जून के आखिरी हफ्ते में लॉन्च किया गया है. नोवो और लिली की ये वेट लॉस वाली दवाएं ब्लड शुगर को कंट्रोल करने और डाइजेशन को धीमा करने में मदद करती हैं, जिससे लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है और कम खाते हैं. अब भारत में लोग मोटापे की कितनी दवाइयां प्रयोग कर रहे हैं, आने वाले समय में ये मार्केट कितना बड़ा हो सकता है, दवाइयां खा रहे हैं और ये वेट लॉस दवाइयां कितनी इफेक्टिव हैं, इस बारे में  भी जान लीजिए.

भारत में मोटापा और डायबिटीज

पीएम मोदी ने कुछ समय पहले लैंसेट मैगजीन की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा था कि 2050 तक भारत में लगभग 44 करोड़ लोग मोटापे की समस्या से प्रभावित होंगे, जो एक गंभीर चुनौती है. भारत में लगभग 40 प्रतिशत लोग अधिक वजन वाले हैं, जिनमें से 11.4 प्रतिशत लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं.

द लैंसेट मैग्जीन में पब्लिश हुई एक स्टडी के मुताबिक, दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत में मोटापे और डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं तथा अधिक मोटापे की दर के कारण भी भारत दुनिया में सबसे खराब तीन देशों में आता है. भारतीय मोटापा दवा बाजार 2021 से पांच गुना बढ़ गया है और इसका मूल्य 6.28 अरब रुपये है.

डायबिटीज से पीड़ित वयस्कों की संख्या के मामले में भारत केवल चीन से पीछे है और यहां मोटापे की दर भी लगातार बढ़ रही है. पिछले साल एक गवर्मेंट सर्वे में पाया गया था कि बढ़ती आय और शहरीकरण ने प्रोसेस्ड फूड और ड्रिंक्स की खपत को बढ़ावा दिया है.

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2019 से 2021 तक किए गए एक गवर्मेंट सर्वे में पाया गया कि लगभग हर 4 में से 1 भारतीय वयस्क अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त है. 5 साल पहले यह आंकड़ा हर पांच में से एक था. केवल मोटापे को देखते हुए वर्ल्ड ओबेसिटी फेटरेशन ने अनुमान लगाया है कि 2023 में भारतीय वयस्कों में यह दर 8 प्रतिशत होगी जो अमेरिका में 22 प्रतिशत से काफी कम है. लेकिन भारत की जनसंख्या 4 गुना अधिक है और यहां वयस्कों में मोटापे की दर 2035 तक 11 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है.

पिछले कुछ समय में वजन घटाने में सहायक GLP-1 दवाओं की मांग में तेज़ी से वृद्धि हुई है. गोल्डमैन सैश के अनुसार, इस कैटेगरी की दवाओं का वैश्विक बाजार 2030 तक लगभग 10,790 अरब रुपये तक पहुंचने की संभावना है.

डेटा और एनालिटिक्स फर्म ग्लोबलडाटा के फार्मास्युटिकल्स विश्लेषक नादिम अनवर ने कुछ समय पहले एक रिपोर्ट में लिखा था, 'अनहेल्दी खानपान, सुस्त लाइफस्टाइल और पर्यावरणीय कारकों के कारण मोटापा तेजी से बढ़ रहा है, जिसका असर शहरी और ग्रामीण दोनों आबादी पर पड़ रहा है. और यही प्रवृत्ति दवा बाजार की वृद्धि को बढ़ावा दे रही है.'

भारत में मौनजारो की बिक्री

ऑनलाइन डेटाबेस और एनालेटिकल टूल्स फार्माट्रैक जो कि भारतीय दवा बाजार के बारे में जानकारी देता है, उसके आंकड़ों के मुताबिक, टाइप-2 डायबिटीज के ट्रीटमेंट और मोटापे को कंट्रोल करने वाली दवा मौनजारो ने भारत में तेजी से लोकप्रियता हासिल की है. मार्च 2025 में इसके लॉन्च होने के सिर्फ तीन महीनों के भीतर इसकी बिक्री 50 करोड़ रुपये दर्ज की गई है. फार्मारैक की वाइस प्रेसिडेंट (कमर्शिअल) शीतल सापले का कहना है कि मोटापे के लिए नई दवाओं की उपलब्धता और उन्हें आजमाने की इच्छा ने बाजार की ग्रोथ को बढ़ावा दिया है.

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Reuters के मुताबिक, मौनजारो की मासिक बिक्री मई में 13 करोड़ रुपये से बढ़कर जून में 26 करोड़ रुपये हो गई थी. लॉन्च के बाद से मौनजारो की बिक्री 7 गुना से अधिक बढ़ गई. मार्च और मई में 81,570 मौंजारो यूनिट बेची थीं और वहीं अकेले जून में इनकी बिक्री 87,986 यूनिट तक पहुंच गई थी.

सन फार्मा, सिप्ला, डॉ. रेड्डीज, ल्यूपिन और बायोकॉन जैसी भारतीय दवा कंपनियां सस्ती जेनेरिक दवाएं लॉन्च करने की तैयारी कर रही हैं जिससे यह अगले 10 सालों में 12,450 अरब रुपये ($150 billion) के वैश्विक बाजार के नक्शे पर आ जाएगा.

