सोशल मीडिया पर कान्स फिल्म फेस्टिवल को लेकर तमाम वीडियोज वायरल हुए. ज्यादातर वीडियोज एक्ट्रेसेज और उनके लुक पर ही आधारित रहे. इसी बीच एक वीडियो ऐसा भी आया, जिसे देखने के बाद हम हिंदुस्तानी गर्व से फुले नहीं समा रहे थे. दरअसल यह वीडियो इसलिए भी स्पेशल था, क्योंकि यहां किसी के लुक और ड्रेस की चर्चा नहीं हो रही थी बल्कि यहां बात हो रही थी फिल्म की, इंडियन फिल्म की. अनुराग कश्यप की फिल्म कैनेडी का जब कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर गिया गया, फिल्म देखने के बाद हॉल में मौजूद लगभग दो हजार ऑडियंस ने स्टैंडिंग ओवेएशन दिया था. आखिर कैसा था वो पल, खुद बता रहे हैं फिल्म के एक्टर..
एक्टर अभिलाष थपियाल, अनुराग की फिल्म कैनेडी में एक अहम किरदार में नजर आने वाले हैं. अभिलाष ने आजतक डॉट इन से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान अपना एक्सपीरियंस हमसे शेयर किया है. अभिलाष बताते हैं, मैं एक ऐसा एक्टर हूं, जिसे इंडिया में किसी भी रेड कार्पेट पर चलने का मौका नहीं मिला है. मैंने तो कान्स के रेड कार्पेट से अपना डेब्यू किया है. लगता है मेरा रेड कार्पेट का जो स्टैंडर्ड है, वो कुछ ज्यादा ऊपर चला गया है(हंसते हैं). खैर, जो मैंने एक्सपीरियंस किया है, उसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है.
इस बार गमछा नहीं मास्क लगाकर कराया फोटोशूट
गैंग्स ऑफ वासेपुर के वक्त अनुराग कश्यप ने गमछे के ट्रेंड को ग्लोबल कर दिया था. इस साल उन्होंने क्या अलग किया. इसके जवाब में अभिलाष कहते हैं, आप कैनेडी का पोस्टर देखें, तो वहां मास्क लगाकर एक्टर खड़ा दिखाई देता है. हमारी सारी कास्ट फिल्म खत्म होने के बाद मास्क लगाकर कान्स के रेड कार्पेट पर फोटोशूट करा रही थी.
सबसे प्रतिष्ठित थिएटर लुमैर में हुआ था प्रीमियर
अभिलाष बताते हैं, यहां पर लुमैर जो है, उसे पूरी दुनिया का सबसे प्रेस्टिजियस थिएटरों में गिना जाता है. अभी तक अनुराग की जितनी भी फिल्में आई हैं, उनका प्रीमियर लुमैर में नहीं हो पाया है. कैनेडी अनुराग की पहली फिल्म होगी, जिसे लुमैर के थिएटर में दिखाया गया है. इतना ही नहीं, हमें मीड नाइट स्क्रीनिंग का वक्त मिला था, जो एक बहुत बड़ी बात है. यहां हर देश से लोग फिल्म देखने पहुंचते हैं. इंटरनैशल मीडिया भी वहां थिएटर में पहुंची थी. यहां थिएटर में ड्रेस कोड होता है, आप जींस व चप्पल पहनकर नहीं जा सकते हैं. आपको शूट व जैकेट पहनकर ही पहुंचना है. आपका पूरा पैर कवर होना चाहिए.
