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तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में क्राइसिस! रुकी शूटिंग, हड़ताल पर वर्कर्स, क्या है मामला?

तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री सोमवार से पूरी तरह बंद हो गई क्योंकि तेलुगू फिल्म कर्मचारियों की फेडरेशन ने बकाया वेतन बढ़ोतरी को लेकर हड़ताल शुरू कर दी है. फेडरेशन ने दिहाड़ी मजदूरों की मजदूरी में 30% बढ़ोतरी की मांग की है और कहा है कि मजदूरों को उनकी मजदूरी हर दिन दी जाए, बजाय इसके कि भुगतान अटका कर रखा जाए.

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हड़ताल पर तेलुगु सिने वर्कर्स (Photo: AI-Generated)
हड़ताल पर तेलुगु सिने वर्कर्स (Photo: AI-Generated)

तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री क्राइसिस में आ गई है. शूटिंग का काम बंद हो गया है. इसकी वजह है सालों से लंबित वहां के कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी न होना. ऐसे में सिने वर्कर्स ने हड़ताल का ऐलान कर दिया है. इंडस्ट्री वर्कर्स ने सोमवार से काम करना बंद कर दिया है और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. इस हड़ताल ने फिल्मों की शूटिंग पर गहरा असर डाला है.  

रिपोर्ट्स हैं कि फेडरेशन और तेलुगू फिल्म प्रोड्यूसर्स काउंसिल और फिल्म चेंबर ऑफ कॉमर्स के बीच सैलरी बढ़ाने को लेकर कई बार बातचीत हुई, लेकिन समझौता नहीं हो पाया. इसी वजह से रविवार को आखिरी कोशिश नाकाम होने के बाद फेडरेशन ने हड़ताल शुरू करने का फैसला किया. तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में सोमवार से पूरी तरह से शूटिंग बंद कर दी गई है.

इस वेतन विवाद की वजह क्या है?

तेलुगू फिल्म एम्पलॉयीज फेडरेशन ने टॉलीवुड वर्कर्स की रोज की मजदूरी में 30% की बढ़ोतरी की मांग की है. फेडरेशन का कहना है कि पिछले 3 सालों से वेतन में कोई इजाफा नहीं हुआ है, जिससे इंडस्ट्री से जुड़े 10,000 से ज्यादा मजदूरों की रोजी-रोटी पर असर पड़ा है.

फेडरेशन के एक अधिकारी, राजेश्वर रेड्डी ने रविवार को ऐलान किया था कि, "हमारे मजदूर कल (4 अगस्त) से काम पर नहीं आएंगे. कई बार बातचीत के बाद भी प्रोड्यूसर्स ने वेतन बढ़ाने में रुचि नहीं दिखाई."

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क्या है फेडरेशन की मांग?

इंडस्ट्री के दिहाड़ी मजदूरों को अभी रोजाना 1,400 रुपए मिलते हैं, जबकि मांग है कि इसमें 30% की बढ़ोतरी हो. यानि करीब 1,820 रुपए प्रतिदिन हो जाए. पिछले 3 सालों से वेतन में बढ़ोतरी नहीं हुई है. इंडस्ट्री में अपना नाम बना चुके टॉप के डायरेक्टर, सिनेमैटोग्राफर, स्टंटमैन तो अपनी फीस खुद तय कर लेते हैं, लेकिन दिहाड़ी मजदूरों को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है.

प्रोड्यूसर बड़े-बड़े टेक्नीशियन और स्टार्स पर तो करोड़ों खर्च करते हैं, लेकिन नीचे स्तर के मजदूरों की मामूली बढ़ोतरी में आनाकानी करते हैं. मजदूरों की मजदूरी हर दिन काम के बाद तुरंत दी जाए, पेंडिंग में न रखी जाए.

ठुकराई 30% बढ़ाने की मांग, क्यों?

प्रोड्यूसर्स ने फेडरेशन की 30% बढ़ोतरी की मांग के बजाय सिर्फ 5% बढ़ोतरी का ऑफर दिया, जिसे फेडरेशन ने फौरन ठुकरा दिया. फेडरेशन ने साफ कर दिया है कि जब तक लिखित में उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक शूटिंग शुरू नहीं होगी. इस वजह से कई बड़े फिल्म और वेबसीरीज प्रोजेक्ट्स की शूटिंग बीच में अटक गई है.

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