सुदीप्तो सेन की अदा शर्मा स्टारर 'द केरल स्टोरी' को 71वें राष्ट्रीय पुरस्कार में 2 कैटेगरी में सम्मान मिलने का ऐलान किया गया. इसके बाद से ही विवाद छिड़ गया है. फिल्म को एक प्रोपेगेंडा बताते हुए सवाल खड़े किए जा रहे हैं. पहले केरल के सीएम पिनारई विजयन ने इसकी आलोचना की और नेशनल अवॉर्ड दिए जाने पर आपत्ति जताई. फिर फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) के छात्र संगठन ने ‘द केरल स्टोरी’ को नेशनल सम्मान दिए जाने पर कड़ा विरोध जताया.
अब सुदीप्तो ने इसका जवाब दिया है. एक X पोस्ट कर उन्होंने पुणे FTII के स्टूडेंट्स को जवाब दिया है. साथ ही केरल सीएम की मंशा पर भी सवाल उठाए हैं. सुदीप्तो का कहना है कि उन्होंने फिल्म को सही तथ्यों को देखते हुए बनाया. वो इस पर सबूत के साथ चर्चा करने को भी तैयार हैं. उन्होंने छात्रों के नाम एक ओपन लेटर लिखकर अपनी बात कही है.
किन लड़कियों की सच्ची कहानी है 'द केरल स्टोरी'?
FTII स्टूडेंट्स को दोस्त बताते हुए एक पत्र लिखा. सुदीप्तो कहते हैं- 'द केरल स्टोरी' बहुत जिम्मेदारी और सच्चाई के प्रति मजबूत कमिटमेंट के साथ बनाई गई है. हम अपने हर शब्द, हर दृश्य पर पूरी तरह कायम हैं, क्योंकि यह सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि एक हकीकत है, जिस पर हम सबको ध्यान देना चाहिए. यह हकीकत पहले ही हमारी कई बेटियों को प्रभावित कर चुकी है. हमने इसे सामने लाने की जिम्मेदारी समझी है.
'हम किसी को भी आमंत्रित करते हैं कि अगर हमारे पेश किए गए तथ्यों को गलत साबित करने के लिए ठोस सबूत हों, तो सामने आएं. हम किसी भी समय और जगह पर, शांति और तथ्यों के आधार पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. हम साफ करना चाहते हैं कि यह फिल्म किसी भी धर्म, राजनीति या किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है. इसमें कोई प्रोपेगेंडा नहीं है. इसका उद्देश्य एक बढ़ते खतरे को उजागर करना, जागरूकता बढ़ाना और उन आवाजों को सामने लाना है जिन्हें अब तक कोई नहीं सुनता था, यानी उन लड़कियों के परिवार, जो आज भी जवाब का इंतजार कर रहे हैं.
'साफ तौर से, 'द केरल स्टोरी' उन लड़कियों की सच्ची कहानियां है, जिन्हें जबरन या धोखे से उनके परिवारों और पहचान से अलग कर दिया गया और कट्टरपंथी समूहों तक पहुंचा दिया गया. ये घटनाएं असली हैं, कल्पना नहीं. इनका असर सिर्फ उन्हीं पर नहीं, बल्कि उनके परिवारों पर भी जीवन भर रहता है.'
यहां देखें लेटर...
केरल सीएम को दिया जवाब, पेश करेंगे सबूत?
सुदीप्तो ने इसी के साथ सवाल करते हुए आगे लिखा कि, 'क्या आपने फिल्म देखी है? क्या आपने फिल्म के आखिर में लड़कियों की गवाही देखी? 2010 में, केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री वी. एस. अच्युतानंदन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि केरल में बढ़ते कट्टरपंथ का खतरा है. उन्होंने यहां तक कहा था कि अगले 20-25 सालों में केरल एक इस्लामिक राज्य बन सकता है. उनके वक्तव्यों से फिल्म की थीम और मजबूत हो जाती है.
'दिलचस्प बात यह भी है कि तब के युवा नेता और अब के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने उस समय उनकी बातों का जमकर विरोध किया था. अब 15 साल बाद, वही मुख्यमंत्री हैं. हम नेता नहीं हैं, हम सिर्फ तथ्यों पर काम करते हैं- नाम, घटनाएं, तर्क. फिल्म के पुरस्कार मिलने के बाद जूरी के मेंबर आशीष गोवारिकर की बातों को सुनिए. उन्होंने माना कि फिल्म की सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन थी. मलयालम संस्कृति को सच्चाई से दिखाया, और जूरी को फिल्म के विषय ने मजबूर किया कि वे इसके सामाजिक पक्ष को भी पहचानें. यही असली मान्यता है- फिल्म के विषय, सच्चाई और सामाजिक असर की.'
सुदीप्तो अंत में लिखते हैं कि, 'यह कहानी कल्पना नहीं, बल्कि असली घटनाओं पर आधारित है. इसमें पीड़ितों, उनके परिवारों और अधिकारियों से मिलकर मिली जानकारियां हैं. कृपया, केरल की हजारों लड़कियों की आवाज सुनने की कोशिश करें, जिन्हें इसकी वजह से बोलने का मौका मिला. कृपया नोट करें, हमें अपनी फिल्म पर गर्व है. हम इस्लामोफोबिक नहीं हैं, हम सिर्फ सच्चाई की वकालत करते हैं.'
सुदीप्तो के इस जवाब पर यूजर्स का भी मिक्स्ड रिएक्शन देखने को मिल रहा है. सपोर्ट में जहां लोग उन्हें कुछ भी जवाब न देने की बात कह रहे हैं, वहीं कई लोग उनपर प्रोपेगेंडा फैलाने का आरोप लगाते हुए सबूत को सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं.