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दिल्ली में BMW की टक्कर में जान गंवाने वाले साइकिलिस्ट अकेले नहीं, हर दिन 11 साइकिल सवारों की मौत, दिल्ली में ही 42% बढ़े हादसे

राजधानी दिल्ली में BMW कार से टक्कर में साइकिल सवार की मौत के बाद रोड सेफ्टी पर सवाल उठने लगे हैं. आंकड़े बताते हैं कि साइकिल चलाना सेहतमंद तो है लेकिन सुरक्षित नहीं है. सरकारी आंकड़ों की मानें तो भारत में हर दिन औसतन 11 साइकिल सवारों की मौत सड़क हादसों में हो जाती है. ये हाल तब है जब आधे भारतीय परिवारों के पास साइकिल है.

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रविवार सुबह BMW कार की टक्कर में साइकिलिस्ट शुभेंदु चटर्जी की मौत हो गई. (फाइल फोटो)
रविवार सुबह BMW कार की टक्कर में साइकिलिस्ट शुभेंदु चटर्जी की मौत हो गई. (फाइल फोटो)

दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में महिपालपुर फ्लाईओवर पर BMW ने एक साइकिल सवार को टक्कर मार दी. इस दुर्घटना में साइकिल सवार की मौत हो गई. पुलिस ने बताया कि कार चला रहे ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया गया है.

पुलिस ने बताया कि इस हादसे में 49 साल के शुभेंदु चटर्जी की मौत हो गई है. दिल्ली में उनकी गारमेंट फैक्ट्री है और वो गुरुग्राम में रहते थे. उनके दोस्तों ने दावा किया है कि चटर्जी 10 साल से साइकिल चला रहे थे.

वहीं, BMW कार के मालिक की पहचान सुनील के रूप में हुई है, जो एक कारोबारी हैं और दिल्ली के पंजाबी बाग में रहते हैं. हादसे के वक्त इस कार को ड्राईवर सोमवीर चला रहा था, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस का कहना है कि शुरुआती जांच में सामने आया है कि कार का टायर फट गया था, जिससे गाड़ी कंट्रोल नहीं हो सकी और साइकिल सवार को टक्कर लग गई. 

साइकिल चलाना काफी सेहतमंद माना जाता है, लेकिन ये उतनी सुरक्षित नहीं है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी दिल्ली में पिछले साल जनवरी से मई के बीच 12 साइकिल सवारों की सड़क हादसे में मौत हुई थी, जबकि इस साल इसी दौरान 17 साइकिलिस्ट की मौत हो चुकी है. यानी, एक साल में ही साइकिल सवारों की मौत में 42 फीसदी का इजाफा हो गया है.

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वहीं, सड़क और परिवहन मंत्रालय की सड़क हादसों पर आई रिपोर्ट बताती है कि 2020 में देश में 4,167 साइकिल सवारों की मौत हुई थी. यानी, सड़क हादसों में हर दिन औसतन 11 साइकिल सवारों की जान गई. 

जबकि, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट बताती है कि 2021 में देशभर में सड़क हादसों में 1.55 लाख से ज्यादा लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई थी. इनमें से करीब 45 फीसदी यानी 68 हजार 240 से ज्यादा लोग दोपहिया सवार थे. हालांकि, इस रिपोर्ट में ये नहीं बताया गया था कि दोपहिया वाहनों में कितने साइकिल सवार हैं? लेकिन इन रिपोर्ट्स से ये समझा जा सकता है कि दोपहिया चलाने वालों के लिए सड़क कितनी अनसेफ होती जा रही है.

भारत के आधे घरों में साइकिल

भारत में आम आदमी के लिए आने-जाने के लिए साइकिल प्रमुख साधन रही है. यही वजह है कि अभी भी देश के आधे घरों में साइकिल है. 

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 50.4% परिवारों के पास साइकिल है. 2015-16 की तुलना में ये आंकड़ा थोड़ा कम हुआ है. उस समय देश में 52 फीसदी से ज्यादा परिवारों के पास साइकिल थी. 

हालांकि, इसके बावजूद भारत में साइकिल का क्रेज बढ़ता जा रहा है. भारत की साइकिल इंडस्ट्री दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी साइकिल इंडस्ट्री है. साइकिल इंडस्ट्री का सालाना टर्नओवर करीब 7 हजार करोड़ रुपये का है. 

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भारत में हर साल तकरीबन 2.2 करोड़ साइकिल बनती हैं. इंडस्ट्री रिपोर्ट के मुताबिक, 2018-19 में 2.2 साइकिल की बिक्री हुई थी. 2019-20 में 1.8 करोड़ साइकिल बिकी थीं.

साइकिल चलाना कितना फायदेमंद?

द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (TERI) की एक स्टडी बताती है कि अगर 5 किलोमीटर की दूरी तक जाने के लिए 50% लोग कार और बाइक की बजाय साइकिल का इस्तेमाल करें तो इससे उनकी हेल्थ सुधरेगी, जिससे हर साल 1,435 अरब रुपये की बचत हो सकती है.

इस स्टडी में ये भी सामने आया था कि अगर हर भारतीय कम दूरी के लिए कार और बाइक की जगह साइकिल से जाने लगे, तो हर साल 1.80 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत हो सकती है. इतना ही नहीं, अगर 8 किलोमीटर की दूरी के लिए कार और बाइक की बजाय 50% लोग भी साइकिल से जाने लगें तो इससे सालाना 27 अरब रुपये के तेल की बचत हो सकेगी.

इसके अलावा वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी, जिससे सालाना 241 अरब रुपये बचाए जा सकेंगे. साइकिल की वजह से जाम भी नहीं लगेगा, जिससे ट्रैवल टाइम बचेगा और इससे 112 अरब रुपये का फायदा होने की उम्मीद है.

 

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