आजादी के बाद देसी रियासतों के भारत में विलय को लेकर सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका बेहद अहम मानी जाती है. कश्मीर रियासत के भारत में विलय का एक किस्सा इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. दो लोगों की एक तस्वीर को शेयर करते हुए कुछ लोग ऐसा कह रहे हैं कि ये पटेल और कश्मीर के अंतिम शासक महाराजा हरि सिंह हैं.
एक सोशल मीडिया यूजर ने इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा, "बहुत कम ही लोग जानते होंगे इस तस्वीर के बारे मे...ये कश्मीर के महाराज हरि सिंह है जिन्होंने पाकिस्तान के डर के चलते हमारे सरदार के सामने सर झुकाना कबूल किया.. सच मे समय बहुत बलवान होता है, लेकिन उससे भी बलवान सच मे हमारे सरदार थे जिन्होंने उनके दर में आये हरि सिंह की मदद का अपना वादा पूरा किया और पाकिस्तान को दांतों तले चने चबवा दिये."

ऐसे ही एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है. इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि वायरल तस्वीर में पटेल के अलावा दूसरे शख्स कश्मीर के अंतिम शासक हरि सिंह नहीं, बल्कि हैदराबाद के आखिरी निजाम मीर ओसमान अली खान हैं.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
वायरल तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर ये हमें कई न्यूज रिपोर्ट्स में मिली. 16 सितंबर 2022 को प्रकाशित हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ये निजाम के भारत सरकार के सामने सरेंडर करने के बाद की तस्वीर है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में भी हमें ये तस्वीर मिली. वहां भी इसे भारत के उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के समक्ष हैदराबाद के निजाम ओसमान अली खान के सरेंडर की तस्वीर बताया गया है.
सीनियर जर्नलिस्ट सैय्यद अकबर ने भी इस तस्वीर को ट्वीट किया है. उन्होंने इसके साथ जानकारी दी है कि इस तस्वीर में जनवरी 1949 को हैदराबाद में ‘ऑपरेशन पोलो’ के बाद हकीमपेट एयरपोर्ट पर निजाम ओसमान अली खान को केंद्रीय गृह मंत्री सरदार पटेल का स्वागत करते देखा जा सकता है.
दरअसल साल 1947 में भारत के बंटवारे के वक्त अंग्रेजों ने 550 से भी ज्यादा देसी रियासतों को भारत या पाकिस्तान में से किसी एक में शामिल होने या आजाद रहने का विकल्प दिया था. हैदराबाद के निजाम,कश्मीर के राजा और जूनागढ़ रियासत इसमें आनाकानी कर रहे थे.
जब बातचीत से बात नहीं बनी तो हैदराबाद रियासत को भारत का हिस्सा बनाने के लिए 13 सितंबर, 1948 को भारतीय सेना ने एक्शन लिया. मेजर जनरल जेएन चौधरी के नेतृत्व में भारत की सेना हैदराबाद में घुसी. भारतीय सेना की इस कार्रवाई को 'ऑपरेशन पोलो' का नाम दिया गया. 108 घंटों तक चली इस कार्रवाई के बाद निजाम ने अपना दूत भेजकर भारतीय सेना के सामने अपने सैनिकों को आत्मसमर्पण की पेशकश की.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी 1949 को जब सरदार पटेल का विमान हैदराबाद के बेगमपेट हवाईअड्डे पर उतरा तो निजाम हैदराबाद वहां मौजूद थे. जब निजाम ने पटेल के सामने आकर अपना सिर झुकाकर हाथ जोड़े तो उन्होंने मुस्कराकर उनका अभिवादन स्वीकार किया. ये तस्वीर उसी वक्त की है.
वहीं कश्मीर के राजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 भारत के साथ विलय-पत्र पर दस्तखत किए थे. उस वक्त पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर पर कबाइली हमला हो चुका था. विलय-पत्र पर दस्तखत होने के बाद भारत की सेना की कश्मीर में एंट्री हुई.