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ओपिनियन पोल पर बैन लगाने से चुनाव आयोग का इनकार

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के प्रसारण और प्रकाशन पर चुनाव आयोग के रोक लगाने की संभावना नहीं है क्योंकि आयोग ने विधि मंत्रालय से कहा है कि वह संविधान के तहत प्राप्त अधिकार का उपयोग कर ऐसा कदम नहीं उठाना चाहता है और वह चाहता है कि सरकार इस मुद्दे पर कानून बनाये.

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आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के प्रसारण और प्रकाशन पर चुनाव आयोग के रोक लगाने की संभावना नहीं है क्योंकि आयोग ने विधि मंत्रालय से कहा है कि वह संविधान के तहत प्राप्त अधिकार का उपयोग कर ऐसा कदम नहीं उठाना चाहता है और वह चाहता है कि सरकार इस मुद्दे पर कानून बनाये.

कुछ समय पहले ही विधि मंत्रालय ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया था कि वह अनुच्छेद 324 के तहत अपनी शक्तिओं का उपयोग करते हुए चुनाव पूर्व सर्वेक्षण पर रोक लगा सकता है. आयोग ने इसका जवाब देते हुए सरकार से कहा कि इस बारे में कानून बनाना बेहतर विचार होगा. चुनाव आयोग को लगता है कि अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव पूर्व सर्वेक्षण को प्रतिबंधित करना कानूनी तौर पर बनाये रखने योग्य नहीं होगा.

आयोग ने विधि मंत्रालय से कहा कि चूंकि एक्जिट पोल कानून के तहत प्रतिबंधित है, चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के बारे में भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनायी जानी चाहिए. चुनाव आयोग ने प्रस्ताव किया है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव की अधिसूचना के बाद चुनाव शुरू होने से अंतिम चरण का मतदान पूरा होने तक चुनाव सर्वेक्षण का प्रसारण और प्रकाशन प्रतिबंधित होना चाहिए.

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वर्तमान कानून के तहत चुनाव आयोग को मतदान से 48 घंटे पहले चुनाव पूर्व सर्वेक्षण को प्रतिबंधित करने की अनुमति प्राप्त है. इस वर्ष प्रारंभ में अटर्नी जनरल ने चुनाव आयोग के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से अंतिम चरण के मतदान के बीच चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के प्रसारण और प्रकाशन पर रोक लगाने के प्रस्ताव का समर्थन किया था.

चुनाव पूर्व सर्वेक्षण पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन करते हुए अटर्नी जनरल ने कहा के एक्जिट पोल पर रोक लगाने के लिए संशोधन के तीन वर्ष हो गए हैं और इसे कोई चुनौती मिलती नहीं दिख रही है.

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