उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की एक विधानसभा सीट है भाटपार रानी विधानसभा सीट. भाटपार रानी तहसील भी है और इसे नगर पंचायत का दर्जा भी प्राप्त है. भाटपार रानी में रेलवे स्टेशन भी है. भाटपार रानी रेलवे स्टेशन भटनी जंक्शन से 12 किलोमीटर और नोनापार से करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर है. शिक्षा के लिहाज से देखें तो यहां बालिका विद्यालय से लेकर डिग्री कॉलेज तक है. भाटपार रानी क्षेत्र में उद्योग-धंधों का अभाव है. यहां के लोग आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
भाटपार रानी विधानसभा सीट के चुनावी अतीत की बात करें तो यहां एक परिवार का दबदबा रहा है. इस सीट पर कभी हरिवंश सहाय का दबदबा था तो बाद में इस सीट पर कामेश्वर उपाध्याय के परिवार का वर्चस्व. इस विधानसभा सीट के लिए अब तक हुए 18 चुनाव और उपचुनाव में सात बार कामेश्वर उपाध्याय और उनके परिजनों, चार बार हरिवंश सहाय का कब्जा रहा. भाटपार रानी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवारों को एक बार भी जीत नहीं मिल की है.
भाटपार रानी सीट से पहले चुनाव में 1967 में कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिली थी तो 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के हरिवंश सहाय जीते. 1974 में कांग्रेस के रघुराज सिंह, 1977 में जनता पार्टी के राज मंगल, 1980 में जनता पार्टी (सेक्यूलर), 1989 और 1991 में जनता दल के टिकट पर हरिवंश सहाय विधायक निर्वाचित हुए. 1985 में कामेश्वर उपाध्याय पहली दफे निर्दलीय और 1993, 2002 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचे.
भाटपार रानी सीट से कामेश्वर उपाध्याय 2007 और 2012 में समाजवादी पार्टी (सपा) से जीते. कामेश्वर उपाध्याय के निधन के बाद इस सीट के लिए उपचुनाव हुए और उपचुनाव में सपा के टिकट पर उनके पुत्र आशुतोष उपाध्याय विजयी रहे थे. साल 1996 में कामेश्वर को सपा के योगेंद्र सिंह से मात भी मिली थी.
2017 का जनादेश
भाटपार रानी विधानसभा सीट से साल 2017 के चुनाव में भी सपा ने आशुतोष उपाध्याय पर ही दांव लगाया. सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे आशुतोष उपाध्याय ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी पूर्व सांसद हरकेवल प्रसाद के पुत्र और बीजेपी सांसद रवींद्र कुशवाहा के छोटे भाई जयनाथ कुशवाहा को 11 हजार 097 वोट से हरा दिया था. बसपा के सभा कुंवर तीसरे और निर्दलीय उम्मीदवार अश्वनी कुमार सिंह चौथे स्थान पर रहे थे.
सामाजिक ताना-बाना
भाटपार रानी विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां ब्राह्मण मतदाताओं की तादाद अधिक है. भाटपार रानी विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यहां दलित मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
भाटपार रानी विधानसभा सीट से विधायक आशुतोष उपाध्याय विकास के दावे कर रहे हैं तो वहीं विपक्षी दलों के नेता उन्हें खोखला बता रहे हैं. सपा ने इस दफे भी भाटपार रानी सीट से आशुतोष उपाध्याय पर ही दांव लगाया है. इस विधानसभा सीट के लिए यूपी चुनाव के छठे चरण में 3 मार्च को मतदान होना है. बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा की 403 सीटों के लिए सात चरण में मतदान हो रहे हैं.