विधानसभा चुनाव 2011 में कई दिग्गज उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है. चाहे वो केरल के मुख्यमंत्री वीएस अच्यूतानंदन हों, या तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि या फिर पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य. इन चुनावों में इन तीनों दिग्गज नेताओं के लिए अपनी अपनी कुर्सी बचा पाना मुश्किल लग रहा है. करुणानिधि को जयललिता से कड़ी टक्कर मिल रही है तो ममता बनर्जी बंगाल की सत्ता से वाम दलों को उखाड़ फेंकने को आमादा हैं.
केरल
वीएस अच्यूतानंदन
सीपीआई (एम) नेता वीएस अच्यूतानंदन वर्तमान में केरल के मुख्यमंत्री हैं. अच्यूतानंदन मई 2006 से केरल के मुख्यमंत्री हैं. अपने चुनावी हलफनामे में 87 वर्षीय अच्यूतानंदन ने बताया है कि उनके पास सिर्फ तीन हजार रुपये नकद और 80 हजार रुपये बैंक में हैं. बाकी और कुछ नहीं. उनकी पत्नी सरकारी नौकरी में थी. उसी के चलते एक छोटे मकान और मामूली जमीन सहित कुल संपत्ति कोई 16 लाख रुपये की है. पूरी उम्र राजनीति में रहने वाले और पांच साल से मुख्यमंत्री के पद पर बैठे अच्यूतानंदन केरल में ईमानदारी के लिए मशहूर मुख्यमंत्री हैं. सीपीएम और लेफ्ट पार्टियों में नेताओं की ईमानदारी और कुछ हद तक केरल के राजनैतिक मिजाज का यह प्रमाण है. अच्यूतानंदन सीपीआई(एम) के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. वर्तमान में संस्थापक सदस्यों में से वही केवल जिवित हैं.
ओम्मन चांडी
वर्तमान में केरल में विपक्ष के नेता ओम्मन चांडी 2004 से 2006 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. चांडी केरल में कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट का प्रतिनिधित्व करते हैं और कोट्टयम जिले के पुथुपल्ली विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं जहां उनका मुकाबला सीपीआई(एम) प्रत्याशी सुजा सुसेन जॉर्ज के साथ है.
रमेश चेन्नीथाला
केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रमेश चेन्नीथाला हरिपद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि चेन्नीथाला को केरल के मुख्यमंत्री की दौड़ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है लेकिन वो खुद ऐसा नहीं मानते. उनका मुकाबला सीपीआई के जी कृष्णाप्रसाद के साथ है.
के मुरलीधरन
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेसी नेता स्वर्गीय के करुणाकरन के सुपुत्र के मुरलीधरन को पांच साल के अंतराल के बाद कांग्रेस में फिर से जगह दी गई उन्हें तिरुवनंतपरुम के वैटीयुरक्कव सीट से चुनाव लड़ने का टिकट भी मिल गया. हालांकि उनकी बहन पद्मजा वेणुगोपाल कांग्रेस का टिकट पाने में कामयाब नहीं हो सकीं.
तमिलनाडु
एम करुणानिधि
तमिलनाडु के वर्तमान मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने अपना चुनाव क्षेत्र चेन्नई के चेपक से बदलकर अपना गृहनगर तिरुवरूर कर लिया है. उनकी पार्टी डीएमके के नेता ए राजा का नाम 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में आने के बाद से करुणानिधि दबाव में हैं और यह चुनाव उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है. करुणानिधि का पूरा नाम है मुथ्थुवेल करुणानिधि. तमिलनाडु में अब तक पांच बार मुख्यमंत्री पद सुशोभित कर चुके एम करुणानिधि ने अपने 60 साल के राजनीतिक कैरियर में अपनी भागीदारी वाले हर चुनाव में अपनी सीट जीतने का रिकॉर्ड बनाया है. करुणानिधि डीएमके के प्रमुख हैं. वे 1969 में डीएमके के संस्थापक सी. एन. अन्नादुरई की मौत के बाद से इसके नेता हैं. करुणानिधि का जन्म 3 जून 1924 को तिरुक्कुवलइ में हुआ था. उनका बचपन का नाम दक्षिणमूर्ति था. वे तमिल सिनेमा जगत के एक नाटककार और पटकथा लेखक भी हैं. उनके समर्थक उन्हें कलाईनार कहकर बुलाते हैं.
एम के स्टालिन
डीएमके के अध्यक्ष और तमिलनाडु के वर्तमान मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के पुत्र और राज्य के उपमुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने भी अपने पिता की तरह ही अपना चुनाव क्षेत्र बदल लिया है. पहले वो चेन्नई के थाउजेंड लाइट्स विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते थे लेकिन इस बार वो कोलाथुर से चुनाव मैदान में हैं.
के अनबझगन
के अनबझगन वर्तमान में तमिलनाडु की डीएमके सरकार में वित्त मंत्री हैं और करुणानिधि के पुराने वफादार माने जाते हैं. अनबझगन ने 1996 में चेन्नई हार्बर सीट से चुनाव जीता था लेकिन इस बार वो विल्लीवक्कम सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
जे जयललिता
तमिलनाडु की दूसरी महत्वपूर्ण पार्टी एआईएडीएमके की अध्यक्ष सुश्री जे जयललिता दो बार राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. इस बार भी माना जा रहा है कि वो करुणानिधि को हराने में कामयाब रहेंगी. जयललिता श्रीरंगम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ री हैं. हालांकि उनके खेमे से वाइको की पार्टी एमडीएमके अलग हो चुकी है लेकिन फिर भी इस चुनाव में वो करुणानिधि को बाहर का रास्ता दिखाने का दमखम रखती हैं. उनके खेमे में अब अभिनेता विजयकांत की पार्टी डीएमडीके जुड़ गई है साथ ही जयललिता को सीपीआई (एम) का ही समर्थन प्राप्त है.
वियजकांत
ऋषिवंथियम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे अभिनेता विजयकांत डीएमडीके पार्टी के अध्यक्ष हैं और जयललिता का समर्थन करते हैं. हाल में हुए चुनावों में डीएमडीके अच्छे खासे वोट हासिल करने में कामयाब रही थी.