क्षत्रिय समाज की नाराजगी और उनके आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री मोदी का दो दिवसीय दौरा समाप्त हुआ. प्रधानमंत्री ने गुजरात में 2 दिन में कुल 6 जनसभाएं कीं लेकिन कहीं पर भी क्षत्रिय समाज की नाराजगी या फिर उनकी कोई बात नहीं निकली. जामनगर की जनसभा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जामनगर के राजा शत्रुल्यसिंहजी से भेंट की. जाम साहब ने पीएम मोदी को पगड़ी पहनाते हुए विजयी भव का आशीर्वाद भी दिया, जिसका जिक्र बाद में पीएम मोदी ने अपनी जनसभा में किया.
गुजरात के सभी राजघरानों में जामनगर के जाम साहब का सबसे बड़ा नाम और मान है. उनकी बातों को कोई टाल नहीं सकता इसीलिए पीएम मोदी के दौरे से पहले जब क्षत्रिय समाज की नाराजगी जोरों पर थी तब जाम साहब ने पत्र लिखकर प्रधानमंत्री मोदी को समर्थन की बात कही थी.
'जाम साहब से मेरा पुराना रिश्ता'
पीएम मोदी ने गुरुवार को अपनी सभा में कहा कि जाम साहब और उनके परिवार का उनके साथ पुराना रिश्ता रहा है. वह जब राजनीति में नहीं थे और संघ के प्रचारक थे तब से और फिर बाद में जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री बने तब भी जाम साहब का आशीर्वाद उन्हें लगातार मिलता रहा है. 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भी प्रधानमंत्री जाम साहब का हाल-चाल जानने उनके घर पहुंचे थे और उनसे मुलाकात की थी.
'पगड़ी मेरे लिए सबसे बड़ा प्रसाद है'
पीएम मोदी ने अपनी जनसभा में यह भी कहा कि जामनगर के राजा दिग्विजयसिंह की वजह से आज भारत और पोलैंड के रिश्ते काफी मजबूत है क्योंकि उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पोलैंड के नागरिकों को जामनगर में पनाह दी थी और उनके लिए अलग व्यवस्था की थी, जिसके कारण आज भी पोलैंड की संसद में हर बार राजा दिग्विजयसिंह का नाम लिया जाता है.
पीएम मोदी ने कहा कि जाम साहब का आशीर्वाद मिल गया है यानी सारी बात खत्म है. उनका आशीर्वाद ही सबकुछ है. उन्होंने आज पगड़ी पहना कर आशीर्वाद दिया और उनकी पगड़ी मेरे लिए सबसे बड़ा प्रसाद है. पीएम मोदी ने बिना क्षत्रिय आंदोलन का जिक्र किए क्षत्रिय समाज को बड़ा संदेश दिया है. पीएम मोदी ने राजा शत्रुल्यसिंहजी के साथ तस्वीरें शेयर की हैं जिसमें वह उन्हें 'हलारी पगड़ी' (शाही पगड़ी) पहनाते हुए नजर आ रहे हैं. बाद में वही पगड़ी पहनकर प्रधानमंत्री रैली में पहुंचे.
रूपाला के बयान से नाराज क्षत्रिय समाज
केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला के बयान से क्षत्रिय समाज नाराज है. गुरुवार को जामनगर पहुंचे पीएम मोदी ने न सिर्फ शाही परिवार के वंशज से मुलाकात की और बल्कि उनके बलिदानों के लिए समुदाय की प्रशंसा भी की. रूपाला राजकोट लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं, जहां 7 मई को मतदान होना है.
पीएम ने याद की भूचर मोरी की लड़ाई
रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने भूचर मोरी की लड़ाई को याद किया, जो जामनगर जिले के पास भूचर मोरी पठार पर 1591 में नवानगर राज्य के नेतृत्व वाली काठियावाड़ की सेना और मुगल फौज के बीच लड़ी गई थी. इस लड़ाई में मुगल सेना की जीत हुई थी और दोनों पक्षों की ओर से बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए थे.
'पद से बढ़कर है क्षत्रिय समुदाय के बलिदान'
पीएम मोदी ने कहा, 'जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो क्षत्रिय समुदाय के कुछ नेता मुझसे मिलने आए और मुझे भूचर मोरी में एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया. उनमें से एक ने मुझसे कहा कि हालांकि हम आपको आमंत्रित कर रहे हैं, हम जानते हैं कि आप नहीं आएंगे. जब मैंने उस व्यक्ति से पूछा कि उसने यह क्यों कहा तो उसने बताया कि इससे पहले कोई मुख्यमंत्री वहां नहीं गया क्योंकि ऐसी अफवाह थी कि अगर कोई सीएम वहां जाएगा तो वह अपना मुख्यमंत्री पद खो देगा.' प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैंने उनसे कहा कि मैं निश्चित रूप से आऊंगा क्योंकि क्षत्रिय समुदाय के बलिदान के सामने मेरे सीएम पद का कोई मूल्य नहीं है और मैंने उस कार्यक्रम में भाग लिया.'
'महासम्मेलन' करेगा क्षत्रिय समुदाय
क्षत्रिय समुदाय पूर्व शासकों के बारे में दिए गए बयान के चलते रूपाला से नाराज है. गुजरात में क्षत्रिय समाज ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है. उनके विरोध के बावजूद बीजेपी ने रूपाला की उम्मीदवारी रद्द नहीं की इसलिए समुदाय ने बीजेपी के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन शुरू कर दिया है और 7 मई के चुनाव से पहले चार 'महासम्मेलन' करने की घोषणा की है.