इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जिन जगहों को लेकर संघर्ष है, उनमें से एक यरुशलम के पुराने शहर क्षेत्र में स्थित अल-अक्सा मस्जिद भी है. इस्लाम में इसे तीसरा सबसे पवित्र स्थल माना जाता है. दोनों पक्ष इस पर अपना दावा करते हैं और अक्सर इसके लिए दोनों देशों की बीच हिंसक टकराव होता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायली सुरक्षा बलों ने 21 जून, 2020 को मस्जिद परिसर में पांच फिलिस्तीनी महिलाओं और एक गार्ड को हिरासत में लिया था. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें एक लड़की एक पुलिसकर्मी की आंखों में आंखें डालकर उसे घूर रही है. इस तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि अल-अक्सा मस्जिद की रक्षा के लिए यह फिलिस्तीनी लड़की बहादुरी से इजरायली पुलिस के सामने खड़ी हो गई.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि यह तस्वीर चार साल पुरानी है और चिली के सैंटियागो की है, जहां एक युवा प्रदर्शनकारी राजनीतिक विरोध-प्रदर्शन के दौरान एक पुलिसकर्मी के सामने तनकर खड़ी हो गई थी और उसकी आंखों में आंखें डालकर देख रही थी.
पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है.
कई फेसबुक यूजर्स जैसे “USA Muslims ” ने यह तस्वीर पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा, “मैं एक बुद्धिहीन बेवकूफ टिकटॉकर मुस्लिम लड़की नहीं हूं. मैं एक अरबी मुस्लिम लड़की हूं. मैं अपनी मस्जिद-उल-अक्सा के लिए अपनी जिंदगी की आखिरी सांस तक लड़ूंगी. अगर आप रोक सकें तो रोक लें! -एक बहादुर फिलिस्तीनी बहन. अल्लाह हमारे फिलिस्तीनियों भाइयों और बहनों की रक्षा करे... आमीन या रब”
AFWA की पड़ताल
हमने वायरल तस्वीर को रिवर्स सर्च किया और पाया कि यह तस्वीर रॉयटर्स के फोटो स्टॉक में मौजूद है. यह तस्वीर 11 सितंबर, 2016 को रॉयटर्स के फोटोग्राफर कार्लोस वेरा मंसिला ने चिली के सैंटियागो में एक कब्रिस्तान के बाहर खींची थी. रॉयटर्स पर इस तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा है, “देश के 1973 के सैन्य तख्तापलट के विरोध के दौरान एक पुलिसकर्मी को देखती प्रदर्शनकारी.”
हमें इस घटना के बारे में एक न्यूज रिपोर्ट भी मिली. यह विरोध-प्रदर्शन चिली के खूनी सैन्य तख्तापलट के 43वें वर्ष पर था, जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति सल्वाडोर अलेंदे को सत्ता से हटाकर उन्हें मार दिया गया और अगस्तो पिनोशे के नेतृत्व वाली सैन्य सरकार बनाई गई थी.
लिहाजा, यह स्पष्ट है कि वायरल तस्वीर चिली की है और इसका इजरायल और फिलिस्तीन के अल-अक्सा मस्जिद विवाद से कोई संबंध नहीं है. यरुशलम की यह मस्जिद इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है, लेकिन यहूदी भी इसे अपने पवित्र स्थल के रूप में मानते हैं.