चुनावी प्रचार के दौरान भाषा की मर्यादा का उल्लंघन एक बड़ी समस्या बन गई है. इसका उदाहरण हमें सुरजेवाला से लेकर अनुराग ठाकुर तक की ट्रोलिंग को देखकर को मिल रहा है. चुनावी रंगमंच पर भाषा की मर्यादा का उल्लंघन न सिर्फ चुनावी प्रक्रिया को बदनाम कर रहा है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक खराब संकेत है. देखें...