वेगोवी और मौनजारो की कीमत 17,000 रुपये से 26,000 रुपये प्रति माह के बीच है, जिससे बीमा या भारी-भरकम जेब वाले अधिकांश भारतीयों की पहुंच से बाहर हो जाती है. हालांकि कीमत अधिक होने से भी भारत के मध्यम वर्गीय परिवारों का वेट लॉस दवाओं के लिए उत्साह कम नहीं हुआ. देश भर के डॉक्टरों ने बताया कि उनके पास अब और अधिक मरीज आने लगे हैं जो इसकी जानकारी और डिमांड को लेकर सवाल कर रहे हैं.

वेट लॉस दवाएं कितनी इफेक्टिव हैं?

रॉयटर्स हेल्थ राउंड्स के मुताबिक, रिसर्च से पता चला है कि परीक्षणों की तुलना में असल लाइफ में इन वेट लॉस की प्रभावशीलता कम होती है. इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले साल के अंत में कहा था कि इन दवाओं से 'मोटापे की महामारी को समाप्त करने की संभावना' है लेकिन इनसे वे लोग पीछे छूट सकते हैं जिनके पास ये इलाज लेने के लिए उचित साधन (पैसा) नहीं है. ऐसे में उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

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बेंगलुरु के फोर्टिस हॉस्पिटल में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और बैरिएट्रिक और रोबोटिक सर्जरी के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. मनीष जोशी ने Aajtak.in को बताया, 'मौनजारो (टिर्जेपेटाइड) भारत में वजन घटाने के लिए उपयोग की जा रही है. मोटापे की इन दवाओं का इस्तेमाल शुरुआत में टाइप 2 डायहिटीज के लिए किया जाता था लेकिन अब ये वेट लॉस के लिए फेमस हो रही हैं.'

'भारत में मौजूद मौनजारो और वेगोवी, दोनों ही एक प्राकृतिक हार्मोन (इंसुलिन) की नकल करके काम करते हैं जो ब्लड शुगर और भूख को नियंत्रित करता है जिससे ग्लाइसेमिक कंट्रोल में सुधार होता है और वजन कम होता है. इन्हें सप्ताह में एक बार स्किन के नीचे इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है. ये दवाएं शरीर के वजन को काफी हज तक कम करने, ब्लड शुगर को कंट्रोल करने, पेट खाली होने के समय में देरी करने और पेट भरा होने का एहसास दिलाने में कारगर साबित हुई हैं.'

'वजन घटाने के अलावा ये टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में हार्ट संबंधी घटनाओं के जोखिम को भी कम करती हैं. वेगोवी को विशेष रूप से मोटापे से ग्रस्त 12 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्कों में वजन कम करने के लिए प्रिस्क्राइब किया जा सकता है.'

'मौनजारो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने वाले और भूख को कम करने वाले दोनों हार्मोनों को टारगेट करती है जिससे ग्लाइसेमिक कंट्रोल में सुधार होता है और वजन कम होता है.'

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'जो लोग नॉन-सर्जिकल ऑपशंस की तलाश में हैं, उनके लिए ये आशाजनक दवाएं हैं जो टाइप 2 डायबिटीज और मोटापे से ग्रस्त लोगों के अलाज की उम्मीद जगाती हैं. इनका उपयोग डाइट और एक्सरसाइज के साथ किया जाता है. लेकिन इनको प्रयोग में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लेनी चाहिए.'

मौनजारो कैसे काम करती है?

मौनजारो डाइट और एक्सरसाइज के साथ मिलकर वजन घटाने और टाइप 2 डायबिटीज के नियंत्रण में मदद करती है. यह शरीर में तीन प्रमुख तरीकों से असर करती है. इंसुलिन स्त्राव बढ़ाती है जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल होता है. इंसुलिन सेंसिटिविटी सुधारती है जिससे शरीर इंसुलिन के प्रति बेहतर प्रतिक्रिया देता है. भूख कम करती है जिससे पेट भरा हुआ महसूस होता है, जिससे भोजन की मात्रा घटती है और वजन कम होता है. यह दवा शरीर में ऊर्जा के उपयोग और फैट को जलाने की प्रक्रिया को बेहतर बनाती है.

शरीर में ब्लड शुगर, यानी ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल करने के लिए एक प्राकृतिक हार्मोन इंसुलिन है. मौनजारो इंसुलिन के स्त्राव को बढ़ाती है जिससे शरीर में अधिक इंसुलिन बनाता है. यह इंसुलिन कोशिकाओं तक ग्लूकोज पहुंचाता है जिससे शरीर को एनर्जी मिलती है और प्रोटीन और फैट को बेहतर ढंग से उपयोग करने में मदद मिलती है.

साथ ही मौनजारो शरीर की इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाता है, यानी शरीर इंसुलिन पर अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देता है. मौनजारो का भूख नियंत्रण तीसरा बड़ा प्रभाव है. यह खाने के बाद पेट भरा हुआ महसूस होता है जो खाने की इच्छा को कम करता है. अब जब इंसाम कम खाता है और एक्टिविटी करता है तो धीरे-धीरे उसका वजन कम होने लगता है.

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