एजेंडा आजतक के मंच पर महिला सांसदों के साथ महिला सशक्तिकरण पर चर्चा की गई. आजतक के पहले सेशन - 'ओ स्त्री, चुनाव में रक्षा करना' में शिरकत की और महिलाओं के समक्ष राजनीति में आने वाली चुनौतियों पर खुलकर अपनी बात रखी. इसमें छत्तीसगढ़ से राज्यसभा की सांसद रंजीत रंजन भी शामिल रही, जिन्होंने अपने दम पर राजनीति में पहचान बनाई. रंजीत रंजन ने मोदी सरकार द्वारा दिए गए 'नारी शक्तिवंदन अधिनियम' के नाम पर सवाल उठाया.
महिलाओं को देवी न बनाएं, उन्हें उनके अधिकार दें
रंजीत रंजन ने कहा, नारी शक्तिवंदन अधिनियम में 'वंदन' का इस्तेमाल किया गया है. उन्होंने कहा- महिलाओं की वंदना करना छोड़ दें, उन्हें देवी न बनाएं. हमें आपके साथ-साथ खड़ा होना है. हम देवी नहीं हैं. देवी बना बना के देवियों का शोषण किया गया है. महिलाओं को उनके अधिकार चाहिए, उन्हें अधिकार दीजिए. उन्हें बस थोड़े से पुश की जरूरत है, फिर महिला को जो करना है वो करेगी. रंजीता ने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं को वंदन नहीं उनको अधिकार दें. रंजीता ने कहा, कोई हमें सशक्त क्यों करें, हमें खुद सशक्त होना है. महिलाओं को इसी सोच से आगे आना चाहिए.
रंजीत रंजन ने उन बातों का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने बताया कि चुनाव में जीत के बाद भी उन्हें पति के नाम से पहचाना जाने लगा. उन्होंने बताया कि जब वह 2004 में लोकसभा में सांसद बनकर आईं तो सबसे पहले उनसे पूछा गया कि आप कौन सा बंग्ला लेंगी, आप तो पप्पू यादव की पत्नी हैं.
सहरसा की सबसे कम उम्र की सांसद थीं रंजीत रंजन
रंजीत रंजन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से बिहार के सुपौल से संसद सदस्य के रूप में 14वीं लोकसभा की सदस्य थीं. उनकी शादी राजनेता राजेश रंजन से हुई है जिन्हें पप्पू यादव के नाम से जाना जाता है जो चार बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. रंजीता 14वीं लोकसभा में जीतीं और उत्तर बिहार के सहरसा की सबसे कम उम्र की सांसदों में से एक बनीं थीं.
बता दें कि राजधानी दिल्ली के होटल ली मेरिडियन में शुक्रवार (13 दिसंबर) से 'आजतक एजेंडा'- विचारों के महामंच पर कार्यक्रम की शुरुआत हो गई है. ये सिलसिला शनिवार (14 दिसंबर) तक चलेगा. इस दौरान देश-दुनिया के दिग्गज इस मंच पर बतौर मेहमान नजर आएंगे और अपनी बात रखेंगे. ये दो दिन राजनीति, अर्थव्यवस्था, साहित्य, देश-विदेश और कला-संस्कृति की हर उस विधा के नाम होंगे, जो हमारी जिंदगी से नजदीकी से जुड़े हैं.