रामानंद सागर की रामायण के बाद अब बी.आर.चोपड़ा की महाभारत काफी तरफ चर्चा में है. महाभारत के बाद अब दर्शक इस शो को काफी मजे से देख रहे हैं और एक बार फिर से अपनी उन पुरानी यादों को लॉकडाउन के दौरान ताजा कर रहे हैं. क्योंकि हर रोज शो को देख पाना कई बार मुमकिन नहीं हो पाता इससिए हम आपके लिए लेकर आए हैं महाभारत का लिखित अपडेट. तो चलिए जानते हैं कि कल के महाभारत के एपिसोड में आपने क्या कुछ मिस कर दिया.
एक तरफ तपोवन में कुंती को पुत्र भीम हुआ तो दूसरी तरफ हस्तिनापुर राजभवन में धृतराष्ट्र और गांधारी को पुत्र दुर्योधन की प्राप्ति हुई. माद्री के भी दो पुत्र होंगे नकुल और सहदेव. गांधारी सौ पुत्रों और एक पुत्री दुशाला को जन्म देंगी. इसी बीच मथुरा में कंस के अत्याचारों का अंत करने के लिए श्री कृष्ण का जन्म होगा जो महाभारत के महानायक.
मथुरा में कंस का अत्याचार
मथुरा राज्य के राजा कंस के अत्याचारों ने चारों तरफ कोहराम मचा रखा था. मथुरा नरेश उग्रसेन ने अपनी सभा बुलाई जहां उन्हें समाचार मिला कि युवराज कंस अपनी प्रजा के साथ दुर्व्यवहार करते हैं. कंस के मित्र वासुदेव ने भी इस बात पर हामी भरी और राजा उग्रसेन से कहा- 'युवराज कंस ने मथुरा राज्य की आत्मा को लहू-लुहान कर दिया है. भगवन आपकी आयु लम्बी करे, परन्तु मथुरा के भविष्य के विषय में विचार करना भी राजा के नाते आपका कर्तव्य है.'
यह बात एक मंत्री ने जाकर कंस को बता दी, और वो अपने पिता से मिलने आ गए जहं उग्रसेन राज ज्योतिषी से अपनी राजकुमारी देवकी के विवाह का महूर्त निकलवा रहे थे . कंस को वहां देख उग्रसेन क्रोधित हुए तो कंस ने अपनी तलवार दिखाकर अपने पिता उग्रसेन का निरादर किया और राज मुकुट उतरवाकर उन्हें बंदीगृह में डलवा दिया.
वासुदेव-देवकी का विवाह
महाराज उग्रसेन की बंदीगृह वाले समाचार सुनकर वासुदेव चिंतित हुए और कंस की इस हरकत से क्रोधित भी हुए. लेकिन यादववंशी अक्रूर की सलाह से उन्होंने कंस को अपना राजा स्वीकार कर लिया और उससे मित्रता बनाये रखी. कंस ने वासुदेव से अपनी बहन देवकी के साथ विवाह का प्रस्ताव रखा, जिसे वासुदेव टाल ना सके. कंस को अपनी बहन देवकी से बहुत स्नेह है इसीलिए उन्होंने देवकी और वासुदेव का विवाह धूमधाम से कराया .
कारागृह में वासुदेव और देवकी
देवकी और वासुदेव के विवाह के उपरान्त जब कंस अपनी बहन को रथ मे बिठा कर विदा कर रहे थे तो वहां एक ऋषिवर आ गए और तभी आकाशवाणी हुई, " कंस तेरे पाप की गागर भर चुकी है . देवकी-वासुदेव का आठवाँ पुत्र ही तेरा वध करेगा और संसार को तेरे अत्याचारों से मुक्ति दिलाएगा." ये आकाशवाणी सुनकर कंस ने देवकी और वासुदेव को मारने के लिए तलवार निकाली लेकिन वासुदेव ने देवकी को बचाने के लिए कंस को अपने सभी पुत्र देने का निर्णय लिया. कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागृह में डाल दिया और कहा, "मैं तेरे आठों पुत्रों को जन्म लेने दूंगा, उनकी हत्या करूंगा उसके पश्चात ब्रह्मा से पूछूंगा की कहां गया तेरा लिखा हुआ भाग्य."
