scorecardresearch
 

एक से दूसरे देश की सीमा पार करते हुए डिजिटल एंट्री, क्या यूरोपीय देशों में बढ़ रहा आपसी अविश्वास?

यूरोपियन काउंसिल ने जुलाई में कहा था कि वो यूरोपीय यूनियन (ईयू) की सीमाओं पर बेहतर कंट्रोल के लिए नया सिस्टम लाने की सोच रहा है. तीन महीने बाद यह सिस्टम लागू भी हो गया. अब टूरिस्ट वीजा पर या कम समय के लिए ईयू देश घूमने गए लोगों के लिए डिजिटल एंट्री और एग्जिट होगा. यह कदम आइडेंटिटी फ्रॉड और घुसपैठ रोकने के लिए उठाया जा रहा है.

Advertisement
X
यूरोप के फ्री-ट्रैवल जोन में भी अब बायोमैट्रिक जांच बढ़ रही है. (Photo- Reuters)
यूरोप के फ्री-ट्रैवल जोन में भी अब बायोमैट्रिक जांच बढ़ रही है. (Photo- Reuters)

अब तक अवैध प्रवास या एक से दूसरे देश में एंट्री कर रहे लोगों के लिए यूरोप तुलनात्मक तौर पर उदार रहा, लेकिन अब इसमें बदलाव दिख रहा है. यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने रविवार को एक सिस्टम लागू किया. इसके तहत नॉन-ईयू पर्यटकों या कम वक्त के लिए आए लोगों को फ्री ट्रैवल जोन में भी यात्रा करते हुए आने-जाने के सबूत देने होंगे. माना जा रहा है कि ऐसा घुसपैठ को रोकने के लिए किया जा रहा है. 

ईयू आवाजाही को लेकर सख्त हो चुका. रविवार से वहां नया एंटी-एग्जिट सिस्टम (ईईएस) लागू हो गया. ये पूरे यूरोपियन यूनियन पर काम करेगा. इसमें यूरोपियन देशों के साथ-साथ स्विटजरलैंड, नॉर्वे, लिक्टनस्टीन और आइसलैंड भी शामिल हैं. इसके तहत नॉन यूरोपियन देशों के लोगों को सीमा पर अपनी बायोमैट्रिक जानकारी देनी होगी. इसके बाद ही वे यूरोप में प्रवेश कर सकेंगे. 

यह पासपोर्ट का रिप्लेसमेंट हो सकता है. इसमें एक से दूसरे देश जाते हुए पासपोर्ट चेक नहीं होगा, न ही उसपर सील लगेगी, बल्कि सीधे बायोमैट्रिक जांच होगी. अगले साल अप्रैल से ये पूरी तरह काम करने लगेगा. 

क्या बदल चुका

पहले शेंगेन देशों में बिना विशेष परमिट के घूमना आसान था. आम तौर पर शेंगेन वीजा लेने वाले गैर-यूरोपीय नागरिक 90 दिनों  से लेकर 180 दिनों के लिए किसी भी शेंगेन देश में घूम-फिर सकते थे.  यानी एक देश से दूसरे देश में आने-जाने के लिए अलग से परमिट की जरूरत नहीं थी. ईईएस के बाद ये प्रक्रिया डिजिटल और रिकॉर्डेड हो गई है. इसका मकसद है कि सीमा पर लोगों की आवाजाही पर नजर रहे और सुरक्षा बढ़े. 

Advertisement
illegal immigration by boats (Photo- PTI)
यूरोप में घुसपैठ के लिए लोग छोटी नावों का सहारा ले रहे हैं. (Photo- PTI)

कैसी होगी सारी प्रक्रिया

जब कोई पर्यटक पहली बार सीमा पर आएगा, तब सेल्फ सर्विस स्क्रीन पर उसे एक जानकारी देनी होगी. इसमें नाम, पासपोर्ट की जानकारी, फिंगरप्रिंट, एंट्री और एग्जिट की जगह बतानी होगी. मशीन  उसका चेहरा दर्ज कर लेगी. 12 साल से छोटे बच्चों की उंगलियों के निशान नहीं लिए जाएंगे. 

