उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले की एक विधानसभा सीट है दीदारगंज विधानसभा सीट. दीदारगंज, आजमगढ़ जिले का एक कस्बा है. ये इलाका विकास की दौड़ में काफी पीछे है. यहां के लोगों को जिला मुख्यालय तक जाने के लिए प्राइवेट साधन का सहारा लेना पड़ता है. लड़कियों के लिए अच्छे स्कूल-कॉलेज का अभाव है.
दीदारगंज विधानसभा क्षेत्र में ही दुर्वासा ऋषि के नाम पर दुर्वासा धाम है. इस धाम का जीर्णोद्धार हुआ है जिसका लोकार्पण भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने किया. इस इलाके के पतिराज सोनकर बीजेपी से विधायक भी रहे और सूबे की सरकार में मंत्री भी रहे लेकिन ये इलाका विकास की दौड़ में पिछड़ा ही रहा.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
दीदारगंज विधानसभा सीट की सियासी पृष्ठभूमि की चर्चा करें तो ये सीट देश की आजादी के बाद से 2007 के विधानसभा चुनाव तक आरक्षित रही. इस बीच इस विधासभा सीट का नाम जरूर कई बार बदला. साल 2008 के परिसीमन में इस सीट का नाम दीदारगंज हुआ और इसे सामान्य सीट घोषित किया गया.
दीदारगंज विधानसभा सीट के लिए 2012 के पहले चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कद्दावर नेता सुखदेव राजभर इस सीट से चुनाव मैदान में उतरे. सुखदेव राजभर के सामने समाजवादी पार्टी (सपा) ने आदिल शेख को चुनाव मैदान में उतारा. आदिल शेख ने बसपा के दिग्गज सुखदेव राजभर को 2227 वोट से हरा दिया था.
2017 का जनादेश
दीदारगंज विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में दीदारगंज विधानसभा सीट से फिर सपा के आदिल शेख और बसपा के सुखदेव राजभर आमने-सामने थे. इस दफे बाजी बसपा उम्मीदवार के हाथ लगी. बसपा के सुखदेव राजभर ने सपा के आदिल शेख को 3645 वोट के अंतर से हरा दिया था. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कृष्ण मुरारी तीसरे स्थान पर रहे थे. निर्दलीय उम्मीदवार अर्चना को चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा था.
सामाजिक ताना-बाना
दीदारगंज विधानसभा क्षेत्र में करीब चार लाख मतदाता हैं. इस विधानसभा क्षेत्र की गिनती उन सीटों में होती है जहां अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की बहुलता है. दीदारगंज विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में दलित और मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में सामान्य वर्ग के मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
दीदारगंज विधानसभा सीट से विधायक रहे सुखदेव राजभर का निधन हो गया है. सुखदेव राजभर ने हालांकि अपने जीवनकाल में ही राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया था. इस विधानसभा सीट के लिए यूपी चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में 7 मार्च को मतदान होना है. सुखदेव राजभर के पुत्र कमला कांत राजभर अब इस सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं.