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Kaiserganj Assembly Seat: BJP नेता मुकुट बिहारी ने चुनावी हैट्रिक के लिए ठोंकी ताल, क्या बना रहेगा बीजेपी का कब्जा?

कैसरगंज विधानसभा में किसी भी पार्टी का कभी एकाधिकार नहीं रहा लेकिन 2008 में हुए परिसीमन के बाद जब कैसरगंज का बड़ा हिस्सा नव सृजित विधानसभा पयागपुर में समाहित हो गया और खत्म हुई फखरपुर विधानसभा का आंशिक हिस्सा कैसरगंज में जुड़ा तो इसका असर 2012 व 2017 के विधान सभा चुनावों में साफ तौर से दिखाई पड़ा.

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Kaiserganj Assembly elections
Kaiserganj Assembly elections
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कैसरगंज में मुस्लि मतदाताओं की भारी संख्या
  • कैसरगंज के विधायक हैं भाजपा के मुकुट बिहारी

Kaiserganj Assembly Seat: कैसरगंज भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के जिला बहराइच में स्थित एक तहसील थाना व विकास खंड के साथ अब नगर पंचायत के तौर पर जाना जाता है. वहीं कैसरगंज को यूपी राज्य विधानसभा क्षेत्र 288 के साथ भारत की पार्लियामेंट के लोकसभा क्षेत्र 57 के तौर पर भी जाना जाता है. यहां से वर्तमान में योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा विधायक व ब्रज भूषण शरण सिंह सांसद हैं. यह क्षेत्र मुख्य रूप से बहराइच लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है कैसरगंज के दक्षिण में 90 किलोमीटर की दूरी पर यूपी की राजधानी लखनऊ तो उत्तर में 36 किलोमीटर दूर बहराइच जिले के हेडक़वार्टर स्थित है. घाघरा नदी के किनारे बसा कैसरगंज विधान सभा क्षेत्र का बड़ा भूभाग हर वर्ष घाघरा में आने वाली बाढ़ से बेहद प्रभावित रहता है. कृषि आधारित इस क्षेत्र में औद्योगिक तौर पर किसानों के गन्ने की पेराई के लिए दो प्राइवेट शुगर मिल संचालित हैं. वहीं, इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए किसी भी राजकीय डिग्री कालेज के न होने के चलते छात्रों को प्राइवेट डिग्री कालेजों पर निर्भर रहना पड़ता है.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

यूं तो कैसरगंज विधानसभा में किसी भी पार्टी का कभी एकाधिकार नहीं रहा लेकिन 2008 में हुए परिसीमन के बाद जब कैसरगंज का बड़ा हिस्सा नव सृजित विधानसभा पयागपुर में समाहित हो गया और खत्म हुई फखरपुर विधानसभा का आंशिक हिस्सा कैसरगंज में जुड़ा तो इसका असर 2012 व 2017 के विधान सभा चुनावों में साफ तौर से दिखाई पड़ा. इस क्षेत्र ने किसी भी राजनीतिक दल को निराश नहीं किया है. वर्ष 1980 के चुनाव में कांग्रेस के सुंदर सिंह व 1985 में एहतिशाम वली खां चुनाव जीते तो 1993 व 1996 में सपा के रामतेज यादव चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे. लेकिन 2007 में बसपा के सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले में इस सीट पर गुलाम खाँ चुनाव जीतने में कामयाब हो गए. भाजपा ने इस सीट पर चार बार जीत दर्ज की है. 1991 में रुदेन्द्र प्रताप सिंह व 2002, 2012 व 2017 में मुकुट बिहारी वर्मा निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुए हैं. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक इस क्षेत्र में भाजपा के उदय के पीछे मुस्लिम मतों का सपा व बसपा में बिखराव एक अहम व बड़ा कारण है. इस क्षेत्र में बीजेपी जहां अपनी राजीनीतिक पकड़ और मजबूत करने की तैयारी में है विधायक मुकुट बिहारी वर्मा अपनी चुनावी हैट्रिक लगाने की तैयारी में है. साथ ही सपा और बसपा अपने खोए जनाधार को वापस पाने की जी तोड़ कोशिश में लगी है.

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सामाजिक ताना बाना 

2020 के आंकड़ों के अनुसार कैसरगंज सीट पर कुल 3,86,153  मतदाता है जिनमें 52.9 फ़ीसदी पुरुष वह 47 फीसदी महिला मतदाता शामिल हैं. जातीय समीकरण के हिसाब से इस क्षेत्र में दलित मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है जिनमें  पासी जाति के 14000 मतदाता हैं. वहीं पिछड़ी जातियों में सर्वाधिक 50,000 यादव मतदाता हैं तो कुर्मी मतदाता 40,000 और निषाद मतदाताओं की संख्या करीब 50,000 है. वहीं लोध 20,000 तो पाल व मौर्या मतदाताओं की संख्या 10-10 हजार है. अगड़ी जातियों में  सर्वादिक 30,000 ब्राह्मण मतदाता व अट्ठारह हजार क्षत्रिय मतदाता शामिल हैं। इस क्षेत्र में मुस्लिम मतदातों की संख्या भी भारी तादात में है जो कि साठ हजार से पैसठ हजार के करीब बताई जा रही है।

2017 का जनादेश

2017 के विधानसभा चुनाव में कैसरगंज में 7 प्रत्याशी मैंदान में थे. लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा व बसपा के बीच रहा. कैसरगंज सीट पर 3,71,265 मतदाता थे. जिनमें 2,09,536 लोगों ने वोट किया. कुल (56.44%) प्रतिशत मतदान हुआ. भाजपा उम्मीदवार मुकुट बिहारी वर्मा को कुल 85,212 (40.67%) वोट मिले वहीं बसपा के खालिद खां को 57,792 (27.5%) व सपा के रामतेज यादव को 54,117 मत प्राप्त हुए. इस तरह भाजपा के मुकुट बिहारी वर्मा 27,363 मतों से विजयी घोषित किये गए.

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विधायक का रिपोर्ट कार्ड

कैसरगंज क्षेत्र के वर्तमान विधायक व योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा का जन्म 28 दिसंबर सन 1945 को भारत नेपाल पर सीमा पर स्थित बहराइच जिले के मदरिया गांव के एक किसान परिवार में हुआ था. साल 1971 में लखनऊ विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई करने के बाद मुकुट बिहारी वर्मा बहराइच के दीवानी न्यायालय में वकालत करने लगे. साल 1962 में हाई स्कूल की पढ़ाई के दौरान ही मुकुट बिहारी वर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आ गए थे, जिसके बाद वह संघ के विभिन्न क्रियाकलापों से जुड़ते चले गए. फिर उन्होंने संघ के नगर कार्यवाह के दायित्व का निर्वहन किया. मुकुट बिहारी वर्मा को 1985 में बहराइच भाजपा यूनिट के जिला मंत्री 1990 में जिला महामंत्री तथा 2009 में भाजपा के जिला अध्यक्ष के तौर पर कार्य करने का अवसर मिला.

अपने अब तक के राजनीतिक कैरियर में उन्हें यूपी एसेम्बली के लिए हुए आम चुनाव में वर्ष 2002, 2012 वह 2017 में कुल 3 बार जीत दर्ज कर विधान सभा में पहुंचने में कामयाबी हांसिल हुई है. उनके अनुभव के मद्देनजर 2017 में बनी योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई. तब से अब तक वो सूबे के बतौर सहकारिता मंत्री कार्य कर रहे हैं. विधायक मुकुट बिहारी वर्मा ने अपने क्षेत्र कैसरगंज में यूं तो तमाम विकास परियोजनाएं लाने का दावा किया है जिनमें उन्होंने मुख्य रूप से बाढ़ प्रभावित मंझारा व गोडहिया गांव की 46 बसावटों को मुख्य मार्ग से जोड़ने की बात कही है. साथ ही उन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र खुर्रम नगर में पुल बनवाने का भी दावा किया है. स्वास्थ्य व चिकित्सा के क्षेत्र में उन्होंने कैसरगंज सरकारी अस्पताल में 50 बेड के साथ उसका उच्चीकरण करने व सहकारिता विभाग से अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगवाने की भी बात कही है. इसके साथ कैसरगंज क्षेत्र में ही दो नए आयुर्वेदिक अस्पताल भी बनवाने का उन्होंने दावा किया है.

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कैसरगंज विधायक मुकुट बिहारी वर्मा अपने क्षेत्र में बेहद सरल वह मृदुभाषी नेता के तौर पर जाने जाते हैं. लेकिन उनके ऊपर परिवारवाद को बढ़ाने का भी आरोप लगता रहा है. इस मामले में उन्होंने अपने बड़े पुत्र गौरव वर्मा को जहां अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने के लिए कैसरगंज क्षेत्र का विधानसभा संयोजक बनाया है जो उनके क्षेत्र की राजनीतिक गतिविधियों में बतौर विधायक प्रतिनिधि कार्य कर रहे हैं.

 

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