श्री कृष्ण का जन्म
समय गुजरता गया, देवकी को पहला पुत्र हुआ, ये समाचार सुनते ही कंस कारागृह पहुंच गया और उसकी हत्या कर दी. कंस ने एक-एक कर देवकी और वासुदेव के छह पुत्रों की हत्या कर दी. जब देवकी सातवें पुत्र से गर्भवती हुईं तो कारागृह में वासुदेव की पहली पत्नी रोहिणी पहुंच गईं देवकी का गर्भ लेने और देवकी ने अपने सातवें पुत्र को कंस से बचाने के लिए अपना गर्भ उन्हें दे दिया . फिर समय आया कंस के काल के जन्म का, श्री कृष्ण का जन्म हुआ और साथ ही आकाशवाणी हुई "वासुदेव यह बालक मानव जाति का उज्वल भविष्य है, इसे यमुना पर ले जाओ और गोकुल में अपने मित्र नंदराय के यहां छोड़ आओ."
तभी देवकी और वासुदेव की बेड़ियाँ कट गयीं, कारागृह के द्वार खुल गए और सभी द्वारपाल बेहोश हो गए. आंधी-तूफ़ान और यमुना नदी की लहरों को चीरते हुए वासुदेव अपने आठवें पुत्र को लेकर पहुंच गए गोकुल नगरी नंदराय के यहां. उसी समय नंदराय और यशोदा को पुत्री हुई, जो नंदराय ने वासुदेव को सौंप दी. वासुदेव उस पुत्री को लेकर वापस कारागृह आ गए. कंस को जैसे ही देवकी के आठवें बच्चे का समाचार मिला वो कारागृह पहुँच गया और देवकी से आठवे पुत्र की मांग करने लगे. आठवां पुत्र नहीं पुत्री है ये सुनकर भी कंस को दया नहीं आई और उसकी हत्या करने के लिए जैसे ही वो आगे बढ़ा, वो कन्या कड़कती बिजलियों के आसमान में चली गयी और कंस को बताया की उसका काल जन्म ले चुका है.
वहां गोकुल में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. नंदराय के यहां पुत्र के होने की खुशी में उत्सव मनाया जा रहा है, नाच-गाना हुआ, सभी गोकुल वासियों ने मिलकर नंदराय और यशोदा को शुभकामनायें दी.
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पूतना का वध
कंस को पूरा विश्वास है की देवकी ने आठवीं पुत्री नहीं बल्कि पुत्र को जन्मा है. उसका पता लगाने के लिए वो बेचैन है कि तभी एक गुप्तचर ने आकर कंस को कहा," गोकुल की तो काया ही पलट गयी है महाराज, सूखी डालियों पर नई पत्तियां निकल आई हैं और कोई इतना बड़ा उत्सव हो रहा है की मृदंग की थाप यमुना पार करके मथुरा तक चली आ रही है." ये समाचार सुनते ही कंस को यकीन हो गया की देवकी का आठवां पुत्र गोकुल में ही है और उसकी हत्या करने के लिए उन्होंने पूतना को भेजा.राक्षसी पूतना ने खिलौने वाली का रूप धारण कर गोकुल के उन दूध पीते बच्चों को मारना शुरू कर दिया जो कान्हा के साथ जन्में. अब केवल कान्हा ही बचा था, पूतना चोरी छिपकर नंदराय के घर पहुंच गई और कान्हा को अपना दूध पिलाकर हत्या करनी चाही लेकिन कान्हा की लीलाएं तो अपरम्पार हैं, वो पूतना को समझ गए और उसका वध कर दिया. कंस को पूतना के मृत्यु का समाचार मिला, साथ ही ये समाचार भी मिला की गोकुल में सभी दूध पीते बचे मारे गए. जिसे सुनकर कंस खुश हो गया. यहां कारागृह में देवकी ने अपनी सुध-बुध गवा दी और वहां गोकुल में नंदराय और यशोदा अपने पुत्र कान्हा को पाकर खुशियां मना रहे हैं.