यूपी की राजधानी है लखनऊ और लखनऊ की एक विधानसभा सीट है लखनऊ सेंट्रल विधानसभा सीट. लक्ष्मण टीला भी इसी इलाके में है. लक्ष्मण टीला को लेकर ऐसी मान्यता है कि इसे भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने बसाया था. ये इलाका दशहरी आम के साथ ही चिकन की कढ़ाई के लिए भी देश-दुनिया में अपनी पहचान रखता है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
लखनऊ सेंट्रल विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गढ़ रही है. साल 1989 से 2007 तक इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा. 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने बीजेपी का विजय रथ रोक दिया था. 2017 में बीजेपी ने अपनी खोई सीट फिर से छीन ली. चुनावी अतीत की बात करें तो इस सीट से पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हरिश्चंद्र वाजपेयी जीते थे.
लखनऊ सेंट्रल विधानसभा सीट से साल 1957 में कांग्रेस के रामशंकर, 1962 में कांग्रेस के महावीर प्रसाद श्रीवास्तव, 1967 में जनसंघ के एसके विद्यार्थी जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. 1969 में भारतीय क्रांति दल के इम्तियाज हुसैन, 1974 में रमेश चंद्र श्रीवास्तव, 1977 में जनता पार्टी के रामप्रकाश, 1980 में कांग्रेस के मोहम्मद रफी सिद्दीकी और 1985 में भी कांग्रेस के ही नरेश चंद्र विधायक निर्वाचित हुए.
लखनऊ सेंट्रल विधानसभा सीट से 1989 के चुनाव में बीजेपी को पहली दफे जीत मिली और इसके बाद ये सीट बीजेपी का अभेद्य किला बन गई. 1989 और 1991 में बीजेपी के बसंत लाल गुप्ता, 1993 में बीजेपी के रामप्रकाश, 1996, 2000 और 2007 में पार्टी के सुरेश कुमार श्रीवास्तव चुनावी बाजी जीतकर विधानसभा पहुंचे. 2012 में सपा के रविदास मेहरोत्रा विजयी रहे.
2017 का जनादेश
लखनऊ सेंट्रल विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में बीजेपी ने बृजेश पाठक को चुनाव मैदान में उतारा. बीजेपी के बृजेश पाठक ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के रविदास मेहरोत्रा को पांच हजार वोट से अधिक के अंतर से हराकर ये सीट फिर से पार्टी की झोली में डाल दी. बृजेश पाठक को 78400 वोट मिले थे जबकि सपा के रविदास को 73306 वोट मिले थे.
सामाजिक ताना-बाना
लखनऊ सेंट्रल विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां करीब सवा छह लाख आबादी निवास करती है. लखनऊ सेंट्रल सीट पर साढ़े तीन लाख से अधिक मतदाता हैं. ये शहरी इलाके की सीट है. यहां हर जाति-वर्ग के मतदाता रहते हैं. व्यापारी वर्ग के मतदाता इस सीट के चुनाव परिणाम को निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
लखनऊ सेंट्रल सीट से विधायक बृजेश पाठक और उनके समर्थक इलाके में विकास की गंगा बहने का दावा कर रहे हैं. विधायक और उनके समर्थकों का दावा है कि पिछले पांच साल में इलाके का चहुंमुखी विकास हुआ है. दूसरी तरफ, विपक्षी दलों के नेता इलाके की समस्याएं जस का तस होने का दावा करते हुए विधायक को फेल बता रहे हैं.