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ब्रोकली में मौजूद बोटुलिज्म ने ली शख्स की जान? इन सब्जियों में होता है ये खतरनाक बैक्टीरिया, कैसे करें बचाव

इटली में एक शख्स की मौत ब्रोकली खाने के बाद हुई है, उसमें बोटुलिज्म के लक्षण पाए गए हैं. आइए जानते हैं कि ब्रोकली के अलावा किन सब्जियों में क्लॉस्ट्रिडियम बोटुलिनम बैक्टीरिया हो सकते हैं.

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ब्रोकली में फाइबर की मात्रा अधिक होती है. (Image Credit: FreePic)
ब्रोकली में फाइबर की मात्रा अधिक होती है. (Image Credit: FreePic)

Botulism Disease : इटली में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां ब्रोकली खाने के बाद एक शख्स की  मौत हो गई. घटना दो दिन पहले की बताई जा रही है और इसके सामने आते ही लोग चौंक गए हैं. 52 साल के आर्टिस्ट लुईगी डि सरनो अपनी फैमिली के साथ कैलाब्रिया में वेकेशन मना रहे थे, जहां उन्होंने समुद्र किनारे पर एक दुकान से ब्रोकली और सॉसेज सैंडविच खरीदा था. खाने के तुरंत बाद ही लुईगी की तबीयत अचानक बिगड़ गई. हॉस्पिटल ले जाने से पहले ही उसने दम तोड़ दिया. लुईगी के परिवार के लोग भी बीमार पड़ और उनको भी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जहां डॉक्टरों ने बताया है कि मरीजों में बोटुलिज्म के लक्षण दिखाई दिए हैं. 

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रोकली में क्लॉस्ट्रिडियम बोटुलिनम (Clostridium botulinum)नाम का खतरनाक बैक्टीरिया हो सकता है. दरअसल, ये बैक्टीरिया एक बेहद खतरनाक टॉक्सिन (जहर) बनाता है जो 'बोटुलिज्म' नाम की गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है. चलिए जानते हैं कि क्लॉस्ट्रिडियम बोटुलिनम क्या है और ये  बैक्टीरिया ब्रोकली के अलावा और किन सब्जियों में पाया जाता है.

क्या है बोटुलिज्म बीमारी?

बोटुलिज्म एक गंभीर और दुर्लभ बीमारी है जो क्लॉस्ट्रिडियम बोटुलिनम नाम के बैक्टीरिया से होती है. क्लॉस्ट्रिडियम बोटुलिनम बैक्टीरिया ऑक्सीजन-रहित (anaerobic) माहौल में पनपता है. यह मिट्टी, पानी और कुछ खाद्य पदार्थों में स्वाभाविक रूप से मौजूद हो सकता है, लेकिन जब इसे सही तरीके से संरक्षित या पकाया न जाए. तो ये जहरीला टॉक्सिन बनाकर खतरनाक साबित हो सकता है. बोटुलिज्म से तंत्रिका तंत्र (nervous system) प्रभावित होता है, जिससे मांसपेशियों में लकवा, सांस लेने में तकलीफ और कई बार मौत भी हो सकती है.

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किन सब्जियों में पाया जा सकता है यह बैक्टीरिया?

Mayo Clinic के अनुसार, ये बैक्टीरिया आमतौर पर उन सब्जियों में पाया जा सकता है जिन्हें ठीक से डिब्बाबंद या स्टोर नहीं किया गया है. खासकर लो-एसिड सब्जियों में क्लॉस्ट्रिडियम बोटुलिनम बैक्टीरिया पाया जाता है. 

  • डिब्बाबंद हरी बीन्स, गाजर, मक्का और चुकंदर.
  • पत्तागोभी, पालक और ब्रोकोली जैसी सब्जियां अगर वैक्यूम पैक या एयरटाइट कंटेनर में गलत तरीके से स्टोर की गई हो.
  • तेल में स्टोर की गई सब्जियों जैसे लहसुन या मशरूम.
  • पके हुए आलू, खासकर अगर फॉइल में लपेटकर कमरे के तापमान पर रखा जाए.
  • डिब्बाबंद टमाटर, अगर सही स्टरलाइजेशन न हो.

संभावना है कि ये बैक्टरिया के स्पोर्स शहद में भी पाए जा सकते हैं, इसी कारण से 1 साल से छोटे बच्चों को शहद नहीं देने की सलाह दी जाती है.

भारत में खतरा क्यों है?

इटली और विदेशों में खाने को स्टोर करके रखने का चलन है और फिलहाल भारत में बोटुलिज्म के मामले दुर्लभ है. मगर ऐसा बिल्कुल नहीं है कि यहां पर खतरा टल गया है. भारत में अक्सर ही घरों में अचार, तेल में स्टोर लहसुन या मिर्च और डिब्बाबंद सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है. गर्म और नमी वाले मौसम में अगर ये खाने की चीजों सही टेम्परेचर और सफाई के साथ स्टोर न किए जाएं तो बैक्टीरिया पनप सकता है. देखा जाए तो गांव के इलाकों में धूल और मिट्टी की वजह से ये बैक्टीरिया सब्जियों में आसानी से पहुंच सकता है. इसके साथ ही अगर पैक्ड या वैक्यूम-सील्ड सब्जियों लंबे वक्त तक कमरे के तापमान पर रखा जाएं तो उनमें भी खतरा बढ़ सकता है.

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कैसे करें बचाव?

एक्सपर्ट चेतावनी देते हैं कि खाने की चीजों के जो निमय होते हैं, उनका पालन न करना गंभीर स्वास्थ्य खतरा पैदा कर सकता है. इसलिए कभी इनकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए.

  • घर पर डिब्बाबंद या स्टोर फूड प्रोडक्ट बनाते समय सफाई और सही तापमान का ध्यान रखें.
  • किसी भी डिब्बे का ढक्कन फूलना, लीक होना या असामान्य बदबू आना, बैक्टीरिया के पनपने का संकेत हो सकता है.
  • फ्रेश और पैक्ड सब्जियों को इस्तेमाल से पहले अच्छी तरह धोएं और सही तापमान पर उनको पकाएं. 
  • जार खोलने के बाद किसी भी डिब्बाबंद या अचार वाले फूड प्रोडक्ट को फ्रिज में रखें.
  • प्रूनो न पिएं, ये एक तरह की घरेलू शराब होती है, जिसे लोग जेलों और कारगारों में बनाते हैं.


इस बैक्टीरिया से बचने के लिए अपने जख्मों को भी साफ रखें, क्योंकि उन लोगों में इसका खतरा बढ़ जाता है जिन्हें किसी तरह की चोट लगी हो. इसलिए अपनी चोट का खास ख्याल रखें और समय पर उसका इलाज कराएं.

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