तेलंगाना में चुनाव प्रचार का शोर थम चुका है. मंगलवार की शाम पांच बजे चुनाव प्रचार थम गया और गुरुवार यानी 30 नवंबर को सूबे की 119 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होना है. तेलंगाना में चुनाव प्रचार के दौरान सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी तो वहीं विपक्षी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी स्टार प्रचारकों की फौज उतार दी.
बीआरएस के प्रचार की धुरी मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) रहे तो बीजेपी की ओर से पीएम मोदी और अमित शाह के साथ पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा. कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष ए रेवंत रेड्डी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी औरा प्रियंका गांधी ने कमान संभाली. चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रीय नेताओं की जमघट तो थी ही, मतदान से पहले इन तीनों दलों के बीच एक लड़ाई रणनीति के स्तर पर भी लड़ी गई.
प्रचार थमने के बाद अब सबसे अधिक चर्चा भोजपुरी इंडस्ट्री के स्टार्स को लेकर हो रही है. तेलगु भाषी तेलंगाना के चुनाव प्रचार में भोजपुरी स्टार्स का जलवा नजर आया. बीजेपी ने तेलंगाना चुनाव में प्रचार के लिए सांसद मनोज तिवारी, रवि किशन और पवन सिंह को उतार दिया तो बीआरएस ने भी गायक और अभिनेता खेसारी लाल यादव समेत भोजपुरी इंडस्ट्री के कई सितारों को बुला लिया. तेलगुलैंड के चुनाव प्रचार में भोजपुरी स्टार्स के तड़के की ये नई तस्वीर है.
बीजेपी और बीआरएस में रही होड़
तेलंगाना चुनाव प्रचार के दौरान भोजपुरी स्टार्स का जलवा नजर आया. हिंदी बेल्ट की पार्टी की इमेज वाली बीजेपी की कौन कहे, तेलगुलैंड की बीआरएस भी इसमें पीछे नहीं रही. ऐसा लगा जैसे बीजेपी और बीआरएस, दोनों ही दलों में ये होड़ लगी हो कि किसकी ओर भोजपुरी के अधिक स्टार हैं. बीजेपी की ओर से केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली की उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से सांसद मनोज तिवारी, उत्तर प्रदेश की गोरखपुर सीट से सांसद रवि किशन और पवन सिंह प्रचार के मोर्चे पर नजर आए तो वहीं बीआरएस भी पीछे नहीं रही. बीआरएस ने भोजपुरी सिने स्टार खेसारी लाल यादव और अक्षरा सिंह को बुला लिया.
अब प्रचार थमने के बाद चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि बीजेपी तो बीजेपी, बीआरएस को भोजपुरी सितारों को बुलाने की जरूरत क्यों पड़ गई? कहा ये भी जा रहा है कि मनोज तिवारी और रवि किशन ने भोजपुरी के अलावा कई हिंदी और दूसरी भाषा की फिल्मों में भी काम किया है. तेलंगाना में भी इनकी ठीक-ठाक लोकप्रियता है. ऐसे में बीजेपी की रणनीति उस लोकप्रियता को चुनाव में वोट के तौर पर कैश कराने की है. लेकिन अलग तेलंगाना राज्य के लिए जिस पार्टी को श्रेय दिया जाता है और जो पार्टी लगातार दो बार चुनाव जीत सत्ता में है, उसकी रणनीति क्या है?
हिंदी भाषी वोट बैंक पर नजर
बीआरएस की ओर से भोजपुरी सितारों को बुलाए जाने को लेकर कहा ये भी जा रहा है कि पार्टी की नजर हिंदी भाषी वोटर्स पर है. तेलंगाना में हिंदीभाषी, खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों की आबादी पिछले कुछ साल में तेजी से बढ़ी है. तेलंगाना के अलग-अलग इलाकों, खासकर हैदराबाद और दूसरे शहरों में रोजी-रोजगार की तलाश में पहुंचे मजदूरों, आईटी प्रोफेशनल्स ने उसी शहर को अपना बेस बना लिया. यूपी-बिहार के साथ ही राजस्थान, हरियाणा जैसे राज्यों के लोग भी बड़ी तादाद में तेलंगाना के शहरों को ही अपना ठिकाना बना चुके हैं. कई लोगों ने वहीं घर बना लिए, मतदाता सूची में नाम जुड़वा लिया. बीआरएस की नजर ऐसे मतदाताओं पर है और तेलगुलैंड में चुनाव प्रचार के दौरान हिंदी में भाषण, हिंदी में प्रचार सामग्री, बैनर-पोस्टर के पीछे भी यही वजह बताई जा रही है.
बीआरएस का नेशनल प्लान
बीआरएस के भोजपुरी स्टार्स के पीछे क्या केवल सूबे का हिंदी भाषी वोट बैंक ही है? कहा तो ये भी जा रहा है कि इसके पीछे बीआरएस की सोची-समझी रणनीति है. बीआरएस का नेशनल प्लान इसके पीछे मुख्य वजह है. बीआरएस ने इसी प्लान के लिए अपने नाम से तेलंगाना हटाकर भारत जोड़ा था. केसीआर की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा जब शुरुआती स्टेज में थी, तब वह बिहार के दौरे पर पटना भी पहुंचे थे और सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. इसके बाद केसीआर ने दिल्ली-पंजाब के भी दौरे किए. केसीआर ने पार्टी के नाम तक में बदलाव किया और अब उनकी पार्टी के नेताओं का भोजपुरी सितारों को बुलाना भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.