लगभग 7 मिनट का था स्टैंडिंग ओवेशन
अभिलाष कहते हैं, यहां सबसे अच्छी चीज जो लगी कि फिल्म खत्म होने के बाद जबतक क्रेडिट्स न हट जाए, तब तक दर्शक वहां बैठे रहते हैं. कैनेडी के साथ भी ऐसा हुआ, फिल्म खत्म हुई और क्रेडिट भी चला गया, तो लोग उठे.. हमें लगा कि फिल्म देखकर अब बाहर की ओर निकल रहे हैं. लेकिन वो वहां खड़े होकर तालियां बजाने लगे. तालियां 30 सेकेंड तक ही नहीं रुकी, लगभग 7 मिनट तक लगातार ताली बजती रही. वह पल रोमांच से भरा था. लगातार तालियों की गड़गड़ाहट ने अनुराग को इमोशनल कर दिया था. मैं जब पलट कर देखा, तो अनुराग की आंखे भरी हुई थी. ऑडिटोरियम से लोग अनुराग का नाम चिल्ला रहे थे. उन्हें आकर बधाई दिए जा रहे थे. हम सभी इमोशनल हो चुके थे. फिर अनुराग ने माइक लेते हुए सभी टीम को क्रेडिट दिया. यह डायरेक्टर का बड़प्पन दिखाता है.
और कान्स के डायरेक्टर ने लगा लिया गले
अभिलाष ने बताया, अगली सुबह हमें कान्स के डायरेक्टर ने हमें मिलने के लिए बुलाया. उन्होंने अनुराग को गले लगाते हुए कहा कि तुम अपने देश के लिए बहुत बेहतरीन फिल्म बना रहे हो. तुम इंडियंस यहां आए हो, ऐसा लग रहा है मॉनसून साथ लेकर आए हो. दरअसल वहां बारिश भी होने लगी थी. फिर कई दूसरे देशों के डायरेक्टर्स से मुलाकात हुई. उन्होंने हमें बधाई दी. मैंने वहां कुछ भी महसूस किया है, उसका सारा क्रेडिट केवल अनुराग कश्यप को जाता है.
रेड कार्पेट से कहीं आगे है कान्स, इसे समझें
अपने एक्स्पीरियंस पर अभिलाष बताते हैं, यह बहुत दुख की बात है कि यहां लोगों के जेहन में कान्स का मतलब केवल रेड कार्पेट तक सीमित होकर रह गया है जबकि कान्स तो फिल्म फेस्टिवल है, जहां दुनियाभर की फिल्में दिखाई जाती हैं. लोगों को लगता होगा कि बस रेड कार्पेट तक ही मामला खत्म हो जाता है. ऐसा नहीं है. यह कोई मेट गाला नहीं है जो केवल फैशन पर बात हो, जबकि हमारी मीडिया या दर्शक उसे उतना तक ही समझते हैं. क्योंकि हम दिखाते भी वही हैं. यह कितने दुख की बात है कि जब कैनेडी का वो स्टैंडिंग ओवेशन वाला वीडियो आया, तब जाकर लोगों का ध्यान लुक्स व ड्रेस से हटकर फिल्मों पर गया.
कान्स में मैं हिंदुस्तान को रिप्रेजेंट कर रहा था
मैं जानता था कि हमारे यहां लुक का डिसकशन ज्यादा होगा, इसलिए मैंने भी स्टाइलिंग काफी सोच-समझकर रखी थी. मेरा मकसद ऐसा था कि मैं चाहता था कि मैं कुछ ऐसा लुक रखूं, जिससे हमारे देश के किसी आर्ट फॉर्म को फायदा मिले. मैं वहां हिंदुस्तान रिप्रेजेंट करना चाह रहा था. बंद गला, जो हमारे देश की पहचान है, उस जैकेट के साथ मैंने एक स्टोल लिया था, उस पर हमारे उतराखंड में आर्ट फॉर्म है, एपेन(Aipan)बोलते हैं, उस पर मेगपाइस (Magpies)चिड़ियां बनाई हुई थी. हमारे पहाड़ों में कहा जाता है कि अगर आपको मेगपाइस दिख जाए, तो आपकी किस्मत बड़ी अच्छी है. मीनाकृति एक संस्थान है, जो वहां की लोकल महिलाओं को रोजगार देने का काम करती है. मेरी यही कोशिश थी, इंटरनैशनल प्लैटफॉर्म पर मैं अपने यहां की कलाकृति को गर्व के साथ रिप्रेजेंट करूं.