यह प्रोसेस इस बात पर निर्भर करती है कि आप कहां जा रहे हैं और कब. उदाहरण के लिए डोवर पोर्ट से जाने वाले यात्रियों के लिए यह सिस्टम लागू हो चुका. नवंबर से यह सभी यात्रियों के लिए काम करने लगेगा. यूरोस्टार ट्रेन पर यह धीरे-धीरे लागू होगा. हवाई अड्डों पर भी अलग-अलग समय पर लागू किया जा रहा है. जैसे, जर्मनी में शुरुआत छोटे एयरपोर्ट्स से होगी और धीरे-धीरे बड़े हवाई अड्डों पर यह प्रक्रिया लागू होगी.

कुल मिलाकर, ईईएस एक नई डिजिटल प्रक्रिया है, जिसमें पहचान, पासपोर्ट और अंगुलियों के निशान के साथ फोटो लिया जाएगा और यह धीरे-धीरे पासपोर्ट का विकल्प हो जाएगा लेकिन ज्यादा असरदार और लीक प्रूफ. 

इनके लिए नहीं है जांच का नियम

- वे लोग जिनके पास वेटिकन सिटी या होली सी का पासपोर्ट है. 

- गैर-यूरोपीय नागरिक जिनके पास ईयू देशों, जैसे आयरलैंड और साइप्रस में, रेजिडेंस परमिट है. 

- गैर- यूरोपीय नागरिक जो रिसर्च के लिए या सोशल वर्क के लिए आ-जा रहे हों. 

- ऐसे यात्री जो एंडोरा, मोनाको और सां मैरिनो में रहते हों या वहां लंबी अवधि का वीजा हो. 

- जिनके पास लोकल बॉर्डर ट्रैफिक परमिट हो. 

- इंटरनेशनल कनेक्टिंग यात्रा पर यात्रियों और माल गाड़ियों के क्रू मेंबर्स को छूट. 

Advertisement
biometric border safety (Photo- AP)
ईयू देशों में दिए हुए वक्त से ज्यादा रहने वालों का बायोमैट्रिक पांच साल के लिए अमान्य हो जाएगा. (Photo- AP)

कितनी कड़ी है व्यवस्था

एक बार बायोमैट्रिक डेटा देने पर वो तीन सालों के लिए फाइल में दर्ज रहेगा. इससे दूसरी बार वीजा मिलने में आसानी होगी. लेकिन ये तभी होगा जब पर्यटक तय समय के भीतर वापस लौट जाएं. अगर वे ज्यादा रुक जाएं तो डिटेल पांच सालों के लिए रोक दी जाएगी यानी वीजा नहीं मिलेगा. 

क्यों उठाया गया ये कदम

रूस और यूक्रेन जंग के बीच यूरोप काफी सहमा हुआ है. आने वाली फरवरी में लड़ाई को चार साल हो जाएंगे. इस बीच काफी बड़ी यूक्रेनी आबादी यूरोपियन देशों में माइग्रेट कर गई. मिडिल ईस्ट से एक दशक से ज्यादा समय से यूरोप की तरफ पलायन हो ही रहा है. यहां तक कि कई देश ओवर-क्राउडेड होने लगे. अब देश आपस में भी उलझ रहे हैं. जैसे कई देश आरोप लगा रहे हैं कि पड़ोसियों की कमजोर सीमाओं से एंट्री लेकर लोग उनके यहां प्रवेश कर रहे हैं.

इसपर नजर रखने के लिए सीमा सुरक्षा बढ़ाना एक तरीका था. हालांकि कई देश पेट्रोलिंग को लेकर उतने खुले हुए नहीं. न ही वे सीमा पर उतनी मॉडर्न फेंसिंग लगा रहे हैं. ऐसे में ईईएस की योजना बनाई और लागू की गई. अगर कोई गैर-यूरोपीय प्रॉपर वीजा लेकर आता है, लेकिन एक से दूसरे देश में जाकर छिप जाता है और ओवरस्टे करता है, या वहीं रहने का तय कर लेता है, तो बायोमैट्रिक सिस्टम से ये तुरंत फ्लैग हो सकेगा.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement