
गोविंदा को जनता उनके खास कॉमेडी स्टाइल के लिए याद रखती है. जिन फिल्मों ने गोविंदा के अंदाज को खूब पॉपुलर किया, 'राजा बाबू' (1994) उनमें से एक है. फिल्म के गाने, डायलॉग और कॉमेडी आज भी खूब पॉपुलर हैं. 'राजा बाबू' जिस दौर में बनी, उस समय हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के काम करने का तरीका बहुत अफरातफरी भरा था. गोविंदा जैसे बड़े स्टार्स का एक साथ पांच फिल्मों के लिए शूट करना तो उस समय आम बात हुआ करती थी. डायरेक्टर भी एक साथ कई-कई फिल्मों पर बिजी होते थे.
'राजा बाबू' लिखने वाले अनीस बज्मी ने एक बार बताया था कि उस दौर में फिल्में किस तरह बना करती थीं. अनीस ने ये भी बताया था कि 'राजा बाबू' का शूट शुरू होते समय एक नौबत ये भी आ गई थी कि उन्हें हॉस्पिटल में बैठकर फिल्म के लिए स्क्रिप्ट लिखनी पड़ी.
एक साथ कई-कई फिल्में लिखा करते थे राइटर
'भूल भुलैया' 'वेलकम' और 'नो एंट्री' जैसी खुद डायरेक्ट कर चुके अनीस बज्मी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि लोग जिन फिल्मों को 'माइंडलेस कॉमेडी' कहते हैं, उन्हें क्रिएट करने में कितना माइंड लगता है ये वही जानते हैं.

90s में फिल्में बनाने के तरीके पर बात करते हुए अनीस ने कहा कि उस दौर में जहां हीरो एक साथ 8 फिल्में कर रहे होते थे, वहीं डायरेक्टर भी एकसाथ 4 फिल्में बना रहे होते थे. अनीस ने कहा था कि अगर उन्हें 4 पेज का सीन लिखना होता था, तो वो एक पेज लिखकर दे देते थे और जबतक वो शूट होता, तब तक बाकी के तीन पेज लिखते.
सबसे ज्यादा कम पैसे राइटर को ही मिलते थे और अगर वो एक साथ 10 फिल्मों पर काम न करते तो घर का किराया और बिजली बिल भी नहीं भर पाते. और इस तरह थोक में लिखने के बावजूद फिल्में हिट हुआ करती थीं. अनीस ने कहा कि उन्होंने 'शोला और शबनम' 'बोल राधा बोल' 'आंखें' और 'राजा बाबू' जैसी हिट फिल्में इसी तरह लिखी हैं.
'राजा बाबू' के बीच हॉस्पिटल में भर्ती थे अनीस
अनीस ने बताया था कि 'राजा बाबू' के शूट के बीच एक दिन सुबह 3 बजे उन्हें बहुत तेज पेट दर्द हुआ. उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां पता चला कि उन्हें तुरंत अपेंडिक्स सर्जरी की जरूरत है. अनीस ने बताया कि रात को उनका ऑपरेशन हुआ और वो हॉस्पिटल में रेस्ट कर रहे थे. अगले दिन सुबह 9 बजे 'राजा बाबू' के डायरेक्टर उनसे मिलने आए. वो हिल नहीं सकते थे और ऐसे में डेविड ने उनसे शूट करने के लिए सीन की रिक्वेस्ट की.
अनीस बताते हैं कि डेविड ने कहा, 'सेट लगा हुआ है, मर जाएंगे यार'. इसके बाद उन्होंने स्केच पेन मंगवाया क्योंकि वो ठीक से लिख नहीं सकते थे और वहीं पर एक सीन लिखा. डेविड वो सीन लेकर गए और अगले दिन का शूट हुआ.

'अश्लील' गाने के लिए शर्मिन्दा रहे गोविंदा
'राजा बाबू' का म्यूजिक एल्बम भी बहुत जबरदस्त हिट हुआ था. फिल्म के टाइटल ट्रैक के साथ-साथ 'मेरा दिल न तोड़ो' भी जनता में बहुत पॉपुलर हुआ. लेकिन फिल्म के जिस एक गाने ने सबसे ज्यादा चर्चा बटोरी वो था 'सरकाई लो खटिया.' इस गाने के लिरिक्स को बहुत लोगों ने 'अश्लील' भी कहा और गाने में गोविंदा के डांस स्टेप्स पर भी लोगों की त्योरियां चढ़ गईं.
'राजा बाबू' के इस गाने पर थिएटर्स में सीटियों- तालियों का माहौल भी खूब बना. लेकिन रिपोर्ट्स बताती हैं कि फिल्म के हीरो गोविंदा ने बाद में, 'सरकाई लो' खटिया में अपने डांस को लेकर शर्मिंदगी जाहिर की थी. बताया जाता है, गोविंदा को इस बात का एहसास हुआ कि फैमिली ऑडियंस को गाने में उनके डांस मूव पसंद नहीं आए. 'सरकाई लो खटिया' लिखने वाले लिरिसिस्ट समीर ने भी इसके लिए पछतावा जताया था. समीर ने कहा था कि 1993 में 'खलनायक' का गाना 'चोली के पीछे क्या है' हिट होने की वजह से, उन्हें 'राजा बाबू' के लिए भी ऐसा ही गाना लिखना पड़ा.