मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव प्रकाश कारत इस समय भारत में ख़ासे प्रभावशाली वामपंथी नेता माने जाते हैं. कारत भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के विरोध के लिए राष्ट्रीय राजनीति की धुरी बनकर उभरे और इस मामले पर उन्होंने यूपीए सरकार से समर्थन भी वापस ले लिया.
कारत का जन्म 19 अक्तूबर, 1947 को बर्मा की राजधानी रंगून में हुआ था. उन्होंने मद्रास क्रिस्चियन कॉलेज से स्नातक कर ब्रिटेन की एडिनबरा यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में एमए किया. 1970 में उन्हें रंगभेद का विरोध करने के कारण यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया. वर्ष 1970 में वे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए और 1972-73 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए.
वर्ष 1974 से 1979 तक वे मार्क्सवादी छात्र संघ स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. आपातकाल के दौरान 1975-76 में वे भूमिगत रहे. वे 1992 से सीपीएम की पोलित ब्यूरो के सदस्य हैं. उन्होंने कभी संसदीय चुनाव नहीं लड़ा है. आजकल वे तीसरे मोर्चे को प्रभावी शक्ल देने में जुटे हुए हैं.