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हम भारत के साथ तब भी रहे जब अमेरिका और यूरोप खिलाफ थे: रूस

दिल्ली में आयोजित एजेंडा आजतक में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने भारत और रूस के राजनयिक संबंधों पर खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच राजनयिक संबंध की बुनियाद ईमानदारी है. रूसी राजदूत ने कहा कि जब अमेरिका और यूरोप भारत के खिलाफ खड़े थे, उस वक्त भी रूस भारत के साथ खड़ा था.

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एजेंडा आज तक में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव
एजेंडा आज तक में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव

यूक्रेन के साथ जंग शुरू होने के बाद से ही भारत से रूस के साथ संबंधों को लेकर बार-बार सवाल पूछे जाते रहे हैं. यूक्रेन से जंग के बीच भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर भी पश्चिमी देशों के मीडिया में आलोचना हुई. हालांकि, रूस ने भारत के इस फैसले की जमकर तारीफ की और दोनों देशों के रिश्तों की अहमियत भी बताई. आज तक के कार्यक्रम एजेंडा आजतक में भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि भारत और रूस के बीच भरोसे का संबंध रहा है और यह किसी से छुपा नहीं है. 

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तेजी से बदलते जियोपॉलिटिक्स के बीच भारत और रूस के बीच राजनयिक संबंधों पर डेनिस अलीपोव ने कहा कि दोनों देशों ने 75 वर्षों में काफी उपलब्धि हासिल की हैं. उन्होंने कहा कि वास्कोडिगामा ने भले ही यूरोप के लिए भारत की खोज की लेकिन रूसी अधिकारी उससे 30 साल पहले ही भारत में खुले दिल से आया था.

रूस से तेल लेने पर क्या कहा 
यूक्रेन और रूस में जंग शुरू होने के बाद से ही भारत पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध को नजरअंदाज करते हुए रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है. रूसी राजदूत ने इस पर कहा कि वर्तमान में भारतीय तेल खरीददारी में रूसी तेल का हिस्सा 22 प्रतिशत से अधिक है और भारत ने यह निर्णय अपने नागरिकों के हित में लिया है. डेनिस अलीपोव ने भारत के इस निर्णय को साहसी और जिम्मेदारी से भरा बताते हुए कहा कि इसी तरह दोनों देश एक-दूसरे के हितों का ध्यान रखते हुए रिश्ता निभाते आए हैं.

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रूसी राजदूत ने कहा कि भारत ने पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया, इसका हम स्वागत करते हैं. हम दोनों देश इस दबाव में भी स्वतंत्र होकर काम कर रहे हैं और हमारा बाजार एक-दूसरे के लिए खुला है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी सदस्यता की मांग का समर्थन
रूसी राजदूत ने कहा कि इस जियोपॉलिटिक्स दबाव के बावजूद भारत ने जिस तरह से रूस को मजबूत किया है, उसका हम स्वागत करते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि रूस संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी सदस्यता की मांग का समर्थन करता है.

रूस हमेशा से भारत के साथ: रूसी राजदूत
रूस और भारत के बीच डिफेंस पार्टनरशिप पर डेनिस अलीपोव ने कहा कि हम दोनों मजबूत डिफेंस पार्टनर हैं. उन्होंने कहा कि 1971 के युद्ध में भी रूस ने भारत का समर्थन किया था. लेकिन अमेरिका और यूरोप ने नहीं. आज जिस तरह से हमारे खिलाफ नैरेटिव चलाया जा रहा है, उसी तरह उस समय भारत के खिलाफ नैरेटिव चलाया गया था. 

रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि रूस पहला और एक मात्र ऐसा देश है जो भारत के साथ उन्नत तकनीक को साझा करने के लिए तैयार है और ब्रह्मेस मिसाइल इसका एक सफल उदाहरण है. उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ मेक इन इंडिया समेत कई प्रोजेक्ट में साझेदार हैं.

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भारत पर दबाव बनाना बेकार
पश्चिमी देशों की ओर से भारत के ऊपर बनाए जा रहे दबाव पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए रूसी राजदूत ने कहा कि ये सच है कि यह समय चुनौती का है लेकिन भारत पर दबाव बनाना बेकार है. उन्होंने कहा कि भारत एक सुसंगत और शांतिप्रिय पक्ष लेता है. रूस इस स्थिति को समझता है और इसका समर्थन करता है.

भारत और अमेरिका की दोस्ती पर क्या कहा  
भारत के अमेरिका के साथ राजनयिक संबंध पर डेनिस अलीपोव ने कहा कि हम भी सभी के साथ दोस्ती करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि रूस, भारत और चीन के संबंधों को भी सुधारने का प्रयास कर रहा है और हमें लगता है कि इससे पूरी दुनिया को फायदा होगा. रूसी राजदूत ने कहा कि लेकिन अमेरिका ऐसा नहीं सोचता है. उन्होंने कहा कि अमेरिका दोहरे मानदंड अपनाता है.

अमेरिका भारत पर भी लगा सकता है प्रतिबंध
रुपये-रूबल मुद्रा में व्यापार को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए रूसी राजदूत अलीपोव ने कहा कि ऐसा क्यों है कि हमेशा डॉलर ये तय करे कि हम किसके साथ व्यापार कर सकते हैं और किसके साथ नहीं. डेनिस अलीपोव ने कहा, "भारत को रूस के साथ व्यापार में प्रतिबंधों से क्यों डरना चाहिए. आज अमेरिका ने हमारे ऊपर प्रतिबंध लगाया है तो हो सकता है कि कल अमेरिका भारत के ऊपर भी प्रतिबंध लगा दे." 

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हम वही कर रहे हैं जो हमें करना है: रूसी राजदूत
भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि लोगों को यह बताया गया है कि दुनिया को रूस से बचाने की जरूरत है. लेकिन वो यह नहीं कहते हैं कि वो रूस ही था जिसने 15 वर्षों तक यूक्रेन के साथ शांति और बातचीत का आह्वान किया. रूसी राजदूत ने साफ करते हुए कहा कि यूक्रेन संघर्ष रूस का चयन नहीं है. यूक्रेन युद्ध संभावित सुरक्षा खतरे को लेकर रूस की प्रतिक्रिया का नतीजा है.

 

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