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फैक्ट चेक: जिस फोटो के जरिए मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री बैन का दावा झूठा बताया जा रहा है, ये रही उसकी असलियत

अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री बैन का मामला गरमाया हुआ है. इसी बीच एक फोटो को प्रेस कॉन्फ्रेंस की बताकर शेयर किया गया, वास्तव में वह विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के एक कार्यक्रम की थी.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
फोटो से पता चलता है कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री बैन वाली बात गलत है. फोटो उसी प्रेस कॉन्फ्रेंस की है जिसमें महिला पत्रकार भी दिख रही हैं.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
ये फोटो किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं बल्कि विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के एक कार्यक्रम की है जिसमें अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी शामिल हुए थे.

अफगानिस्तान के तालिबानी विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी का भारत दौरा तब विवादों में आ गया जब खबरें आई कि अफगान दूतावास में हुई मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को नहीं आने दिया गया. 

इस पर लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधा कि इस भेदभाव पर प्रधानमंत्री की चुप्पी उनके नारी शक्ति के नारों के खोखलेपन को उजागर करती है.

लेकिन अब इसके उलट एक फोटो के साथ दावा किया जा रहा है कि इस मामले पर विपक्ष झूठ बोल रहा है क्योंकि मुत्ताकी की प्रेस वार्ता में महिला पत्रकार भी शामिल थीं.

 

वायरल फोटो किसी हॉल में चल रही मीटिंग या कॉन्फ्रेंस का है जहां कई लोग बैठे दिख रहे हैं. इनमें कुछ महिलाएं भी हैं. साथ ही, आगे की कतार में अफगानी लिबास में कुछ आदमियों को भी बैठे देखा जा सकता है. दावे के मुताबिक, ये मुत्ताकी की प्रेस वार्ता की तस्वीर है.

फोटो के साथ कैप्शन में लिखा है, “सच यह भी है कि अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री की प्रेस कांफ्रेंस में महिला रिपोर्टर्स मौजूद थीं. फोटो देखिये और गिन लीजिये कितनी महिलाएं हैं... मुझे तो 8-10 दिख रही हैं. लेकिन मोदी विरोध के रोग से पीढ़ीत हमारे विपक्ष को नहीं दिखी”.

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ये लिखकर फोटो को फेसबुक और एक्स पर कई लोग शेयर कर चुके हैं. वायरल पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है. 

लेकिन आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये फोटो किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं बल्कि विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के एक कार्यक्रम की है जिसमें मुत्ताकी शामिल हुए थे. 

कैसे पता की सच्चाई?

फोटो को गूगल लेंस से सर्च करने पर हमें ये विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन (वीआईएफ) के एक एक्स पोस्ट में मिली. 10 अक्टूबर के इस पोस्ट में लिखा है कि वीआईएफ के कार्यक्रम में अमीर खान मुत्ताकी शामिल हुए और उनसे दोनों देशों के आर्थिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सभ्यता के विषयों को लेकर बातचीत हुई. इस दौरान मुत्ताकी ने  रवींद्रनाथ टैगौर द्वारा लिखी गई कहानी ‘काबुलीवाला’ का भी जिक्र किया. 

 

 

इस बारे में न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने एक खबर भी छापी है. नई दिल्ली में आयोजित इस इवेंट में महिला स्कॉलरर्स सहित भारतीय विश्लेषक और एक्पर्ट्स मौजूद थे.

वीआईएफ, नई दिल्ली स्थित एक थिंक टैंक है जो विदेशी मामलों, राष्ट्रीय सुरक्षा व रणनीति और पब्लिक पॉलिसी में में विशेषज्ञता रखता है. 

इससे ये साफ हो जाता है कि वायरल फोटो मुत्ताकी की उस प्रेस कॉन्फ्रेंस की नहीं है जिसमें महिला पत्रकारों की एंट्री नहीं हो पाई.

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आजतक के पत्रकार प्रणय उपाध्याय भी मुत्ताकी की इस प्रेस वार्ता का हिस्सा थे. उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की कि इसमें कोई महिला पत्रकार नहीं थी.  

विवाद पर तालिबान ने क्या कहा?

खबरों के मुताबिक, तालिबान के राजनीतिक चीफ सुहैल शाही ने कहा है कि प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री बैन नहीं थी. ऐसा अनजाने में हुआ. तालिबान का ऐसा कोई इरादा नहीं था कि महिला पत्रकारों को वार्ता में न आने दिया जाए. उन पर लगाए जा रहे भेदभाव के आरोप गलत हैं. 

सुहैल शाही का कहाना था कि प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के लिए सीमित पास थे जो कुछ को मिले, कुछ को नहीं. हालांकि, विवाद के बाद रविवार को अमीर खान मुत्ताकी ने एक और प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की जिसमें महिला पत्रकार भी शामिल हुईं.

इस पूरे विवाद में भारतीय विदेश मंत्रालय अपना रुख पहले ही साफ कर चुका है कि 10 अक्टूबर को अफगान दूतावास में हुई इस प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं थी. 

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